Editor Posts footer ads

मेरे तो गिरधर गोपाल. दूसरो न कोई Important Short and Long Question Class 11 Book-Aroh Poem-2

मेरे तो गिरधर गोपाल. दूसरो न कोई Important Short and Long Question Class 11 Book-Aroh Poem-2


लघु प्रश्न-उत्तर (Short Questions & Answers)


1. मीरा का जन्म कब और कहाँ हुआ था?

उत्तर: 

मीरा का जन्म 1498 में राजस्थान के मारवाड़ के कुड़की गाँव में हुआ था।


2. मीरा किस भक्ति धारा से संबंधित थीं?

उत्तर: 

मीरा सगुण भक्ति धारा की प्रमुख कवयित्री थीं।


3. मीरा के गुरु कौन माने जाते हैं?

उत्तर: 

संत रैदास मीरा के गुरु माने जाते हैं।


4. मीरा ने अपने जीवन में किन सामाजिक बंधनों का विरोध किया?

उत्तर: 

मीरा ने जाति प्रथा, कुल-मर्यादा, लोकलाज और स्त्रियों पर लगाए गए सामाजिक प्रतिबंधों का विरोध किया।


5. मीरा ने अपने भक्ति भाव में कृष्ण को क्या माना?

उत्तर: 

मीरा ने कृष्ण को ही अपना पति और आराध्य देव माना।


6. मीरा अपने जीवन के अंतिम समय में कहाँ चली गईं?

उत्तर: 

मीरा अपने अंतिम समय में द्वारका चली गईं, जहाँ माना जाता है कि वे कृष्ण की मूर्ति में समाहित हो गईं।


7. मीरा की कविता का मुख्य विषय क्या था?

उत्तर: 

मीरा की कविता में कृष्ण प्रेम, भक्ति, विरह, आत्मसमर्पण और लोकलाज का त्याग प्रमुख विषय हैं।


8. मीरा की भक्ति का समाज पर क्या प्रभाव पड़ा?

उत्तर: 

मीरा की भक्ति ने स्त्री स्वतंत्रता, सामाजिक रूढ़ियों के विरोध और भक्ति आंदोलन को मजबूत किया।


दीर्घ प्रश्न-उत्तर (Long Questions & Answers)


1. मीरा का जीवन और भक्ति पर विस्तृत टिप्पणी करें।

उत्तर:

मीरा का जन्म 1498 में मारवाड़ के कुड़की गाँव में हुआ था। वे कृष्ण की अनन्य भक्त थीं और सगुण भक्ति धारा से जुड़ी थीं। उनके गुरु संत रैदास माने जाते हैं। मीरा ने समाज की रूढ़ियों, जाति भेद, स्त्री पर लगाए गए बंधनों और कुल-मर्यादा का त्याग कर कृष्ण को ही अपना सर्वस्व माना। उन्होंने लोकलाज की परवाह किए बिना भक्ति का मार्ग अपनाया। वे चित्तौड़, वृंदावन और अंततः द्वारका चली गईं, जहाँ माना जाता है कि वे कृष्ण की मूर्ति में समाहित हो गईं। उनकी कविता में प्रेम, विरह, भक्ति और आत्मसमर्पण के गहरे भाव व्यक्त हुए हैं।


2. मीरा के प्रस्तुत पद का मुख्य संदेश क्या है?

उत्तर:

इस पद में मीरा ने कृष्ण के प्रति अपनी अनन्य भक्ति व्यक्त की है। वे कहती हैं कि गिरधर गोपाल (कृष्ण) के अलावा उनके लिए कोई दूसरा नहीं है। समाज ने उन्हें त्याग दिया, लेकिन उन्होंने इसकी परवाह नहीं की। वे संतों के साथ बैठकर कृष्ण प्रेम में लीन हो गईं और सांसारिक लोकलाज छोड़ दी। उन्होंने अपने प्रेम को एक बेल (लता) की तरह बताया, जिसे आँसुओं से सींचा और अब वह आनंद का फल दे रही है। इस पद का मुख्य संदेश यह है कि सच्ची भक्ति प्रेम और त्याग से फलती-फूलती है और सांसारिक लोग इसे नहीं समझ सकते।


3. मीरा का सामाजिक दृष्टिकोण क्या था?

उत्तर:

मीरा ने अपने जीवन में सामाजिक बंधनों का कड़ा विरोध किया। वे स्त्री स्वतंत्रता की पक्षधर थीं और उन्होंने कुल-मर्यादा, जाति-प्रथा, पर्दा प्रथा और सामाजिक लोकलाज को नकार दिया। वे मानती थीं कि सच्चा प्रेम और भक्ति किसी बंधन में नहीं बंधी होती। उन्होंने संतों के साथ सत्संग को ज्ञान प्राप्ति का मार्ग बताया और किसी भी निंदा या विरोध से विचलित नहीं हुईं। उनकी भक्ति ने स्त्रियों को सामाजिक बंधनों से मुक्ति दिलाने में अहम भूमिका निभाई।


4. मीरा की भक्ति में त्याग और समर्पण की भावना को स्पष्ट करें।

उत्तर:

मीरा की भक्ति त्याग और समर्पण का उत्कृष्ट उदाहरण है। उन्होंने कृष्ण को पति के रूप में स्वीकार कर समाज की परंपराओं को तोड़ा। राजमहल छोड़कर साधुओं और संतों के संग रहने लगीं। उन्होंने संपत्ति, परिवार, लोकलाज और कुल-मर्यादा का त्याग कर भक्ति को ही अपना जीवन बना लिया। उनकी कविताओं में वे अपना सर्वस्व कृष्ण को समर्पित कर देती हैं और सांसारिक मोह से दूर रहने की प्रेरणा देती हैं। उनका त्याग न केवल भक्ति का आदर्श प्रस्तुत करता है, बल्कि स्त्री सशक्तिकरण का भी प्रतीक है।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Ok, Go it!