Chapter - 7
क्षेत्रीय आकांक्षाये
भारत सरकार का नजरिया
- 1980 के दशक को स्वायत्तता की मांग का दशक कहा जाता है इन 10 सालों में देश के कई हिस्सों में स्वायत्तता की मांग उठी थी कई बार संवैधानिक हदों को पार भी किया गया लोगों ने अपनी मांगो के पक्ष में हथियार भी उठाएं हजारों लोगों की जान भी गई
- इन संघर्षों को विराम लगाने के लिए सरकार ने बातचीत का रास्ता अपनाया सरकार ने प्रयास किया कि विवाद के मुद्दों को संविधान के दायरे में निपटाया जाए
- भारत एक ऐसा देश है जहां विविधता बहुत हैं धर्म ,जाति ,रंगरूप, संस्कृति ,भाषाएं ,रीति रिवाज ,प्रथाएं नजरिया अलग है ऐसे में अलगाववाद और क्षेत्रवाद, क्षेत्रीय आकांक्षा उठना लाजमी है लेकिन भारत सरकार का नजरिया इनको लेकर बहुत अच्छा है सरकार ने क्षेत्रीय आकांक्षाओं को सम्मान दिया है
- क्षेत्रीयता तथा क्षेत्रवाद को बातचीत के जरिए सुलझाने का प्रयास किया है भारत में इतनी विविधता होने के बाद भी राष्ट्रवाद की भावनाएं लोगों में है
- राष्ट्रवाद जनता के बीच एकता बनाए रखती है यूरोप में सांस्कृतिक विविधता को राष्ट्र के लिए खतरे के रूप में देखा जाता है लेकिन भारत सरकार का नजरिया अलग है हम सांस्कृतिक विविधता को खतरा नहीं मानते
भारत में विविधता के सवाल पर लोकतांत्रिक दृष्टिकोण अपनाया है लोकतंत्र में क्षेत्रीय आकांक्षाओं के राजनीतिक अभिव्यक्ति की अनुमति है यहां आजादी है कि कोई दल क्षेत्रीय समस्या को आधार बनाकर लोगों की भावनाओं की नुमाइंदगी करें
- क्षेत्रीय मुद्दों समस्याओं के प्रति सरकार को नीति निर्माण पर विशेष ध्यान दिया जाता है कभी-कभी ऐसा भी हो सकता है कि राष्ट्रीय एकता की राह में क्षेत्रीय आकांक्षा भारी पड़े ऐसे में सरकार को सोच समझ कर फैसला लेना चाहता है
तनाव के दायरे
- आजादी के तुरंत बाद देश के सामने मुख्य समस्या विभाजन देसी रियासतों की समस्या विस्थापन
- देश के तथा विदेश के पर्यवेक्षकों का मानना था भारत ज्यादा दिनों तक एक राष्ट्र के रूप में नहीं रह पाएगा
- उसके बाद जम्मू और कश्मीर का मामला सामने आया
- कश्मीर भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद का मामला रहा है
- कश्मीर के लोगों की आकांक्षाएं
- कश्मीर में अलगाववाद
- पूर्वोत्तर के राज्यों में भारत के अंग होने पर असहमति है
- नागालैंड, मिजोरम में अलगाववाद की मांग उठी थी
1. दक्षिण भारत :- द्रविण आन्दोलन चला द्रविण आन्दोलन में तमिलनाडु में हिंदी भाषा का विरोध किया गया तमिल भाषा को महत्व दिया गया
2. जम्मू और कश्मीर :- जम्मू कश्मीर की हिंसा में अनेक लोगों की जान गई कई परिवारों का विस्थापन हुआ जम्मू और कश्मीर में तीन राजनीतिक एवं सामाजिक क्षेत्र शामिल कश्मीर में मुस्लिम , हिन्दू , सिख कई धर्म के लोग रहते है
3. लद्दाख :- लद्दाख में बौध और मुस्लिम भी रहते है कश्मीर के लोग अपने आप को कश्मीरी पहले समझते है जम्मू कश्मीर की स्वयतत्ता का मसला
कश्मीर में समस्या की जड़े
- 1947 से पहले जम्मू और कश्मीर एक रियासत थी जिसमें हरि सिंह नामक हिंदू शासक का राज था यह भारत में शामिल नहीं होना चाहते थे स्वतंत्र रहना चाहते थे पाकिस्तान को यह लगता था कि ज्यादातर आबादी या मुस्लिम है इसलिए जम्मू और कश्मीर पाकिस्तान में शामिल हो जाएगा लेकिन यहां के लोग खुद को कश्मीरी पहले मानते हैं
- शेख अब्दुल्ला के नेतृत्व में आंदोलन चला शेख चाहते थे कि राजा पद छोड़ें नेशनल कांफ्रेंस धर्मनिरपेक्ष संगठन था नेशनल कांफ्रेंस का कांग्रेस से गठबंधन भी था नेहरू और शेख मित्र भी थे
- 1947 में पाकिस्तान ने घुसपैठियों को कश्मीर में कब्जा करने के लिए भेजा कश्मीर के महाराजा भारतीय सेना से मदद मांगने को मजबूर हुए भारतीय सेना ने मदद प्रदान की भारत सरकार ने महाराजा से विलय पत्र पर हस्ताक्षर कराएं यह भी कहा स्थिति सामान्य होने पर जनमत संग्रह कराया जाएगा
- मार्च 1948 में शेख अब्दुल्ला जम्मू और कश्मीर के प्रधानमंत्री बने भारत कश्मीर की स्वायत्तता बनाए रखने को तैयार हुआ अनुच्छेद 370 के तहत इस राज्य को विशेष अधिकार दिए इस राज्य का एक अलग संविधान भी था
- 2019 में जम्मू कश्मीर से अनुछेद 370 को मोदी सरकार ने हटा दिया है इसका विशेष राज्य का दर्जा भी ख़त्म हो गया है लद्दाख को बिना विधानसभा वाला केंद्र शासित राज्य बना दिया गया है जम्मू और कश्मीर विधानसभा वाला केंद्र शासित राज्य बना दिया गया है
पंजाब तथा यहाँ की समस्या
- पंजाब से हरियाणा और हिमाचल प्रदेश बने पंजाब में 1966 में राज्य पुनर्गठन हुआ यहां 1920 के दशक में अकाली दल का गठन हुआ अकाली दल ने पंजाब सूबे के गठन के लिए आंदोलन चलाया पंजाबी भाषी सूबे में सिख बहुसंख्यक थे
राजनीतिक सन्दर्भ
- अकाली दल 1967, 1977 में सरकार बनाई दोनों बार गठबंधन सरकार बनी थी
- केंद्र सरकार ने अकाली दल की सरकार को कार्यकाल से पहले ही बर्खास्त किया
- अकाली दल को हिंदुओं का कम समर्थन प्राप्त था सिख समुदाय भी जाति, वर्ग में बटा हुआ था कांग्रेस को अकालीओं से ज्यादा समर्थन प्राप्त था
- 1970 में आकालियों के एक तबके ने पंजाब के लिए स्वायत्तता की मांग की आनंदपुर साहिब प्रस्ताव इसमें क्षेत्रीय स्वायत्तता की बात उठाई गई केंद्र राज्य संबंधों को प्रभावित करने की मांग की गई
- सिखों के वर्चस्व के ऐलान हुआ लेकिन इसे एक अलग सिख राष्ट्र की मांग के रूप में भी देखा जाता है इस प्रस्ताव का सिख समुदाय पर कम असर है
- 1980 में अकाली दल की सरकार बर्खास्त हुई अकाली दल ने पंजाब तथा पड़ोसी राज्यों के बीच पानी के बंटवारे के मुद्दे में
आंदोलन चलाया कुछ ने भारत से अलग होकर अलग राष्ट्र
खालीस्तान बनाने की मांग भी
पंजाब में हिंसा का चक्र
- आंदोलन ने सशस्त्र विद्रोह का रूप ले लिया उग्रवादियों ने अमृतसर के स्वर्ण मंदिर को अपना मुख्यालय बना लिया स्वर्ण मंदिर एक हथियारबंद किले के रूप में तबदील हो गया
- सरकार ने जून 1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार चलाया सरकार ने उग्रवादियों को भगाया लेकिन इससे स्वर्ण मंदिर को क्षति पहुंची जिसे सिखों ने अपने धर्म विश्वास पर हमला माना
सिख इस बात से नाराज थे उनके धार्मिक भावनाएं आहत हुई थी कुछ दिन बाद 31 अक्टूबर को इंदिरा गांधी को उन्हीं के दो अंग रक्षकों द्वारा गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई यह ऑपरेशन ब्लू स्टार का बदला था
- इंदिरा के अंगरक्षक थे इस घटना से पूरा देश शोक में डूब गया दिल्ली तथा उत्तर भारत के राज्यों में हिंसा का दौर चल पड़ा सिखों को ढूंढ कर मारा गया , सबसे ज्यादा सिख दिल्ली में मारे गए देश के अन्य हिस्सों में भी सिख मारे गए 2005 में संसद में मनमोहन सिंह ने इस घटना पर अफसोस जताया
शान्ति की ओर
- 1984 के चुनाव के बाद सत्ता में नए प्रधानमंत्री आए राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने राजीव गांधी ने नरमपंथियों से बातचीत की शुरुआत की 1985 में एक समझौता हुआ
1. अकाली दल – अध्यक्ष –हरचंद सिंह लोंगोवाल
2. कांग्रेस – राजीव गांधी
पंजाब समझौता
- चंडीगढ़ ,पंजाब को दे दिया जाएगा
- पंजाब , हरियाणा के बीच सीमा विवाद के सुलझाव के लिए आयोग बनाया जाएगा
- पंजाब, हरियाणा, राजस्थान के बीच नदी जल बंटवारे को लेकर न्यायअधिकार बिठाया जाएगा
- उग्रवाद से प्रभावित लोगों को मुआवजा दिया जाएगा
- पंजाब में विशेष सुरक्षा बल अधिनियम वापस लिया जाएगा
- लेकिन समझौते के बाद भी अमन कायम नहीं हुआ
- हिंसा लगभग 10 वर्षों तक जारी रही
- अकाली दल बिखर गया
- 1992 में पंजाब में चुनाव हुए सिर्फ 24% लोग ने वोट दिया
- उग्रवाद को सेना ने दबाया लेकिन जनता ने अनगिनत दुख दुख
उठाए
- 1990 के दशक में मध्यवर्ती वर्षों में पंजाब में शांति बहाल
हुई
- 1997 में चुनाव में अकाली दल (बादल) और भाजपा गठबंधन जीती
पूर्वोत्तर राज्य
- 1980 के दशक में क्षेत्रीय आकांक्षाएं उभरकर सामने आई
- 7 राज्य होने के कारण इन्हें सात बहने कहा जाता है
- इस क्षेत्र की सीमाएं चीन , म्यांमार और बांग्लादेश से लगती हैं
- यह क्षेत्र भारत के लिए दक्षिण पूर्व एशिया का प्रवेश द्वार है
- त्रिपुरा, मणिपुर, मेघालय का खासी पहाड़ी क्षेत्र पहले अलग-अलग रियासतें थी
- आजादी के बाद भारत संघ में इन को शामिल किया गया
- पूर्वोत्तर राज्य में बड़े स्तर पर राज्य पुनर्गठन हुआ
- नागालैंड 1963 में राज्य बना
- मेघालय ,मणिपुर, त्रिपुरा 1972 में राज्य बने
- अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम 1987 में राज्य बने
- पूर्वोत्तर राज्य भारत के राज्यों का विकास नहीं हो पाया
- यह इलाका शेष भारत से अलग-थलग पड़ा था