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हुसैन की कहानी अपनी ज़बानी Chapter-1 Class 11 Book-Antral Chapter wise Summary

हुसैन की कहानी अपनी ज़बानी Chapter-1 Class 11 Book-Antral Chapter wise Summary


बचपन और बोर्डिंग स्कूल

  • मकबूल के दादा के निधन के बाद वह उदास रहने लगा, इसलिए अब्बा ने उसे बड़ौदा के बोर्डिंग स्कूल भेज दिया।
  • स्कूल की देखरेख जी.एम. हकीम अब्बास तैयबजी करते थे, जो गांधी जी के अनुयायी थे।
  • यहाँ के छात्र गांधी टोपी और खादी के कपड़े पहनते थे।


शिक्षक और दोस्त

  • स्कूल में कई शिक्षक थे, जैसे मौलवी अकबर (धार्मिक शिक्षा), केशवलाल (गुजराती), और मेजर अब्दुल्ला पठान (स्काउट मास्टर)।
  • मकबूल की छह अच्छे दोस्तों से गहरी दोस्ती हुई, जो बाद में अलग-अलग रास्तों पर चले गए – व्यापारी, रेडियो उद्घोषक, धार्मिक नेता, कलाकार आदि बने।


मकबूल की कला और खेल में रुचि

  • हाई जंप में पहला इनाम जीता, लेकिन दौड़ में अच्छा नहीं कर सका।
  • चित्रकला में निपुण – चिड़िया की हूबहू नकल बनाकर 10 में से 10 अंक मिले।
  • गांधी जयंती पर गांधी जी का पोर्ट्रेट बनाकर शिक्षकों को प्रभावित किया।
  • भाषण कला में भी अच्छा था और जलसे में ज्ञान (इल्म) पर शानदार भाषण दिया।


व्यापार से ज्यादा कला में रुचि

  • मकबूल को चाचा की दुकान पर बैठने भेजा गया, लेकिन उसे व्यापार में कोई रुचि नहीं थी।
  • वह दुकान पर बैठकर मजदूरों, घूँघट वाली औरतों, पठानों आदि के स्केच बनाता।
  • उसने अपनी भूगोल और इतिहास की किताबें बेचकर ऑयल पेंटिंग का सामान खरीदा और पहली ऑयल पेंटिंग बनाई।
  • चाचा नाराज हुए, लेकिन अब्बा ने मकबूल को गले लगाकर उसका हौसला बढ़ाया।


बेंद्रे से मुलाकात और कला में आगे बढ़ना

  • मकबूल की मुलाकात प्रसिद्ध चित्रकार बेंद्रे से हुई, जिन्होंने उसे लैंडस्केप पेंटिंग सिखाई।
  • बेंद्रे की 'वैगबांड' पेंटिंग को बंबई आर्ट सोसाइटी ने चाँदी का मेडल दिया।
  • मकबूल ने बेंद्रे को अपने घर बुलाया, जहाँ अब्बा ने उसकी कला को स्वीकार किया और ऑयल पेंटिंग का सामान मंगवाया।


निष्कर्ष

मकबूल को अपने अब्बा का पूरा समर्थन मिला। उन्होंने समाज की परंपराओं को तोड़ते हुए कहा –

  • "बेटा जाओ, और जिंदगी को रंगों से भर दो।"

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