पांडेय बेचन शर्मा "उग्र" Class 11 Chapter-7 Book- Antra Chapter Summary
0Team Eklavyaदिसंबर 13, 2024
उसकी माँ
पांडेय बेचन शर्मा "उग्र"
यह कहानी एक माँ की अपने बेटे के प्रति अटूट ममता, बलिदान, और अंततः हृदयविदारक त्रासदी को दर्शाती है।
मुख्य पात्र
1. जानकी (लाल की माँ): एक विधवा, जो अपने बेटे लाल के लिए समर्पित है।
2. लाल: एक युवा, जो आज़ादी के आंदोलन में सक्रिय है।
3. लेखक (चाचा जी): एक जमींदार, जो लाल के परिवार को करीब से जानता है और समाज तथा सरकार के नियमों का पालन करता है।
4. पुलिस सुपरिंटेंडेंट: कहानी में शासन का प्रतिनिधित्व, जो लाल और उसके साथियों पर नज़र रखता है।
5. बंगड़: लाल का साथी और आंदोलन में अग्रणी।
कहानी का सारांश:
प्रारंभ
लेखक अपने पुस्तकालय में विचारमग्न है, तभी पुलिस सुपरिंटेंडेंट लाल के बारे में पूछताछ करने आता है। वह लाल और उसकी माँ, जानकी, की जानकारी लेता है।
लाल का परिचय
लाल एक तेजस्वी और विद्रोही विचारों वाला युवक है, जो स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय रूप से शामिल है। उसके विचार और कार्य उसे समाज में एक क्रांतिकारी के रूप में पहचान दिलाते हैं, लेकिन अपनी माँ जानकी के लिए वह सिर्फ एक प्यारा बेटा है। जानकी अपने बेटे के हर कार्य को सही मानती है और उसके प्रति निस्वार्थ रूप से समर्पित रहती है, उसकी हर खुशी और दर्द को अपना मानती हुई उसे हर संभव समर्थन देती है।
लेखक की चेतावनी
लेखक लाल को सरकार के खिलाफ जाने से रोकने की कोशिश करता है और उसे परिवार और व्यक्तिगत जिम्मेदारियों पर ध्यान देने की सलाह देता है। वह लाल को समझाने की हर संभव कोशिश करता है कि उसका विद्रोही रास्ता न केवल खतरनाक है, बल्कि उसके परिवार के लिए भी कष्टदायक हो सकता है। लेकिन लाल अपने आदर्शों और स्वतंत्रता की लड़ाई के प्रति पूरी तरह अडिग रहता है, अपने सिद्धांतों से समझौता करने को तैयार नहीं होता।
आंदोलन और गिरफ़्तारी
लाल और उसके साथी स्वतंत्रता आंदोलन के लिए हथियार जुटाने और षड्यंत्र की योजना बनाने में जुटे रहते हैं। उनका लक्ष्य स्वतंत्रता के लिए निर्णायक कदम उठाना होता है, लेकिन उनकी गतिविधियों पर पुलिस की नजर पड़ जाती है। पुलिस ने अचानक छापा मारकर लाल और उसके साथियों को गिरफ्तार कर लिया। उनके घरों से हथियार और कई संदिग्ध दस्तावेज़ बरामद हुए, जो उनके विद्रोही मंसूबों का खुलासा करते हैं। इस घटना से लाल और उसके साथियों की लड़ाई और भी चुनौतीपूर्ण हो जाती है।
जानकी का बलिदान
जानकी अपने बेटे लाल और उसके साथियों के लिए हर संभव प्रयास करती है। वह अपनी संपत्ति बेचकर उनके लिए कानूनी पैरवी का प्रबंध करती है और जेल में उनके लिए खाना पहुँचाने का कर्तव्य निभाती है। अपने बेटे पर अटूट विश्वास रखते हुए जानकी को पूरा यकीन है कि अदालत लाल को निर्दोष करार देगी। अपनी निस्वार्थ मातृभक्ति के साथ वह हर परिस्थिति में अपने बेटे के साथ खड़ी रहती है।
दुखद परिणाम
अदालत ने लाल और उसके तीन साथियों को फाँसी की सजा सुना दी, जिससे जानकी की दुनिया बिखर गई। फाँसी से पहले लाल ने अपनी माँ को एक अंतिम पत्र लिखा, जिसमें उसने अपने बलिदान को गर्व के साथ स्वीकारते हुए मृत्यु के बाद माँ से पुनः मिलने की आशा व्यक्त की। इस पत्र ने जानकी के दिल को गहराई से छू लिया, लेकिन अपने बेटे की इस त्रासदी को सहन करने की ताकत वह नहीं जुटा पाई। लाल के अंतिम पत्र को अपने सीने से लगाए, जानकी ने दरवाजे पर ही प्राण त्याग दिए, अपने बेटे के प्रति अपनी निस्वार्थ और अटूट ममता का अंतिम उदाहरण प्रस्तुत करते हुए।
मुख्य विचार
यह कहानी स्वतंत्रता आंदोलन की पृष्ठभूमि में एक माँ और बेटे के रिश्ते को उजागर करती है। यह दिखाती है कि किस तरह व्यक्तिगत बलिदान और मातृ-प्रेम राजनीतिक और सामाजिक संघर्षों के बीच अपनी जगह बनाते हैं।
माँ की ममता:जानकी का अपने बेटे के प्रति निःस्वार्थ प्रेम और समर्पण।
युवा विद्रोह: लाल और उसके साथियों का अपने देश के लिए बलिदान।
शासन का क्रूर चेहरा: पुलिस और अदालत द्वारा आंदोलनकारियों के साथ कठोर व्यवहार।
निष्कर्ष:
"उसकी माँ" मातृ प्रेम और स्वतंत्रता की लालसा की एक मार्मिक कथा है। यह कहानी केवल राजनीतिक संघर्ष ही नहीं, बल्कि व्यक्तिगत हानि और बलिदान का भी प्रतीक है।