बनारस, दिशा Important Short and Long Question Class 12 Poem-4 Book-1
Team Eklavya
फ़रवरी 27, 2025
1. ‘बनारस’ (कवि – केदारनाथ सिंह)
1. ‘बनारस’ कविता का मुख्य विषय क्या है?
उत्तर:
- ‘बनारस’ कविता में प्राचीन शहर बनारस की विशेषताओं का सुंदर वर्णन किया गया है।
- यह शहर आस्था, परंपरा और आधुनिकता का मिश्रण है।
- इसमें गंगा, घाट, मंदिरों, भिखारियों और यहाँ की धीमी लेकिन गहरी जीवनशैली को दर्शाया गया है।
- यह कविता बनारस के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक वातावरण का परिचय देती है।
2. कवि ने बनारस में वसंत के आगमन को कैसे व्यक्त किया है?
उत्तर:
- कवि कहते हैं कि बनारस में वसंत अचानक आता है।
- जब वसंत आता है, तो लहरतारा और मडुवाडीह की ओर से धूल का बवंडर उठता है।
- इस समय शहर की जीभ किरकिराने लगती है, यानी हवा में धूल भर जाती है।
- यह दर्शाता है कि बनारस का वसंत अप्रत्याशित और उत्साह से भरा होता है।
3. ‘खाली कटोरों में वसंत का उतरना’ – इस पंक्ति का क्या अर्थ है?
उत्तर:
- यह पंक्ति भिखारियों के खाली कटोरों में सिक्कों के गिरने का प्रतीक है।
- जब वसंत आता है, तो लोग बनारस के घाटों और मंदिरों में श्रद्धा से भिक्षा देते हैं।
- इससे भिखारियों की गरीबी और श्रद्धालुओं की दानशीलता का सुंदर चित्रण किया गया है।
4. बनारस शहर को कवि ने किस प्रकार ‘धीरे-धीरे’ चलता बताया है?
उत्तर:
- बनारस का जीवन तेज भागने वाला नहीं, बल्कि धीरे-धीरे बहने वाला है।
- यहाँ घंटी धीरे-धीरे बजती है, लोग धीरे-धीरे चलते हैं और शाम भी धीरे-धीरे होती है।
- यह दर्शाता है कि बनारस परंपराओं से बंधा हुआ, स्थिर और शांत शहर है।
5. ‘यह आधा जल में है, आधा मंत्र में’ – इस पंक्ति का क्या अर्थ है?
उत्तर:
- बनारस का आधा हिस्सा गंगा के जल में है, जहाँ लोग स्नान और अस्थि-विसर्जन करते हैं।
- आधा हिस्सा मंत्रों में है, यानी यहाँ के मंदिरों में निरंतर धार्मिक अनुष्ठान होते हैं।
- यह बनारस के आध्यात्मिक और धार्मिक पक्ष को दर्शाता है।
6. ‘जो है वह खड़ा है बिना किसी स्तंभ के’ – इस पंक्ति का क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
- बनारस बिना किसी बाहरी सहारे के खड़ा हुआ है, यानी यह आस्था और विश्वास की नींव पर टिका हुआ शहर है।
- यह आग, पानी, धुआँ, खुशबू और भक्तों की श्रद्धा से बना अद्भुत शहर है।
7. ‘बनारस’ कविता की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं?
उत्तर:
1. बनारस शहर के सांस्कृतिक और धार्मिक पक्ष का चित्रण किया गया है।
2. यह एक छंदमुक्त कविता है।
3. खड़ी बोली और सरल भाषा का प्रयोग किया गया है।
4. अलंकारों का सुंदर प्रयोग किया गया है, जैसे:
- अनुप्रास अलंकार – “धीरे-धीरे उड़ती है धूल”।
- मानवीकरण अलंकार – “शहर की जीभ किरकिराने लगती है”।
2. ‘दिशा’ (कवि – केदारनाथ सिंह)
8. ‘दिशा’ कविता का मुख्य विचार क्या है?
उत्तर:
- ‘दिशा’ कविता बाल मनोविज्ञान पर आधारित है।
- यह कविता बताती है कि बच्चे चीजों को अपने नजरिए से देखते और समझते हैं।
- उनका उत्तर स्वाभाविक और कल्पनाशील होता है।
- हर व्यक्ति अपने अनुभव के आधार पर यथार्थ को परिभाषित करता है।
9. ‘हिमालय किधर है?’ – इस प्रश्न का बच्चा क्या उत्तर देता है?
उत्तर:
- जब कवि स्कूल के बाहर पतंग उड़ाते बच्चे से पूछते हैं – “हिमालय किधर है?”,
- तो बच्चा जिस दिशा में उसकी पतंग उड़ रही होती है, उसी ओर इशारा कर देता है।
- इससे यह पता चलता है कि बच्चे अपने अनुभव और सोच के अनुसार उत्तर देते हैं।
10. कवि ‘मैं स्वीकार करूँ’ – ऐसा क्यों कहते हैं?
उत्तर:
- कवि यह स्वीकार करते हैं कि उन्होंने पहली बार जाना कि हिमालय किधर है।
- इसका मतलब यह है कि हर व्यक्ति की सोच और दृष्टि अलग होती है।
- बच्चों की दुनिया और सोच बड़ों से अलग होती है और हमें इसे स्वीकार करना चाहिए।
11. ‘दिशा’ कविता की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं?
उत्तर:
- यह कविता बाल मनोविज्ञान पर आधारित है।
- कविता में सरल और सहज भाषा का प्रयोग किया गया है।
- कविता में बालकों की स्वाभाविक सोच को दर्शाया गया है।