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हुसैन की कहानी अपनी ज़बानी बड़ोदा का बोर्डिंग स्कूल Chapter-1 Class 11 Book-Antral Chapter Summary

हुसैन की कहानी अपनी ज़बानी Chapter-1 Class 11 Book-Antral Chapter Summary

 हुसैन की कहानी अपनी ज़बानी 


यह कहानी मकबूल फिदा हुसैन के बचपन, शिक्षा, कला के प्रति रुचि, और उनके जीवन के प्रारंभिक संघर्षों को उनकी आत्मकथा शैली में प्रस्तुत करती है।

प्रमुख घटनाएँ और विवरण

बड़ौदा का बोर्डिंग स्कूल

मकबूल के दादा की मृत्यु के बाद उनके अब्बा ने उन्हें बड़ौदा के बोर्डिंग स्कूल में दाखिला दिलाया। इस स्कूल में मकबूल को मज़हबी तालीम के साथ-साथ खादी पहनने और गांधी जी के आदर्शों का पालन करने का पाठ पढ़ाया गया। यहीं पर उनकी कला प्रतिभा उभरकर सामने आई। मकबूल ने ड्रॉइंग में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया और ब्लैकबोर्ड पर बनी चिड़िया की हूबहू नकल अपनी स्लेट पर उतारी। उन्होंने ब्लैकबोर्ड पर गांधी जी का पोर्ट्रेट बनाकर भी काफी प्रशंसा अर्जित की। हालांकि उनके सहपाठी समय के साथ अलग-अलग दिशाओं में चले गए, लेकिन मकबूल की दोस्ती उनसे आजीवन बनी रही।

रानीपुर बाजार और कला की शुरुआत

मकबूल के चाचा मुरादअली को दुकान खोलने में मदद के लिए भेजा गया, लेकिन मकबूल का झुकाव ड्रॉइंग और पेंटिंग की ओर था। दुकान पर बैठते हुए उन्होंने राहगीरों, मजदूरों और ग्राहकों के स्केच बनाने शुरू कर दिए। फिल्मों के पोस्टरों से प्रेरित होकर उन्होंने अपनी पहली ऑयल पेंटिंग बनाई, जिसके लिए उन्होंने अपनी स्कूल की किताबें बेचकर रंग खरीदे। इस पर उनके चाचा नाराज हुए, लेकिन उनके अब्बा ने उनकी कला को प्रोत्साहित किया।

बेंद्रे से मुलाकात और कला का विस्तार

मकबूल की मुलाकात प्रसिद्ध कलाकार बेंद्रे से हुई, जिनकी तकनीक ने उन्हें गहराई से प्रभावित किया। बेंद्रे से प्रेरणा लेकर मकबूल ने लैंडस्केप पेंटिंग पर काम शुरू किया। बेंद्रे ने मकबूल के परिवार को उनकी कला को प्रोत्साहित करने के लिए प्रेरित किया। उनके अब्बा ने मकबूल की प्रतिभा को पहचानते हुए उनका समर्थन किया और उन्हें बेहतर पेंटिंग सामग्री उपलब्ध कराई।

कला के क्षेत्र में बदलाव

मकबूल के अब्बा ने पारंपरिक सोच को पीछे छोड़ते हुए उनकी कला को करियर के रूप में स्वीकार किया। उन्होंने मकबूल को प्रोत्साहित करते हुए कहा, "जाओ, और जिंदगी को रंगों से भर दो।" उस समय की सामाजिक और सांस्कृतिक सीमाओं के बावजूद मकबूल को अपनी कला के माध्यम से खुद को व्यक्त करने की पूरी आजादी मिली।

मुख्य विषय:

कला और जुनून

मकबूल का कला के प्रति गहरा प्रेम और प्रारंभिक संघर्ष उनकी रचनात्मकता को आकार देता है।

पारिवारिक समर्थन

उनके अब्बा का प्रगतिशील दृष्टिकोण और समर्थन मकबूल के करियर की नींव रखता है।

सामाजिक सीमाएँ

कहानी उस दौर की पारंपरिक सोच और कला को केवल राजे-महाराजों तक सीमित रखने की मानसिकता को उजागर करती है।

कला की स्वीकृति

मकबूल का सफर कला को मुख्यधारा में लाने और इसे एक सार्थक करियर के रूप में स्वीकार कराने का प्रतीक है।

निष्कर्ष:

यह कहानी मकबूल फिदा हुसैन के जीवन के प्रारंभिक संघर्षों और उनकी कला के प्रति जुनून को दर्शाती है। उनके अब्बा का प्रगतिशील दृष्टिकोण और बेंद्रे जैसे कलाकारों का मार्गदर्शन उनके जीवन में अहम भूमिका निभाता है। यह कहानी न केवल एक कलाकार के रूप में मकबूल की यात्रा को रेखांकित करती है, बल्कि कला के क्षेत्र में बदलाव और प्रगतिशील सोच की आवश्यकता पर भी जोर देती है।

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