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जूझ Class 12 Chapter-2 Book-Vitan Chapter Summary

जूझ Class 12 Chapter-2 Book-Vitan Chapter Summary

 जूझ 


कहानी का परिचय

यह कहानी एक ग्रामीण बालक की संघर्षपूर्ण यात्रा को प्रस्तुत करती है, जो शिक्षा प्राप्त करने के लिए पारिवारिक और सामाजिक बाधाओं से जूझता है। मुख्य पात्र की तड़प, दृढ़ संकल्प, और अंततः शिक्षा के प्रति उसकी सफलता का वर्णन किया गया है।

मुख्य कथानक

बालक के मन में पाठशाला जाने की गहरी तड़प है, लेकिन पिता (दादा) के सख्त रवैये के कारण वह अपनी इच्छा व्यक्त नहीं कर पाता। उसे विश्वास है कि खेती में कोई भविष्य नहीं है और पढ़ाई से ही उसे नौकरी और आत्मनिर्भरता मिल सकेगी। उसकी माँ उसकी इस तड़प को समझती है, लेकिन दादा के सामने वह कुछ नहीं कर पाती। बालक माँ को मनाकर गाँव के मुखिया दत्ता जी राव देसाई से मदद मांगने के लिए ले जाता है। दत्ता जी राव के हस्तक्षेप से दादा को मजबूर होकर बालक को पढ़ाई की अनुमति देनी पड़ती है, लेकिन वह अपनी शर्त रखता है कि बालक खेती के काम के साथ-साथ पढ़ाई करेगा। इस तरह बालक पाँचवीं कक्षा में लौटता है, लेकिन अपने पुराने साथियों से पिछड़ चुका होता है। कक्षा में उसे नए लड़कों के ताने और उपहास सहने पड़ते हैं, लेकिन धीरे-धीरे वह आत्मविश्वास हासिल कर लेता है।

शिक्षा और आत्मविश्वास का विकास

मंत्री मास्टर की सख्ती और शिक्षा के प्रति उत्साह ने बालक के गणित में आत्मविश्वास को बढ़ाया, जिससे वह कक्षा के होशियार छात्रों की बराबरी करने और पढ़ाई में ध्यान केंद्रित करने लगा। वसंत पाटील, जो कक्षा का मॉनीटर था, के साथ दोस्ती ने बालक का कक्षा में सम्मान बढ़ा दिया। वसंत की मेहनत से प्रेरित होकर उसने भी पढ़ाई में मेहनत करना शुरू किया और धीरे-धीरे अन्य छात्रों का मार्गदर्शन करने लगा। सौंदलगेकर मास्टर की प्रेरणादायक शिक्षण शैली ने बालक में कविता और मराठी भाषा के प्रति प्रेम विकसित किया। वह खुद कविताएँ लिखने लगा और मास्टर से सीखकर अपनी भाषा और लेखन शैली को निखारा। कविता और साहित्य के माध्यम से उसने अपने अकेलेपन पर विजय पाई। खेत में काम करते हुए वह कविताएँ गाता और अभिनय करता, जिससे उसे आत्मसंतोष और मानसिक शांति मिलती थी।


निष्कर्ष

बालक ने शिक्षा के प्रति अपनी तड़प को पूरा करने के लिए पारिवारिक दबाव, दादा की सख्ती और कक्षा में तानों का साहसपूर्वक सामना किया। उसके शिक्षा और साहित्य के प्रति समर्पण ने उसे आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास की ओर अग्रसर किया। यह कहानी ग्रामीण समाज में शिक्षा के प्रति उदासीनता और व्यक्तिगत प्रयासों से सफलता प्राप्त करने के महत्व को उजागर करती है, जो यह दिखाती है कि दृढ़ निश्चय और मेहनत के साथ सभी बाधाओं को पार किया जा सकता है।

"जूझ" शिक्षा, संघर्ष, और आत्मनिर्भरता की प्रेरणादायक कहानी है, जो पाठकों को जीवन में धैर्य और मेहनत का मूल्य सिखाती है।

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