पहलवान की ढोलक Important Short and Long Question Class 12 Chapter-13 Book-1
0Team Eklavyaमार्च 01, 2025
प्रश्न 1. 'पहलवान की ढोलक' कहानी का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर:
इस कहानी का मुख्य उद्देश्य संघर्ष, साहस, और आत्मबलिदान की भावना को उजागर करना है। यह कहानी दिखाती है कि कठिन परिस्थितियों में भी इंसान को हार नहीं माननी चाहिए और जीवन में हिम्मत और धैर्य के साथ आगे बढ़ना चाहिए।
प्रश्न 2. पहलवान लुट्टन सिंह की ढोलक का गाँव के लोगों पर क्या प्रभाव था?
उत्तर:
जब गाँव मलेरिया और हैजे जैसी बीमारियों से जूझ रहा था, तब पहलवान की ढोलक की आवाज़ "चट-धा, गिड़-धा" गाँव में साहस और ऊर्जा भर देती थी।
उसकी ढोलक की गूंज ने लोगों को डर और निराशा से बाहर निकालकर संघर्ष के लिए प्रेरित किया।
प्रश्न 3. लुट्टन सिंह का बचपन और प्रारंभिक जीवन कैसा था?
उत्तर:
लुट्टन बचपन में अनाथ हो गया था।
उसकी विधवा सास ने उसे पाला और उसे एक अच्छा जीवन देने का प्रयास किया।
वह कड़ी मेहनत, कसरत, और संघर्ष से गाँव का सबसे बड़ा पहलवान बनने का सपना देखने लगा।
प्रश्न 4. श्यामनगर के मेले में लुट्टन सिंह ने क्या साहसिक कार्य किया?
उत्तर:
उसने नामी पहलवान चाँद सिंह (जिसे 'शेर का बच्चा' कहा जाता था) को चुनौती दी।
राजा श्यामानंद ने उसे रोकने की कोशिश की, लेकिन उसकी जिद और आत्मविश्वास ने उसे लड़ने का मौका दिलाया।
अपनी हिम्मत और ढोलक की प्रेरणा से लुट्टन ने चाँद सिंह को हराया और सम्मान और प्रतिष्ठा अर्जित की।
प्रश्न 5. लुट्टन सिंह को 'लुट्टन सिंह पहलवान' की उपाधि कैसे मिली?
उत्तर:
राजा श्यामानंद ने उसे अपने दरबार में स्थान दिया, जिससे वह 'लुट्टन सिंह पहलवान' के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
उसने कई बड़े पहलवानों को हराया और अपनी कुश्ती कला से ख्याति अर्जित की।
प्रश्न 6. लुट्टन सिंह को गाँव वापस क्यों लौटना पड़ा?
उत्तर:
नए राजा ने पहलवानी को दरबार से हटा दिया, जिससे लुट्टन को दरबार छोड़ना पड़ा।
वह अपने दोनों बेटों के साथ गाँव लौट आया और युवाओं को पहलवानी सिखाने लगा।
उसने ढोलक बजाकर गाँव के लोगों को साहस और हिम्मत का पाठ पढ़ाया।
प्रश्न 7. गाँव में कौन-कौन सी प्राकृतिक आपदाएँ आईं?
उत्तर:
गाँव में अनावृष्टि (सूखा), महामारी (मलेरिया), और भूखमरी का प्रकोप हुआ।
इस संकट ने पूरे गाँव को तबाही और निराशा में डाल दिया।
प्रश्न 8. पहलवान लुट्टन सिंह को व्यक्तिगत रूप से कौन-सी त्रासदी झेलनी पड़ी?
उत्तर:
उसके दोनों बेटे मलेरिया की चपेट में आकर चल बसे।
लेकिन उसने अपनी हिम्मत नहीं छोड़ी और गाँववालों को ढोलक बजाकर प्रेरित करता रहा।
प्रश्न 9. लुट्टन सिंह की मृत्यु कैसे हुई और उसकी अंतिम इच्छा क्या थी?
उत्तर:
अत्यधिक संघर्ष और मानसिक पीड़ा के कारण अंततः वह भी जीवन से हार गया।
उसकी अंतिम इच्छा थी कि उसे पेट के बल चिता पर सुलाया जाए और उसकी ढोलक बजाकर उसे विदाई दी जाए।
प्रश्न 10. इस कहानी से पाठकों को क्या शिक्षा मिलती है?
उत्तर:
संघर्ष और आत्मविश्वास से हर कठिनाई को पार किया जा सकता है।
हिम्मत और प्रेरणा दूसरों के जीवन को भी बदल सकती है।
त्याग और बलिदान जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
व्यक्ति को विपरीत परिस्थितियों में भी हार नहीं माननी चाहिए।
सच्चा साहस वही है जो दूसरों को भी प्रेरित करे।
प्रश्न 11. 'पहलवान की ढोलक' शीर्षक का प्रतीकात्मक अर्थ क्या है?
उत्तर:
ढोलक लुट्टन सिंह की हिम्मत, संघर्ष, और प्रेरणा का प्रतीक है।
यह सिर्फ एक वाद्य यंत्र नहीं, बल्कि गाँव के लोगों के लिए साहस और जज़्बे की निशानी थी।
उसकी मृत्यु के बाद भी ढोलक की आवाज़ उसकी जीवटता और संघर्ष की कहानी कहती रही।
प्रश्न 12. कहानी में कौन-कौन से सामाजिक मुद्दे उठाए गए हैं?
उत्तर:
1. ग़रीबी और संघर्ष – लुट्टन का जीवन कठिनाइयों से भरा था।
2. हिम्मत और आत्मनिर्भरता – उसने कभी हार नहीं मानी।
3. सामाजिक परिवर्तनों का प्रभाव – पहलवानी का दरबार से हटना और नई चुनौतियाँ।
4. त्याग और बलिदान – अपने बेटों की मृत्यु के बाद भी गाँव के लिए जीना।
5. प्रेरणा और नेतृत्व – ढोलक बजाकर लोगों को हिम्मत देना।
संक्षेप में 'पहलवान की ढोलक' का सार:
लुट्टन सिंह का संघर्षपूर्ण जीवन और पहलवान बनने की यात्रा।
राजदरबार में ख्याति, फिर दरबार से पहलवानी हटने के बाद गाँव लौटना।
गाँव की कठिनाइयों और बेटों की मृत्यु के बावजूद हिम्मत बनाए रखना।
ढोलक के माध्यम से पूरे गाँव को साहस और जीवटता का संदेश देना।
अंत में मृत्यु के बावजूद उसकी ढोलक की आवाज़ उसकी जीवटता की अमर पहचान बनी।