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भारतीय समाजशास्त्री Important Short and Long Question Class 11 Chapter-3 Book-2

भारतीय समाजशास्त्री Important Short and Long Question Class 11 Chapter-3 Book-2


1. भारत में समाजशास्त्र की औपचारिक शिक्षा कब और कहाँ प्रारंभ हुई?

उत्तर: 

भारत में समाजशास्त्र की औपचारिक शिक्षा 1919 ई. में बंबई विश्वविद्यालय में प्रारंभ हुई। इसके बाद 1920 में कलकत्ता और लखनऊ विश्वविद्यालयों ने भी समाजशास्त्र और मानवविज्ञान की शिक्षा शुरू की।


2. भारतीय समाजशास्त्र के विकास के दौरान किन महत्वपूर्ण प्रश्नों का सामना करना पड़ा?

उत्तर:

  • पाश्चात्य समाजशास्त्र आधुनिकता को समझने के लिए विकसित हुआ, तो भारत में इसकी क्या भूमिका होगी?
  • मानवविज्ञान यूरोपीय समाजों में आदिम संस्कृतियों को समझने के लिए विकसित हुआ, तो भारत में इसकी प्रासंगिकता क्या होगी?
  • भारत एक नव-स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में नियोजित विकास और लोकतंत्र की ओर बढ़ रहा था, तो समाजशास्त्र इसमें क्या योगदान दे सकता है?


3. श्री एल. के. अनन्तकृष्ण अय्यर का भारतीय समाजशास्त्र में क्या योगदान था?

उत्तर:

  • वे पहले शिक्षित मानवविज्ञानी थे जिन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय ख्याति मिली।
  • उन्होंने भारत के पहले स्नातकोत्तर मानवविज्ञान विभाग की स्थापना में मदद की।
  • उन्हें इंडियन साइंस कांग्रेस के नृजातीय विभाग का अध्यक्ष चुना गया।
  • जर्मनी के एक विश्वविद्यालय ने उन्हें डॉक्टरेट की उपाधि दी।


4. शरत चंद्र राय का समाजशास्त्र में क्या योगदान था?

उत्तर:

  • वे मूलतः कानूनविद् थे लेकिन बाद में मानवविज्ञानी बन गए।
  • उन्होंने जनजातीय समाजों पर गहन अध्ययन किया, विशेष रूप से छोटा नागपुर क्षेत्र पर।
  • 1922 में उन्होंने "मैन इन इंडिया" नामक पत्रिका की स्थापना की, जो आज भी प्रकाशित होती है।


5. गोविंद सदाशिव घुर्ये को भारतीय समाजशास्त्र में किसलिए जाना जाता है?

उत्तर:

वे भारतीय समाजशास्त्र के संस्थापक माने जाते हैं।

उन्होंने बंबई विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र विभाग स्थापित किया और 35 वर्षों तक उसे चलाया।

उन्होंने "इंडियन सोशियोलॉजिकल सोसायटी" की स्थापना की और "सोशियोलॉजिकल बुलेटिन" नामक पत्रिका निकाली।

उनकी पुस्तक "कास्ट एंड रेस इन इंडिया" जाति और प्रजाति पर किए गए महत्वपूर्ण शोधों में से एक है।


6. घुर्ये के अनुसार जाति की क्या विशेषताएँ हैं?

उत्तर:

  • जाति खंडीय विभाजन पर आधारित है।
  • जाति का निर्धारण जन्म से होता है।
  • जाति की सदस्यता केवल जन्म के आधार पर मिलती है।
  • जाति सोपानिक (hierarchical) व्यवस्था पर आधारित होती है।
  • जाति सामाजिक अंतःक्रिया पर प्रतिबंध लगाती है।
  • जाति व्यवसाय के चुनाव को सीमित कर देती है।


7. ध्रुजटि प्रसाद मुखर्जी ने भारतीय समाजशास्त्र में क्या योगदान दिया?

उत्तर:

  • उन्होंने समाजशास्त्र से पहले इतिहास और अर्थशास्त्र का अध्ययन किया।
  • उन्होंने "इंट्रोडक्शन टू इंडियन म्यूजिक" नामक महत्वपूर्ण पुस्तक लिखी।
  • उनका मानना था कि भारतीय समाज की संरचना समूहों और परंपराओं पर आधारित है, न कि व्यक्तिवाद पर।
  • उन्होंने भारतीय समाजशास्त्री की प्राथमिक आवश्यकता भारतीय परंपराओं को समझना बताया।


8. भारतीय समाज में परिवर्तन के तीन सिद्धांत कौन-कौन से हैं?

उत्तर:

1. श्रुति – धार्मिक और शास्त्रीय परंपराएँ।

2. स्मृति – लिखित और प्रचलित सामाजिक नियम।

3. अनुभव – सामूहिक अनुभवों से उत्पन्न परिवर्तन।


9. अक्षय रमनलाल देसाई का भारतीय समाजशास्त्र में क्या योगदान था?

उत्तर:

  • वे एक मार्क्सवादी विचारक थे।
  • उनकी थीसिस "द सोशल बैकग्राउंड ऑफ इंडियन नेशनलिज्म" बहुत प्रसिद्ध हुई।
  • वे "इंडियन सोशयोलॉजिकल सोसायटी" के अध्यक्ष रहे।
  • उन्होंने आधुनिक पूंजीवादी राज्य की आलोचना की और "द मिथ ऑफ़ द वेलफेयर स्टेट" नामक निबंध लिखा।


10. मैसूर नरसिंहाचार श्रीनिवास (M.N. Srinivas) ने भारतीय समाजशास्त्र में क्या योगदान दिया?

उत्तर:

  • उन्होंने "संस्कृतिकरण (Sanskritization)" और "पश्चिमीकरण (Westernization)" की अवधारणाएँ दीं।
  • उन्होंने भारतीय गाँवों का गहन अध्ययन किया और गाँवों को सामाजिक परिवर्तन की इकाई माना।
  • उन्होंने "रिलीजन एंड सोसायटी एमंग द कुर्गस ऑफ साउथ इंडिया" नामक प्रसिद्ध शोध ग्रंथ लिखा।
  • उन्होंने दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में समाजशास्त्र विभाग की स्थापना की।


11. श्रीनिवास के अनुसार भारतीय गाँव की क्या विशेषताएँ हैं?

उत्तर:

गाँव एक सामाजिक पहचान है।

गाँव ऐतिहासिक रूप से सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक रूप से जुड़े होते हैं।

गाँव आत्मनिर्भर नहीं होते, बल्कि व्यापक संरचनाओं से जुड़े होते हैं।

स्वतंत्रता के बाद गाँवों में तेजी से सामाजिक परिवर्तन हुआ।


12. लुई ड्यूमों का जाति के बारे में क्या विचार था?

उत्तर:

  • उन्होंने कहा कि जाति एक सामाजिक संस्था है, जबकि गाँव केवल रहने का स्थान है।
  • जाति व्यवस्था व्यक्ति के पूरे जीवन को प्रभावित करती है।
  • जाति और धर्म की भूमिका गाँव की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण होती है।


13. समाजशास्त्र और सामाजिक मानवविज्ञान में क्या अंतर है?

उत्तर:

  • समाजशास्त्र मुख्य रूप से आधुनिक समाजों और उनकी संरचनाओं का अध्ययन करता है।
  • सामाजिक मानवविज्ञान पारंपरिक, जनजातीय और आदिवासी समाजों के अध्ययन पर अधिक केंद्रित रहता है।


14. भारतीय समाजशास्त्र में गाँवों के अध्ययन का क्या महत्व है?

उत्तर:

  • भारतीय जनसंख्या का एक बड़ा भाग गाँवों में रहता है।
  • गाँव भारत की सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक संरचना का आधार हैं।
  • स्वतंत्रता के बाद सामाजिक परिवर्तन को समझने के लिए गाँवों का अध्ययन आवश्यक था।


15. समाजशास्त्र भारत में कैसे विकसित हुआ?

उत्तर:

  • प्रारंभ में यह विषय पश्चिमी सिद्धांतों पर आधारित था।
  • 1920-1950 के दौरान भारतीय संदर्भों में इसे ढालने का प्रयास किया गया।
  • 1950 के बाद यह एक स्वतंत्र विषय के रूप में उभरा, जिसमें भारतीय समाज के विभिन्न पहलुओं का गहन अध्ययन किया गया।


16. भारतीय समाजशास्त्र में मुख्य रूप से किन पहलुओं का अध्ययन किया जाता है?

उत्तर:

  • जाति व्यवस्था और सामाजिक विभाजन।
  • ग्रामीण और शहरी समाज का अध्ययन।
  • भारतीय समाज में परिवर्तन और आधुनिकीकरण।
  • सामाजिक आंदोलनों और सुधारों का प्रभाव।


17. समाजशास्त्र और राजनीति का क्या संबंध है?

उत्तर:

  • समाजशास्त्र राजनीति को सामाजिक संरचना के रूप में देखता है।
  • राजनीतिक व्यवस्था समाज की संरचना को नियंत्रित और प्रभावित करती है।
  • राज्य और समाज की भूमिका को समझने के लिए समाजशास्त्र आवश्यक है।


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