Geography Chapter 1मानव भूगोल - प्रकृति एवं विषय क्षेत्र Notes
0Eklavya Study Pointजुलाई 12, 2024
Chapter 1
मानव भूगोल - प्रकृति एवं विषय क्षेत्र
एक विषय के रूप में भूगोल का मुख्य सरोकार पृथ्वी को मानव के घर के रूप में समझना और उन सभी तत्वों का अध्ययन करना है, जिन्होंने मानव को पोषित किया है।
अतः प्रकृति और मानव के अध्ययन पर बल दिया गया है।
भूगोल
1. भौतिक भूगोल
पृथ्वी एवं संरचना
महासागर
महाद्वीप
भू – आकृति
वायुमंडल
सौर विकिरण
जल
जलवायु
2. मानव भूगोल
सामाजिक भूगोल
जनसँख्या
राजनितिक भूगोल
मानव आवास
आर्थिक भूगोल
मानव भूगोल की परिभाषाएँ
रेटजेल
एलेन . सी . सेम्पल
पोल विडाल – डी – ला ब्लाश
रेटजेल के अनुसार
“ मानव भूगोल मानव समाजों और धरातल के बीच संबंधों का संश्लेषित अध्ययन है।"
एलेन . सी . सेम्पल के अनुसार -
"मानव भूगोल अस्थिर पृथ्वी और क्रियाशील मानव के बीच परिवर्तनशील संबधों का अध्ययन है।"
पोल विडाल – डी – ला ब्लाश के अनुसार -
"हमारी पृथ्वी को नियंत्रित करने वाले भौतिक नियमों तथा इस पर रहने वाले जीवों के मध्य संबंधों के अधिक संश्लेषित ज्ञान से उत्पन्न संकल्पना।"
मानव भूगोल की प्रकृति
मानव भूगोल भौतिक पर्यावरण तथा मानव-जनित सामाजिक सांस्कृतिक पर्यावरण के अंतर्संबंधों का अध्ययन उनकी परस्पर अन्योन्यक्रिया के द्वारा करता है। गृह, गाँव, नगर, सड़कों व रेलों का जाल, उद्योग, खेत, दैनिक उपयोग में आने वाली वस्तुएँ तथा भौतिक संस्कृति के अन्य सभी तत्व भौतिक पर्यावरण द्वारा प्रदत्त संसाधनों का उपयोग करते हुए मानव द्वारा निर्मित किए गए हैं, भौतिक पर्यावरण मानव द्वारा व्यापक स्तर पर परिवर्तित किया गया है, साथ ही मानव जीवन को भी इसने प्रभावित किया है।
मानव का प्रकृतिकरण
प्रकृति का मानवीकरण
मानव का प्रकृतिकरण
प्रौद्योगिकी किसी समाज के सांस्कृतिक विकास के स्तर की सूचक होती है।
मानव प्रकृति के नियमों को बेहतर ढंग से समझने के बाद ही प्रौद्योगिकी का विकास कर पाया।
उदाहरण - घर्षण और ऊष्मा की संकल्पनाओं ने अग्नि की खोज में हमारी सहायता की।
डी.एन.ए. और आनुवांशिकी के रहस्यों की समझ ने हमें अनेक बीमारियों पर विजय पाने के योग्य बनाया।
अधिक तीव्र गति से चलने वाले यान विकसित करने के लिए हम वायु गति के नियमों का प्रयोग करते हैं।
प्रकृति का ज्ञान प्रौद्योगिकी को विकसित करने के लिए महत्त्वपूर्ण है और प्रौद्योगिकी मनुष्य पर पर्यावरण की बंदिशों को कम करती है।
प्राकृतिक पर्यावरण से अन्योन्यक्रिया की आरंभिक अवस्थाओं में मानव इससे अत्यधिक प्रभावित हुआ था। उन्होंने प्रकृति के आदेशों के अनुसार अपने आप को ढाल लिया।
इसका कारण यह है कि प्रौद्योगिकी का स्तर अत्यंत निम्न था और मानव के सामाजिक विकास की अवस्था भी आदिम थी।
आदिम मानव समाज और प्रकृति की प्रबल शक्तियों के बीच इस प्रकार की अन्योन्यक्रिया को पर्यावरणीय निश्चयवाद कहा गया।
प्रौद्योगिक विकास की उस अवस्था में हम प्राकृतिक मानव की कल्पना कर सकते हैं जो प्रकृति को सुनता था, उसकी प्रचंडता से भयभीत होता था और उसकी पूजा करता था।
प्रकृति का मानवीकरण
समय के साथ लोग अपने पर्यावरण और प्राकृतिक बलों को समझने लगते हैं।
अपने सामाजिक और सांस्कृतिक विकास के साथ मानव बेहतर और अधिक सक्षम प्रौद्योगिकी का विकास करते हैं।
वे अभाव की अवस्था से स्वतंत्रता की अवस्था की ओर अग्रसर होते हैं।
पर्यावरण से प्राप्त संसाधनों के द्वारा वे संभावनाओं को जन्म देते हैं।
मानवीय क्रियाओं की छाप सर्वत्र है
उच्च भूमियों पर स्वास्थ्य विश्रामस्थल, विशाल नगरीय प्रसार,
खेत, फलोद्यान , पहाड़ियों में चरागाहें, पत्तन और महासागरीय तल पर समुद्री मार्ग तथा अंतरिक्ष में उपग्रह इत्यादि।
पहले के विद्वानों ने इसें संभववाद का नाम दिया।
प्रकृति अवसर प्रदान करती है और मानव उनका उपयोग करता है तथा धीरे-धीरे प्रकृति का मानवीकरण हो जाता है
प्रकृति पर मानव प्रयासों की छाप पड़ने लगती है।
नवनिश्यचवाद
भूगोलवेता ग्रिफिथ टेलर ने एक नयी संकल्पना प्रस्तुत की है
जो दो विचारों पर्यावरणीय निश्चयवाद और संभववाद के बीच मध्य मार्ग को परिलक्षित करता है।
उन्होंने इसे नवनिश्यचवाद अथवा रुको और जाओ निश्चयवाद का नाम दिया।
यह संकल्पना दर्शाती है कि न तो यहाँ नितांत आवश्यकता की स्थिति (पर्यावरणीय निश्चयवाद) है और न ही नितांत स्वतंत्रता (संभववाद) की दशा है।
इसका तात्पर्य है कि उन सीमाओं में, जो पर्यावरण की हानि न करती हों, संभावनाओं को उत्पन्न किया जा सकता है।
विकसित अर्थव्यवस्थाआ के द्वारा चली गई मुक्त चाल के परिणामस्वरूप हरित गृह प्रभाव, ओजोन परत अवक्षय, भूमंडलीय तापन, पीछे हटती हिमनदियाँ, निम्नीकृत भूमियाँ हैं।
नवनिश्चयवाद संकल्पनात्मक ढंग से एक संतुलन बनाने का प्रयास करता है
मानव भूगोल के क्षेत्र और उपक्षेत्र
मानव भूगोल की प्रकृति अत्यधिक अंतर-विषयक है।
पृथ्वी तल पर पाए जाने वाले मानवीय तत्वों को समझने व उनकी व्याख्या करने के लिए मानव भूगोल सामाजिक विज्ञानों के सहयोगी विषयों के साथ घनिष्ठ अंतरसंबंध विकसित करती है।
ज्ञान के विस्तार के साथ नए उपक्षेत्रों का विकास होने लगा और मानव भूगोल के साथ भी ऐसा ही हुआ।