Chapter 2
विश्व जनसंख्या - वितरण, घनत्व और वृद्धि
👉 यह जानना आवश्यक है कि किसी देश में कितनी स्त्रियाँ और पुरुष हैं, प्रतिवर्ष कितने बच्चे जन्म लेते हैं, कितने लोगों की मृत्यु होती है और कैसे? क्या वे नगरों में रहते हैं अथवा गाँवों में? क्या वे पढ़ और लिख सकते हैं तथा वे क्या काम करते हैं?
👉विश्व की जनसंख्या असमान रूप से वितरित है। एशिया की जनसंख्या जॉर्ज बी. क्रेसी के अनुसार -"एशिया में बहुत अधिक स्थानों पर कम लोग और कम स्थानों पर बहुत अधिक लोग रहते हैं।" विश्व के जनसंख्या वितरण प्रारूप के संबंध में भी यह सत्य है।
विश्व में जनसँख्या वितरण का प्रारूप
- 'जनसंख्या वितरण' शब्द का अर्थ भूपृष्ठ पर, लोग किस प्रकार वितरित हैं मोटे तौर पर विश्व की जनसंख्या
- का 90 प्रतिशत, इसके 10 प्रतिशत, स्थलभाग में निवास करता है।
- विश्व के दस सर्वाधिक आबाद देशों में विश्व की लगभग 60 प्रतिशत जनसंख्या निवास करती है
- इन दस देशों में से छ: एशिया में हैं।
जनसंख्या का घनत्व
- प्रति वर्ग किलोमीटर रहने वाले लोगों की संख्या
- भूमि की प्रत्येक इकाई में उस पर रह रहे लोगों के पोषण की सीमित क्षमता होती है। अतः लोगों की संख्या और भूमि के आकार के बीच अनुपात को समझना आवश्यक है। यही अनुपात जनसंख्या का घनत्व है।
जनसँख्या वितरण को प्रभावित करने वाला कारक
1. भौगोलिक कारक
2. आर्थिक कारक
3. सामजिक सांस्कृतिक कारक
1. भौगोलिक कारक चार प्रकार के है
1. जल :- लोग ऐसी जगह पर बसना पसंद करते हैं जहाँ जल आसानी से उपलब्ध हो इसीलिए दुनिया
में नदी घाटी सघन जनसँख्या वाला क्षेत्र
होता है
2. भू-आकृति :- लोग समतल स्थान पर बसना पसंद करते हैं सड़क निर्माण और उद्योगों के लिए अनुकूल होते हैं। क्योंकि पहाडी , पथरीले क्षेत्र में लोग कम रहना पसंद करते हैं
3. जलवायु :- अधिक ऊष्ण अथवा ठंडे मरुस्थलों की विषम जलवायु मानव बसाव के लिए असुविधाजनक होती है। लोग सुविधाजनक जलवायु वाले क्षेत्र में रहना पसंद करते हैं
4. मृदा :- उपजाऊ मृदाएँ कृषि के लिए महत्त्वपूर्ण हैं इसलिए उपजाऊ दोमट मिट्टी वाले प्रदेशों में अधिक लोग निवास करते हैं क्योंकि ये मृदाएँ गहन कृषि का आधार बन सकती हैं।
2. आर्थिक कारक तिन प्रकार के है
1. खनिज :- खनिज से युक्त क्षेत्र उद्योगों को आकृष्ट करते हैं खनन और औद्योगिग गतिविधियाँ रोजगार उत्पन्न करते हैं कुशल एवं अर्धकुशल कर्मी इन क्षेत्रों मेपहुँचते हैं और जनसंख्या को सघन बना देते हैं।अफ्रीका कटंगा, जांबिया ताँबा पेटी
2. नगरीकरण :- रोजगार के बेहतर अवसर, शैक्षणिक व चिकित्सा संबंधी सुविधाएँ परिवहन और संचार के बेहतर साधन अच्छी नागरिक सुविधाएँ तथा नगरीय जीवन के आकर्षण लोगों को नगरों की ओर खींचते हैं। इससे ग्रामीण क्षेत्रों से नगरीय क्षेत्रों में प्रवास होता है और नगर आकार में बढ़ जाते हैं।
3. औद्योगीकरण :- औद्योगीकरण औद्योगिक पेटियाँ रोजगार के अवसर उपलब्ध कराती हैं और बड़ी संख्या में लोगों को आकर्षित करती हैं। इनमें केवल कारखानों के श्रमिक ही नहीं होते बल्कि परिवहन परिचालक, दुकानदार, बैंककर्मी, डॉक्टर, अध्यापक तथा अन्य सेवाएँ उपलब्ध कराने वाले भी होते हैं। जापान का कोबे-ओसाका प्रदेश अनेक उद्योगों की उपस्थिति के कारण सघन बसा हुआ है।
3. सामजिक सांस्कृतिक कारक
- कुछ स्थान धार्मिक अथवा सांस्कृतिक महत्त्व के कारण अधिक लोगों को आकर्षित करते हैं।
- इसी प्रकार लोग उन क्षेत्रों को छोड़ कर चले जाते हैं जहाँ सामाजिक और राजनीतिक अशांति होती है।
- कई बार सरकारें लोगों को विरल जनसंख्या वाले क्षेत्रों में बसने अथवा भीड़-भाड़ वाले स्थानों से चले जाने के लिए प्रोत्साहन देती हैं।
जनसँख्या वृद्धि
- जनसंख्या वृद्धि / जनसंख्या परिवर्तन का अभिप्राय किसी क्षेत्र में समय की किसी निश्चित अवधि के दौरान बसे हुए लोगों की संख्या में परिवर्तन से है।
- यह परिवर्तन धनात्मक भी हो सकता है और ऋणात्मक भी।
- इसे प्रतिशत के रूप में अभिव्यक्त किया जा सकता है।
- जनसंख्या परिवर्तन किसी क्षेत्र की अर्थिक प्रगति, सामाजिक उत्थान, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि का महत्त्वपूर्ण सूचक होता है।
जनसंख्या की धनात्मक वृद्धि और ऋणात्मक वृद्धि
- जनसंख्या की धनात्मक वृद्धि दर-किन्ही दो समय अंतरालों के बीच जब जन्म दर, मृत्यु दर से अधिक हो जाती है, तब वह जनसंख्या की धनात्मक वृद्धि दर कहलाती है।
- जनसंख्या की ऋणात्मक वृद्धि दर-किन्हीं दो समय अंतरालों के बीच जब जन्मदर, मृत्यु दर से कम हो जाती है, तब वह जनसंख्या की ऋणात्मक वृद्धि दर कहलाती है। जनसंख्या की धनात्मक वृद्धि और ऋणात्मक वृद्धि
जनसंख्या परिवर्तन के घटक
1. जन्म दर - अशोधित जन्म दर (CBR) को प्रति हज़ार स्त्रियों द्वारा जन्म दिए जीवित बच्चों के रूप में व्यक्त किया जाता है।
2. मृत्यु दर - अशोधित मृत्यु दर को किसी क्षेत्र विशेष में किसी वर्ष के दौरान प्रति हजार जनसंख्या के पीछे मृतकों की संख्या के रूप में अभिव्यक्त किया जाता है।
3. प्रवास - जब लोग एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते हैं तो वह स्थान जहाँ से लोग गमन करते हैं उद्गम स्थान कहलाता है और जिस स्थान में आगमन करते हैं वह गंतव्य स्थान कहलाता है। उद्गम स्थान जनसंख्या में कमी को दर्शाता है जबकि गंतव्य स्थान पर जनसंख्या बढ़ जाती है।
प्रवास स्थायी, अस्थायी अथवा मौसमी हो सकता है।
- यह गाँव से गाँव
- गाँव से नगर
- नगर से नगर
- नगर से गाँव की ओर हो सकता है।
- आप्रवास - प्रवासी जो किसी नए स्थान पर जाते हैं, आप्रवासी कहलाते हैं।
- उत्प्रवास - प्रवासी जो एक स्थान से बाहर चले जाते हैं, उत्प्रवासी कहलाते हैं।
प्रवास को प्रभावित करने वाले कारक
- प्रतिकर्ष कारक
- अपकर्ष कारक
प्रतिकर्ष कारक (-)
1) रहन – सहन की निम्न दशाएँ
2) राजनैतिक अस्थिरता
3) प्रतिकूल जलवायु
4) प्राकृतिक विपदाएँ
5) महामारियाँ
6) आर्थिक पिछड़ापन
अपकर्ष कारक (+)
1) काम के बेहतर अवसर
2) रहन-सहन की अच्छी दशाएँ
3) शान्ति व स्थायित्व
4) अनुकूल जलवायु
5) जीवन व सम्पत्ति की सुरक्षा
जनांकिकिय संक्रमण सिद्धांत
जनांकिकीय संक्रमण सिद्धांत का उपयोग किसी क्षेत्र की जनसंखया वर्णन तथा भविष्य की जनसंख्या के पूर्वानुमान के लिए किया जा सकता है
प्रथम अवसरा
- उच्च जन्म
दर तथा उच्च मृत्यु दर । धीमी
जनसंख्या दर ज्यादातर
लोग खेती का काम करते है जीवन
प्रत्याशा कम होती है लोग अधिकार
अशिक्षित होते है
द्वितीय अवस्था
- प्रारंभ में
उच्च प्रजननशीलता समय के साथ
प्रजनशीलता स्वास्थ्य
सम्बन्धी दशाओं में सुधार ।
तृतीय अवस्था
- जन्म पर एवं
मृत्यु पर दोनों घट जाती है। जनसंख्या या
तो स्थिर हो जाती मा धीमी गति से बढती जनसंख्या
नगरीय तथा शिशित हो जाती है। तकनीकी
ज्ञान हो जाता है
निष्कर्ष
- आत: यह कहा
जाता है की जनांकिकीय सिद्धांत से भविष्य की जनसंख्या का पूर्व अनुमान लगाया जा
सकता है
जनसँख्या वृद्धि से होने वाली समस्याएं :-
- संसाधनों पर दबाव
- प्रदूषण
- विकास में बाधा
- भरण पोषण की समस्या
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