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लोकतान्त्रिक व्यवस्था का संकट Notes in Hindi Chapter 6 Political Science class 12 Book 2 The crisis of democratic order


Chapter - 6 


लोकतान्त्रिक व्यवस्था का संकट



आपातकाल की पृष्ठभूमि 

1. आर्थिक समस्या

  • 1971 के चुनाव में कांग्रेस ने गरीबी हटाओ का नारा दिया लेकिन गरीबी नहीं हटी।
  • बांग्लादेश संकट से भारतीय अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ा 80 लाख शरणार्थी भारत आए।
  • पाकिस्तान से युद्ध हुआ युद्ध में अमरीकी सरकार ने भारत कि कोई मदद नहीं की।
  • तेल की कीमतें बढ़ी 1973 में 23% महंगाई बढ़ी और 1974 में 30% तक महंगाई बढ़ी।
  • बड़े स्तर पर बेरोजगारी बढ़ने लगी।
  • सरकारी कर्मचारियों का वेतन रोका गया सरकारी कर्मचारियों ने हड़ताल कर दी।
  • मॉनसून असफल रहा, कृषि पैदावार में गिरावट हुई।
  • जनता का विरोध शुरू हुआ साथ ही इस अवधि में ऐसे समूह जो संसदीय व्यवस्था में विश्वास नहीं रखते थे उनकी सक्रियता बढ़ने लगी।
  • पूंजीवादी अर्थव्यवस्था को हटाने के लिए हथियार उठा लिए गए यह समूह मार्क्सवादी / लेनिनवादी / माओवादी और नक्सलवादी कहलाए।
  • यह समूह पश्चिम बंगाल में ज्यादा सक्रिय थे।


2. गुजरात और बिहार के आन्दोलन

1. गुजरात का छात्र आन्दोलन

  • गुजरात और बिहार दोनों जगह कांग्रेस की सरकारें थी।
  • 1974 के जनवरी माह में गुजरात के छात्रों ने खाद्यान्न, खाद्य तेल तथा अन्य वस्तुओं की बढ़ती कीमत तथा भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन छेड़ दिया।
  • आंदोलन में बड़ी राजनीतिक पार्टी शामिल हुई गुजरात में राष्ट्रपति शासन लगा दिया।
  • विपक्षी दलों ने दोबारा चुनाव की मांग की मोरारजी देसाई ने कहा अगर चुनाव नहीं हुआ तो भूख हड़ताल करेंगे।
  • दबाव में 1975 में चुनाव कराए गए, कांग्रेस हार गई।


2. बिहार का छात्र आन्दोलन

  • मार्च 1974 में बिहार में छात्रों ने आंदोलन छेड़ दिया बढ़ती कीमतें, बेरोजगारी, खाद्यान्न संकट, भ्रष्टाचार मुख्य कारण था।
  • छात्रों ने जयप्रकाश नारायण को निमंत्रण भेजा गया जयप्रकाश नारायण इस अवधि में समाजसेवी बन चुके थे और सक्रिय राजनीति छोड़ चुके थे।
  • जेपी ने निमंत्रण स्वीकार किया लेकिन इन्होंने एक शर्त रखी आंदोलन में हिंसा नहीं होगी तथा आंदोलन केवल बिहार तक सीमित नहीं रहेगा।
  • जीवन के हर क्षेत्र के लोग आंदोलन में शामिल हुए इसे “ संपूर्ण क्रांति “ के नाम से जाना जाता है।


3. सरकार और न्यायपालिका के बीच संघर्ष

1. विवाद के तीन प्रमुख तीन मुद्दे

  1. पहला मुद्दा- क्या संसद मौलिक अधिकारों में कटौती कर सकती है।

  2. दूसरा मुद्दा- क्या संसद संविधान में संशोधन करके संपत्ति का अधिकार में काट छांट कर सकती है।

  3. तीसरा मुद्दा- मुख्य न्यायाधीश बनाने का मुद्दा (1973)


2. सरकार और न्यायाधीश

  • तीन वरिष्ठ जजों की अनदेखी करके ए.एन.रे को मुख्य न्यायाधीश बनाया गया।
  • इलाहाबद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जगमोहन लाल सिन्हा ने एक फैसला 12 जून 1975 को सुनाया फैसला यह था कि इंदिरा गांधी का निर्वाचन लोकसभा के लिए अवैधानिक करार दिया गया।
  • यह फैसला समाजवादी नेता राजनारायण द्वारा दायर चुनाव याचिका में लिया गया याचिका इस बात पर थी कि इंदिरा गांधी ने चुनाव प्रचार में सरकारी कर्मचारियों की सेवाओं का इस्तेमाल किया है।
  • इस फैसले का मतलब था इंदिरा अब सांसद नहीं रही 6 महीने के अंदर दुबारा सांसद निर्वाचित अगर नहीं होती तो प्रधानमंत्री भी नहीं रह सकेंगी।
  • 24 जून 1975 को सर्वोच्च न्यायालय ने उच्च न्यायालय के फैसले पर आंशिक रोक लगाया फैसला लिया जब तक इस अपील पर सुनवाई नहीं होती तब तक इंदिरा सांसद बनी रहेंगी लेकिन वह संसद के कार्यों में भाग नहीं ले सकेंगी।


आपातकाल की घोषणा 

1. संकट और सरकार

  • जयप्रकाश नारायण तथा अन्य विपक्षी दलों ने इंदिरा गांधी के इस्तीफे के लिए दबाव बनाया।
  • सभी दलों ने मिलकर 25 जून 1975 को दिल्ली के रामलीला मैदान में विशाल प्रदर्शन किया आज तक दिल्ली में इतना बड़ा प्रदर्शन नहीं हुआ था।
  • जयप्रकाश नारायण ने इंदिरा गांधी से इस्तीफे की मांग की।
  • पुलिस तथा सेना से भी आह्वान किया कि वह सरकार की बातों को ना माने।
  • सरकारी कर्मचारियों को भी कहा कि वह सरकार के खिलाफ आ जाए इससे सरकारी कामकाज ठप होने का अंदेशा पैदा होने लगा था।
  • सरकार ने इन घटनाओं को देखते हुए आपातकाल की घोषणा कर दी आपातकाल की घोषणा के बाद सारी शक्तियां केंद्र सरकार के हाथ में चली गई।
  • 25 जून 1975 की रात में प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने अनुच्छेद 352 के तहत आपातकाल लागू करने की घोषणा की।
  • आधी रात के बाद अखबारों के दफ्तर की बिजली काट दी गई।
  • सुबह मंत्रिमंडल को यह सूचना दी गई कि आपातकाल लग चुका है।
  • विपक्षी नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया।


2. आपातकाल के परिणाम

  • विरोध अचानक रुक गए।
  • विपक्षी नेताओं को जेल में डाल दिया गया।
  • हड़ताल के ऊपर रोक लगा दी गई।
  • प्रेस की आजादी रोक दी गई।
  • निवारक नजरबंदी का बड़े पहने पर इस्तेमाल किया गया।
  • R.S.S. तथा जमात-ए-इस्लामी संगठन पर प्रतिबंध लगा दिया।
  • मौलिक अधिकार निष्प्रभावी हो गए।


3. आपातकाल का विरोध

  • इंडियन एक्सप्रेस और स्टेटमैंन जैसे अखबार ने प्रेस सेंसरशिप का विरोध किया।
  • सेमिनार और मेनस्ट्रीम जैसी मैगजीन बंद हो गई।
  • लेखक शिवराम कारंत और फणीश्वरनाथ रेणु ने लोकतंत्र के दमन के विरोध में अपनी पदवी लौटा दी।



4. आपातकाल के समय के विवाद

  • इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के लिए संविधान संशोधन में प्रावधान किया गया कि प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति पद को अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती।
  • आपातकाल के दौरान संविधान का 42 वा संशोधन हुआ।
  • इस संशोधन के जरिए संविधान के अनेकों हिस्सों में बदलाव हुए।
  • यह विवादित संशोधन है।
  • इसी दौरान विधायिका के कार्यकाल को 5 साल से बढ़ाकर 6 साल कर दिया गया।


5. आपातकाल के दौरान क्या - क्या गलत हुआ ?

  • सत्ता का दुरुपयोग किया गया लोगों के साथ ज्यादतियां हुई।
  • 676 नेताओं की गिरफ्तारी की गई।
  • दिल्ली में झुग्गियां उजाड़ी गई , जबरन नसबंदी कराई गई।
  • 1,11000 लोगों को गिरफ्तार किया गया।
  • अखबारों के दफ्तरों की बिजली काटी गई।
  • संजय गांधी ने सरकारी काम में दखलअंदाजी की।
  • प्रेस सेंसरशिप लगाई गई।
  • निवारक नजरबंदी का इस्तेमाल किया गया।
  • लोगों को अदालत का दरवाजा खटखटाने की भी इजाजत नहीं थी।


6. आपातकाल के सबक

  • भारत से लोकतंत्र को विदा कर पाना कठिन है।
  • आपातकाल अब अंदरूनी गड़बड़ी बताकर नहीं लगाया जा सकता केवल सशस्त्र विद्रोह की स्थिति में आपातकाल लगाया जा सकता है।
  • आपातकाल की घोषणा की सलाह मंत्रीपरिषद राष्ट्रपति को लिखित में देंगे।
  • नागरिक अब अपने अधिकारों के प्रति ज्यादा सचेत हो गए हैं आपातकाल के बाद कई संगठन बने थे।


लोकसभा के चुनाव - 1977

  • जनवरी 1977 में लोकसभा  चुनाव कराने का फैसला किया गया
  • सभी नेताओं को जेल से रिहा कर दिया गया 1977 के मार्च में चुनाव हुए
  • विपक्ष को तैयारी करने का बहुत कम समय मिला
  • चुनाव से पहले विपक्षी पार्टी एक साथ मिल गई और जनता पार्टी बनाई
  • नई पार्टी ने जयप्रकाश नारायण को नेतृत्व सौंपा
  • कांग्रेस के कुछ नेता जो आपातकाल के खिलाफ थे, जनता पार्टी में शामिल हो गए
  • जगजीवन राम ने एक नई पार्टी बनाई, कांग्रेस फॉर डेमोक्रेसी लेकिन बाद में वह भी जनता पार्टी में शामिल हो गए
  • पार्टी ने चुनाव प्रचार में आपातकाल के दौरान हुई ज्यादतियों को जनता के सामने पेश किया
  • जनता ने कांग्रेस को वोट नहीं दिया, जनता पार्टी जीत गई


1977 के चुनाव परिणाम 

  • आजादी के बाद पहली बार ऐसा हुआ कि कांग्रेस चुनाव हार गई 

1. लोकसभा- 154 सीटें

2. वोट - 35%

3. जनता पार्टी सहयोगी के साथ 330 सीट

4. अकेले जनता पार्टी को 295 सीट मिली

  • उत्तर भारत में कांग्रेस का बुरा हाल था बिहार, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, मे एक भी सीट कांग्रेस को नहीं मिली
  • कांग्रेस को राजस्थान और मध्य प्रदेश में केवल 1 सीट मिली
  • इंदिरा गांधी रायबरेली से चुनाव हार गई, संजय गांधी अमेठी से चुनाव हार गए
  • महाराष्ट्र, गुजरात, उड़ीसा में कांग्रेस ने कई सीटें जीती जबकि उत्तर भारत का मध्यम वर्ग कांग्रेस से दूर जाने लगा
  • आपातकाल की हिंसा का नतीजा था 1977 चुनाव परिणाम
  • जनता पार्टी ने सरकार बनाई , पहली बार केंद्र में गैर कांग्रेसी सरकार आई


शाह जांच आयोग

  • जनता पार्टी की सरकार ने (MAY – 1977) में शाह जांच आयोग का गठन किया
  • जे . सी . शाहसर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायधीश
  • 25 जून 1975 के आपातकाल में हुई अति, कदाचार, सत्ता का दुरुपयोग
  • आयोग ने विभिन्न साक्ष्यों की जांच की
  • हजारों गवाहों के बयान दर्ज किए
  • इंदिरा गांधी का बयान लेने का प्रयास किया पर इंदिरा ने कोई बयान नहीं दिया


पहली गैर - कांग्रेसी सरकार

  • 1977 का चुनाव जनता पार्टी जीत गई लेकिन उस में तालमेल नहीं था
  • प्रधानमंत्री पद के लिए होड़ मच गई मोरारजी देसाई, चरण सिंह, जगजीवन राम तीनों प्रधानमंत्री बनना चाहते थे
  • इनके बीच विवाद हुआ लेकिन अंत में मोरारजी देसाई को प्रधानमंत्री बना दिया गया
  • मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री बन गए , पर पार्टी में खींचतान बना रहा
  • पार्टी के आलोचकों ने कहा कि जनता पार्टी के पास किसी दिशा, नेतृत्व, कार्यक्रम का अभाव है
  • जनता पार्टी कुछ समय बाद बिखर गई
  • मोरारजी देसाई की सरकार केवल 18 महीने में गिर गई
  • दूसरी सरकार कांग्रेस के समर्थन से बनी चरण सिंह को प्रधानमंत्री बनाया गया लेकिन कांग्रेस ने बाद में समर्थन वापस लिया मात्र 4 महीने में चरण सिंह की सरकार गिर गई


1980 के मध्यवर्ती चुनाव 

  • 1980 के जनवरी में लोकसभा के चुनाव कराए गए
  • इस चुनाव में जनता पार्टी बुरी तरीके से हार गई
  • कांग्रेस ने 353 सीटें जीती
  • सरकार अगर अस्थिर हो उसके भीतर कलह हो , तो मतदाता ऐसी सरकार को भारी दंड देते हैं
  • 1977 के बाद पिछड़े वर्गों की भलाई का मुद्दा भारतीय राजनीति पर हावी होने लगा था
  • बिहार में ओबीसी आरक्षण पर शोर मचा
  • इसके बाद जनता पार्टी की सरकार ने मंडल आयोग की नियुक्ति की


मण्डल आयोग

1. अध्यक्ष बिन्देश्वरी प्रशाद मण्डल.

2. कार्य आयोग को पिछड़ी जाति के बारे में कार्य दिए.


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