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वस्त्र एवं परिधान के लिए डिज़ाइन Important Short and Long Questions Class 12 Chapter-8 Home Science Book-2

वस्त्र एवं परिधान के लिए डिज़ाइन Important Short and Long Questions Class 12 Chapter-8 Home Science Book-2


1. डिज़ाइन का क्या अर्थ है और इसका क्या महत्त्व है?

उत्तर:

डिज़ाइन का अर्थ है चीज़ों की कल्पना, योजना बनाना और उन्हें इस तरह बनाना कि वे लोगों की जरूरतों और अपेक्षाओं को पूरा करें। यह केवल सुंदरता तक सीमित नहीं है, बल्कि उपयोगिता और कार्यक्षमता का भी मेल होता है। डिज़ाइन का महत्त्व इस प्रकार है:

1. सौंदर्य और उपयोगिता – एक अच्छा डिज़ाइन न केवल सुंदर होता है, बल्कि कार्यात्मक भी होता है।

2. व्यक्तिगत और व्यावसायिक प्रभाव – परिधान, वास्तुकला, ग्राफिक और उत्पाद डिज़ाइन के रूप में हमारे जीवन के हर हिस्से में इसकी भूमिका होती है।

3. सुविधाजनक और प्रभावी उपयोग – सही डिज़ाइन चीज़ों को उपयोग में आसान और प्रभावी बनाता है।


2. डिज़ाइन के दो मुख्य प्रकार कौन-कौन से हैं?

उत्तर:

1. संरचनात्मक डिज़ाइन (Structural Design) – यह डिज़ाइन वस्तु की मूल संरचना पर आधारित होता है, जैसे कपड़े की बुनाई, धागों की गुणवत्ता और रेशों का चयन।

2. अनुप्रयुक्त डिज़ाइन (Applied Design) – यह डिज़ाइन वस्तु की मूल संरचना पर सजावट का कार्य करता है, जैसे कढ़ाई, छपाई और गोटा-पट्टी आदि।


3. डिज़ाइन के कौन-कौन से तत्त्व होते हैं?

उत्तर:

1. रंग (Colour) – किसी डिज़ाइन का सबसे महत्वपूर्ण पहलू, जो भावनाओं को दर्शाता है।

2. बनावट (Texture) – कपड़े या वस्त्र की सतह की विशेषता, जैसे चिकनी, खुरदरी, चमकीली आदि।

3. रेखा (Lines) – डिज़ाइन को दिशा देने और आकृति बनाने में सहायक होती है।

4. आकृति (Shapes) – यह किसी डिज़ाइन की समग्र बनावट और रूप-रेखा तय करता है।


4. रंग संयोजन (Colour Schemes) कितने प्रकार के होते हैं?

उत्तर:

रंग संयोजन दो प्रकार के होते हैं:

संबंधित रंग योजनाएँ (Related Colour Schemes)

1. वर्णी सुमेल (Monochromatic) – एक ही रंग के विभिन्न गहरे-हल्के स्वरूप।

2. अवर्णी सुमेल (Achromatic) – केवल सफेद, काला और धूसर रंग का संयोजन।

3. अनुरूप सुमेल (Analogous) – वर्णचक्र में पास-पास के रंगों का संयोजन।

विषम रंग योजनाएँ (Contrasting Colour Schemes)

1. पूरक सुमेल (Complementary) – वर्णचक्र पर एक-दूसरे के सामने स्थित रंगों का मेल।

2. विभाजित पूरक (Split Complementary) – एक रंग और उसके पूरक रंग के बगल वाले दो रंगों का संयोजन।

3. त्राणात्मक सुमेल (Triadic) – वर्णचक्र पर समान दूरी पर स्थित तीन रंगों का मेल।


5. बुनावट (Texture) क्या होती है और इसके प्रकार कौन-कौन से हैं?

उत्तर:

बुनावट किसी वस्त्र या सतह की बाहरी विशेषता होती है, जिसे देखकर और छूकर महसूस किया जा सकता है।

बुनावट के प्रकार:

1. कैसा दिखता है – चमकीला, मंद, पारदर्शी, चिकना।

2. प्राकृतिक गुण – लहरदार, ढीला, कड़ा, खुरदरा।

3. स्पर्श पर कैसा लगता है – नरम, कठोर, समतल, ऊबड़-खाबड़।


6. रेखा (Lines) कितने प्रकार की होती हैं और उनका प्रभाव क्या होता है?

उत्तर:

रेखाएँ डिज़ाइन का मूलभूत तत्व होती हैं, जो वस्तु की रूपरेखा और गति को दर्शाती हैं।

रेखाओं के प्रकार:

1. ऊर्ध्वाधर रेखाएँ (Vertical Lines) – ऊँचाई और शक्ति का प्रतीक।

2. क्षैतिज रेखाएँ (Horizontal Lines) – स्थिरता और चौड़ाई को दर्शाती हैं।

3. तिरछी रेखाएँ (Diagonal Lines) – नाटकीय और गति का प्रभाव।

4. वक्र रेखाएँ (Curved Lines) – कोमलता और सुंदरता दर्शाती हैं।


7. आकृतियों (Shapes) के कितने प्रकार होते हैं?

उत्तर:

1. प्राकृतिक आकृतियाँ (Natural Shapes) – प्रकृति में पाई जाने वाली आकृतियाँ, जैसे पत्तियाँ, फूल।

2. ज्यामितीय आकृतियाँ (Geometric Shapes) – गणितीय आधार वाली आकृतियाँ, जैसे वृत्त, वर्ग, त्रिभुज।

3. अमूर्त आकृतियाँ (Abstract Shapes) – मनमाने ढंग से बनाई गई आकृतियाँ, जिनका कोई निश्चित आकार नहीं होता।


8. डिज़ाइन के सिद्धांत (Principles of Design) कौन-कौन से हैं?

उत्तर:

1. अनुपात (Proportion) – वस्तु के विभिन्न भागों का संतुलन।

2. संतुलन (Balance) – डिज़ाइन में विभिन्न तत्वों का समुचित वितरण।

3. महत्त्व (Emphasis) – डिज़ाइन का वह भाग जो सबसे पहले ध्यान आकर्षित करता है।

4. आवर्तिता (Repetition) – डिज़ाइन में पैटर्न और रंगों का दोहराव।

5. सामंजस्यता (Harmony) – डिज़ाइन के सभी तत्वों का एक-दूसरे से मेल खाना।


9. वस्त्र डिज़ाइनिंग में कौन-कौन सी तकनीकें इस्तेमाल होती हैं?

उत्तर:

1. कढ़ाई (Embroidery) – धागों, मोतियों और पत्थरों का उपयोग करके कपड़ों को सजाना।

2. छपाई (Printing) – वस्त्रों पर विभिन्न रंगों और डिज़ाइनों की छपाई।

3. गोटा-पट्टी (Zari Work) – पारंपरिक सोने-चाँदी के तारों से किया जाने वाला कार्य।

4. बंधेज और बटिक (Tie & Dye, Batik) – रंगाई की विशेष तकनीकें।


10. डिज़ाइन और वस्त्र डिज़ाइनिंग में करियर के कौन-कौन से अवसर हैं?

उत्तर:

1. फैशन डिज़ाइनर – कपड़ों के नए डिज़ाइन तैयार करना।

2. टेक्सटाइल डिज़ाइनर – वस्त्रों के लिए पैटर्न और प्रिंट बनाना।

3. फुटवियर और एक्सेसरी डिज़ाइनर – जूते, बैग, बेल्ट आदि के डिज़ाइन बनाना।

4. इंटीरियर डिज़ाइनर – घर और व्यावसायिक स्थानों की सजावट और डिज़ाइनिंग।

5. डिज़ाइन कंसल्टेंट – ग्राहकों को उपयुक्त डिज़ाइन के बारे में सलाह देना।


11. इस क्षेत्र में करियर बनाने के लिए कौन-कौन से पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं?

उत्तर:

1. सर्टिफिकेट कोर्स – छोटे अवधि के पेशेवर पाठ्यक्रम।

2. डिप्लोमा कोर्स – विशेष रूप से वस्त्र डिज़ाइन, फैशन डिज़ाइन, और टेक्सटाइल डिज़ाइन में।

3. स्नातक (B.Des, B.Sc. in Fashion Design) – विस्तृत अध्ययन और पेशेवर प्रशिक्षण।

4. स्नातकोत्तर (M.Des, M.Sc. in Textile Design) – उच्च स्तर पर विशेषज्ञता हासिल करने के लिए।

5. एनआईडी (NID), एनआईएफटी (NIFT), और एफटीआईआई (FTII) जैसे प्रमुख संस्थानों में प्रवेश।

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