Editor Posts footer ads

मूल निवासियों का विस्थापन Class 11History Chapter 7 mul nivasiyon ka visthapan Displacing Indigenous Peoples

 

मूल निवासियों का विस्थापन Class 11History  Chapter 7 mul nivasiyon ka visthapan Displacing Indigenous Peoples

इस अध्याय में हम अमरीका और ऑस्ट्रेलिया के मूल निवासियों के इतिहास के बारे में जानेंगे।

मुख्य बिंदु:-

1. 18वीं सदी में आप्रवासन : यूरोप से लोग अमरीका (मध्य, उत्तरी, और दक्षिणी), दक्षिणी अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, और न्यूज़ीलैंड में जाकर बसने लगे। इन लोगों की बस्तियों को "कॉलोनी" (उपनिवेश) कहा गया।

2.मूल निवासियों पर प्रभाव: यूरोपियों के आने से मूल निवासियों को अपने इलाकों से हटना पड़ा। यूरोपीय लोगों के बाद एशियाई लोग भी 19वीं और 20वीं सदी में इन देशों में बसने लगे। अब इन देशों में यूरोपीय और एशियाई लोग बहुसंख्यक हैं, जबकि मूल निवासियों की संख्या कम हो गई है।

3.पाठ्यपुस्तकों में इतिहास: पहले इतिहास में केवल यह बताया जाता था कि यूरोपीय लोगों ने अमरीका और ऑस्ट्रेलिया की खोज की। मूल निवासियों का ज़िक्र कम होता था, और उन्हें शत्रु के रूप में दिखाया जाता था।

4. मानवविज्ञान और आत्मकथाएँ: 1840 के दशक से अमरीका में मानवविज्ञानियों ने मूल निवासियों पर अध्ययन शुरू किया। 1960 के दशक से, मूल निवासियों को अपने इतिहास को लिखने और कहानियाँ बयान करने के लिए प्रेरित किया गया। आज उनके लिखे हुए इतिहास और कहानियाँ पढ़ी जा सकती हैं।


यूरोपीय साम्राज्यवाद

  • स्पेन और पुर्तगाल का प्रभाव घटा: सत्रहवीं सदी के बाद, स्पेन और पुर्तगाल ने अपने अमरीकी साम्राज्य का विस्तार नहीं किया। फ्रांस, हॉलैंड, और इंग्लैंड जैसे देशों ने अमरीका, अफ्रीका, और एशिया में अपनी व्यापारिक गतिविधियाँ और उपनिवेश बढ़ाए।
  • अंग्रेजों की शुरुआत और मुनाफ़े की भूमिका: शुरुआत में अंग्रेजों का मकसद उपनिवेश बसाना नहीं था अठारहवीं सदी तक यह स्पष्ट हो गया कि मुनाफ़े की संभावना ने उन्हें उपनिवेश बसाने के लिए प्रेरित किया।
  • दक्षिण एशिया में व्यापार से सत्ता तक: व्यापारिक कंपनियाँ (जैसे ईस्ट इंडिया कंपनी) धीरे-धीरे राजनीतिक ताकत बन गईं। स्थानीय शासकों को हराकर अपने इलाके बढ़ाए। पुरानी प्रशासकीय व्यवस्था को जारी रखते हुए भूस्वामियों से कर वसूले। व्यापार को बेहतर बनाने के लिए रेलवे, खदानें, और बड़े बागान बनाए।
  • अफ्रीका में उपनिवेशवाद: दक्षिण अफ्रीका को छोड़कर बाकी अफ्रीका में यूरोपीय लोग शुरू में समुद्र तटों तक ही सीमित थे। 19वीं सदी के अंत में ही उन्होंने अंदरूनी क्षेत्रों में प्रवेश किया। इसके बाद अफ्रीका के उपनिवेशों का आपस में बँटवारा करने के लिए यूरोपीय देशों में समझौते हुए।


'सेटलर' 

  • सेटलर शब्द का उपयोग दक्षिण अफ्रीका में डच लोगों के लिए आयरलैंड, न्यूज़ीलैंड, और ऑस्ट्रेलिया में ब्रिटिश लोगों के लिए और अमरीका में यूरोपीय लोगों के लिए प्रयोग किया गया इन उपनिवेशों में अंग्रेज़ी मुख्य राजभाषा थी। कनाडा में अंग्रेज़ी के साथ-साथ फ्रांसीसी भी राजभाषा थी।



उत्तरी अमेरिका के मूल निवासी

  • प्रारंभिक आगमन: 30,000 साल पहले लोग एशिया से बेरिंग स्ट्रेट्स के भूमि-सेतु से उत्तरी अमेरिका आए 10,000 साल पहले, हिमयुग के दौरान वे दक्षिण की ओर बढ़े। सबसे पुरानी मानव कृति (तीर की नोक) 11,000 साल पुरानी है।
  • स्थिर जीवन और आबादी वृद्धि: 5,000 साल पहले जलवायु स्थिर हुई, जिससे आबादी बढ़ी। लोग नदी घाटियों के पास बने गाँवों में समूहों में रहते थे। वे मछली, मांस खाते थे और मकई तथा सब्ज़ियाँ उगाते थे।
  • शिकार और जीवन शैली: ये लोग भोजन के लिए बाइसन (जंगली भैंस) का शिकार करते थे। वे केवल उतना ही शिकार करते जितना उनकी ज़रूरत थी। बड़े पैमाने पर खेती और अतिरिक्त उत्पादन नहीं किया।
  • राजनीतिक व्यवस्था का अभाव: केंद्रीय और दक्षिणी अमेरिका की तरह राजशाही या साम्राज्य विकसित नहीं हुआ। वे ज़मीन की 'मिल्कियत' के बजाय उससे मिलने वाले भोजन और आश्रय से संतुष्ट थे।
  • परंपराएँ और सामाजिक संबंध: औपचारिक संबंध और उपहारों के आदान-प्रदान पर जोर दिया। कई भाषाएँ बोली जाती थीं, लेकिन कोई भी लिखी नहीं जाती थी।

  • कला और ज्ञान: वे कुशल कारीगर थे और खूबसूरत कपड़े बुनते थे। धरती, जलवायु, और भू-दृश्यों को पढ़ने में माहिर थे, जैसे पढ़े-लिखे लोग किताबें पढ़ते हैं। यह उत्तरी अमेरिका के मूल निवासियों का जीवन और उनकी संस्कृति का संक्षिप्त और सरल परिचय है।


यूरोपियनों से मुकाबला

  • दोस्ताना शुरुआत: सत्रहवीं सदी में उत्तरी अमेरिका पहुंचे यूरोपीय व्यापारियों को स्थानीय लोग दोस्ताना और मददगार लगे। यूरोपीय व्यापारी मछली और रोएदार खाल के व्यापार के लिए आए थे।
  • व्यापार और आदान-प्रदान: मिसीसिपी के पास फ्रांसीसियों ने देखा कि देसी लोग नियमित रूप से हस्तशिल्प और खाद्य पदार्थों का आदान-प्रदान करते थे। यूरोपीय लोग स्थानीय उत्पादों के बदले कंबल, लोहे के बर्तन, बंदूकें और शराब देते थे। लोहे के बर्तन मिट्टी के बर्तनों की जगह इस्तेमाल होने लगे, और बंदूकें शिकार में तीर-धनुष की पूरक बनीं।
  • शराब और तंबाकू का प्रभाव: स्थानीय लोगों ने पहली बार यूरोपियों से शराब का परिचय लिया और इसकी आदत का शिकार हो गए। शराब की लत ने यूरोपीय लोगों को व्यापार पर अपनी शर्तें थोपने में मदद की। वहीं, यूरोपीय लोगों ने स्थानीय लोगों से तंबाकू का सेवन सीखा।यह उत्तरी अमेरिका में यूरोपियनों और स्थानीय लोगों के शुरुआती संपर्क और उनके आपसी प्रभावों का सरल वर्णन है।


पारंपरिक धारणाएँ और यूरोपियनों का प्रभाव

  • सभ्यता की अवधारणा: 18वीं सदी के यूरोपीय लोग साक्षरता, संगठित धर्म, और शहरी जीवन को 'सभ्य' मानते थे। उन्हें अमेरिकी मूल निवासी 'असभ्य' लगे, क्योंकि वे इन मापदंडों पर खरे नहीं उतरते थे। ज्यां जैक रूसो जैसे कुछ यूरोपीय विचारकों ने उन्हें 'उदात्त जंगली' कहा, जो सभ्यता की बुराइयों से मुक्त थे। दूसरी ओर, विलियम वर्ड्सवर्थ ने उनकी कल्पनाशक्ति और भावनाओं को सीमित बताया।
  • यूरोपीय व्यापार और मूल निवासियों का नज़रिया: मूल निवासी व्यापार को दोस्ती के रूप में देखते थे, जबकि यूरोपीय इसे लाभ कमाने का साधन मानते थे। यूरोपीय व्यापारियों ने मूल निवासियों से मछली, रोएँदार खाल ली और बदले में कंबल, बर्तन, बंदूकें, और शराब दी। शराब से परिचित नहीं होने के कारण मूल निवासी इसकी लत के शिकार हो गए, जिससे यूरोपीय अपनी शर्तें थोप सके।
  • यूरोपीय बसावट और जमीन का इस्तेमाल: यूरोपीय उपनिवेशवादी जंगलों को साफ कर खेती के लिए उपयोग करते थे। मूल निवासी जंगलों को जीवन का हिस्सा मानते थे, जबकि यूरोपीय वहाँ खेत और मुनाफा देखते थे। यूरोपीय किसानों के लिए जमीन का मालिकाना हक ज़रूरी था, जबकि मूल निवासी इसे गलत मानते थे।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा का विस्तार: 18वीं सदी में अमेरिका और कनाडा अस्तित्व में आए, लेकिन उनका वर्तमान क्षेत्र बाद में विकसित हुआ। अमेरिका ने फ्रांस, रूस (अलास्का), और मेक्सिको से जमीन खरीदी या जीती। जमीन के विस्तार के कारण मूल निवासियों को पीछे हटने के लिए मजबूर किया गया।
  • प्रवास और खेती का विकास: यूरोप से छोटे किसान और भूमिहीन लोग अमेरिका आए और जमीन के मालिक बने। उन्होंने नई फसलें (धान, कपास) उगाईं और जानवरों को खत्म करके अपने खेतों की रक्षा की 1873 में कंटीले तारों के आविष्कार ने उन्हें और सुरक्षा दी।
  • दासप्रथा और नागरिक अधिकार: दक्षिणी अमेरिका में बागानों के लिए अफ्रीकी दासों को लाया गया, क्योंकि मूल निवासी दास अधिक समय तक जीवित नहीं रहते थे। उत्तरी राज्यों ने दासप्रथा को खत्म करने के लिए 1861-65 में युद्ध किया, जिसमें दासता विरोधियों की जीत हुई। दासता खत्म होने के बावजूद अफ्रीकी-अमेरिकी नागरिक स्वतंत्रता के लिए 20वीं सदी तक संघर्ष करते रहे।
  • कनाडा की स्वायत्तता: 1763 में ब्रिटिशों ने फ्रांस से कनाडा जीत लिया। फ्रांसीसी आबादकार स्वायत्तता की मांग कर रहे थे। 1867 में कनाडा को स्वायत्त राज्यों के महासंघ के रूप में संगठित करके समस्या हल की गई यह यूरोपीय बसावट, मूल निवासियों के साथ उनके संबंध, और उनके सांस्कृतिक तथा राजनीतिक प्रभाव का सरल वर्णन है।


अपनी ज़मीन से मूल बाशिंदों की बेदखली

  • ज़मीन के सौदे और धोखा: जैसे-जैसे संयुक्त राज्य अमेरिका ने अपनी बस्तियों का विस्तार किया, मूल निवासियों से जमीन के सौदे किए गए। सौदों में उन्हें बहुत कम कीमत दी गई, और कई बार धोखे से उनकी ज़्यादा जमीन छीन ली गई। भुगतान के वादे भी पूरे नहीं किए जाते थे।
  • मूल निवासियों पर यूरोपीय दृष्टिकोण: अधिकारी बेदखली को गलत नहीं मानते थे, उनका तर्क था कि मूल निवासी जमीन का सही उपयोग नहीं करते। मूल निवासियों को 'आलसी' और 'मरने योग्य' कहा जाता था, क्योंकि वे बाज़ार के लिए उत्पादन या यूरोपीय संस्कृति (जैसे अंग्रेज़ी सीखना, यूरोपीय कपड़े पहनना) अपनाने में रुचि नहीं रखते थे।
  • प्राकृतिक संसाधनों का विनाश: खेती के लिए प्रेयरी (घास के मैदान) साफ की गई और जंगली भैसों को मार दिया गया। फ्रांसीसी आगंतुक ने लिखा कि "जंगली जानवरों के साथ-साथ आदिम मनुष्य भी खत्म हो जाएगा।"
  • पश्चिम की ओर धकेलना और ‘आरक्षण’: मूल निवासियों को पश्चिम की ओर धकेल दिया गया और उन्हें 'स्थायी जमीन' देने का वादा किया गया। लेकिन अगर उनकी जमीन पर खनिज (सोना, सीसा, तेल) मिलते, तो उन्हें फिर से बेदखल कर दिया जाता। उन्हें छोटे-छोटे इलाकों में सीमित कर दिया गया, जिन्हें 'रिज़र्वेशन' कहा जाता था, जो अक्सर उनकी पारंपरिक जमीन नहीं होती थी।
  • लड़ाई और विद्रोह: मूल निवासियों ने अपनी जमीन के लिए लड़ाई लड़ी। 1865 से 1890 के बीच अमेरिका की सेना ने कई विद्रोहों को कुचल दिया। यह मूल निवासियों के साथ हुए अन्याय और उनकी ज़मीन से बेदखली का सरल वर्णन है।


गोल्ड रश और उद्योगों की वृद्धि

  • गोल्ड रश की शुरुआत : 1840 में कैलिफोर्निया (संयुक्त राज्य अमेरिका) में सोने के निशान मिले ।इसने "गोल्ड रश" को जन्म दिया, जिसमें हजारों यूरोपीय लोग अमीर बनने की उम्मीद में अमेरिका पहुंचे। सोने की खोज के चलते पूरे महाद्वीप में रेलवे लाइनों का निर्माण हुआ।
  • रेलवे निर्माण और श्रम: रेलवे के निर्माण के लिए हजारों चीनी श्रमिकों की नियुक्ति की गई। अमेरिका की रेलवे 1870 में और कनाडा की रेलवे 1885 में पूरी हुई। तेज परिवहन ने उद्योगों और खेती को बढ़ावा दिया।
  • औद्योगिक क्रांति और कारखानों का विकास: इंग्लैंड में औद्योगिक क्रांति का कारण छोटे किसानों की जमीन से बेदखली थी, जिससे वे कारखानों में काम करने लगे। अमेरिका और कनाडा में उद्योग रेलवे उपकरण और कृषि यंत्र बनाने के लिए विकसित हुए। 1860 में अमेरिका का अर्थतंत्र कमजोर था, लेकिन 1890 तक यह दुनिया का अग्रणी औद्योगिक राष्ट्र बन गया।
  • बड़े पैमाने की खेती और पर्यावरण पर असर: बड़े क्षेत्र साफ करके खेत बनाए गए। 1890 तक जंगली भैंसों का लगभग खात्मा हो गया, जिससे मूल निवासियों का शिकार आधारित जीवन समाप्त हो गया।
  • एंड्रयू कार्नेगी का योगदान: एंड्रयू कार्नेगी, जो स्कॉटलैंड से आए एक गरीब आप्रवासी थे, अमेरिका के पहले करोड़पति उद्योगपतियों में से एक बने। उन्होंने कहा, "पुराने राष्ट्र घोंघे की गति से चलते हैं, लेकिन नया गणराज्य एक्सप्रेस की तरह दौड़ रहा है।" यह गोल्ड रश और औद्योगिक क्रांति के दौरान हुए परिवर्तनों और उनके प्रभाव का सरल सारांश है।


बदलाव की लहर

  • 1920 के दशक तक हालात: 1928 में "दि प्रॉब्लम ऑफ इंडियन एडमिनिस्ट्रेशन" नामक सर्वेक्षण ने मूल निवासियों की खराब स्वास्थ्य और शिक्षा की स्थिति उजागर की। गोरे अमेरिकियों में सहानुभूति जागी, क्योंकि मूल निवासियों को अपनी संस्कृति निभाने और नागरिक अधिकारों से वंचित रखा जा रहा था।
  • 1934 का इंडियन रीऑर्गनाइज़ेशन एक्ट: यह कानून मूल निवासियों को रिज़र्वेशन्स में जमीन खरीदने और ऋण लेने का अधिकार देता था। यह उनके लिए एक महत्वपूर्ण सुधार था।
  • 1950-60 के दशक में मुख्यधारा में शामिल करने की कोशिश: सरकारों ने मूल निवासियों के लिए विशेष प्रावधान खत्म कर उन्हें यूरोपीय संस्कृति अपनाने पर जोर दिया। मूल निवासी इस बदलाव के खिलाफ थे।
  • 'डिक्लेरेशन ऑफ इंडियन राइट्स' (1954): मूल निवासियों ने नागरिकता स्वीकार करने के लिए यह शर्त रखी कि उनकी परंपराओं और रिज़र्वेशन्स में दखल न हो।
  • कनाडा में विरोध और अधिकारों की मांग: 1969 में कनाडा सरकार ने आदिवासी अधिकार मानने से इनकार किया। मूल निवासियों ने संगठित तरीके से विरोध किया। 1982 में एक संवैधानिक धारा के तहत उनके आदिवासी अधिकारों को स्वीकृति मिली।
  • संघर्ष और आज की स्थिति: आज मूल निवासी अपनी संस्कृति और पवित्र भूमि पर अधिकार के लिए पुरजोर दावेदारी कर रहे हैं। उनकी संख्या 18वीं सदी के मुकाबले बहुत कम है, लेकिन अधिकारों के लिए उनका संघर्ष मजबूत है। यह बदलाव की उस लहर का संक्षिप्त वर्णन है, जिसने अमेरिका और कनाडा के मूल निवासियों के अधिकारों को मान्यता दिलाने में अहम भूमिका निभाई।


ऑस्ट्रेलिया

  • प्रारंभिक मानव निवास: लगभग 40,000 साल पहले 'ऐबॉरिजिनीज़' (मूल निवासी) न्यू गिनी से भू-सेतु के माध्यम से ऑस्ट्रेलिया आए। उनकी परंपराओं के अनुसार, वे हमेशा से ऑस्ट्रेलिया में ही रहते थे।
  • भाषा और समुदाय: 18वीं सदी के अंत तक, 350-750 समुदाय थे, जिनकी अपनी-अपनी भाषाएँ थीं। आज भी इनमें से लगभग 200 भाषाएँ बोली जाती हैं। उत्तर में 'टॉरस स्ट्रेट टापूवासी' नामक एक और बड़ा समूह रहता है।
  • यूरोपीय आगमन : 1770 में ब्रिटिश पहली बार ऑस्ट्रेलिया पहुंचे। शुरुआत में, कैप्टन कुक के साथ हुए संपर्क को दोस्ताना बताया गया। लेकिन कुक की हत्या के बाद, ब्रिटिशों का रवैया बदल गया।
  • निर्वासित कैदी और भूमि अधिग्रहण: शुरुआती ब्रिटिश आबादकार निर्वासित कैदी थे। उनके कारावास खत्म होने के बाद, उन्हें ऑस्ट्रेलिया में बसने की अनुमति दी गई। इन आबादकारों ने खेती के लिए मूल निवासियों को उनकी जमीन से बेदखल कर दिया।
  • आर्थिक विकास: ऑस्ट्रेलिया का विकास धीमा लेकिन स्थिर था। भेड़ों के फार्म, खदानें, अंगूर की खेती (मदिरा उत्पादन), और गेहूँ की खेती ने अर्थव्यवस्था को मजबूत किया। यह विकास अमेरिका की तुलना में कम विविधतापूर्ण था।
  • संघीय राजधानी की योजना: 1911 में ऑस्ट्रेलिया की राजधानी बनाने के लिए सुझाव दिया गया कि इसका नाम 'बूलव्हीटगोल्ड' (Woolwheat gold) रखा जाए। यह ऑस्ट्रेलिया के मूल निवासियों और यूरोपीय उपनिवेशवाद के इतिहास का संक्षिप्त और सरल विवरण है।


बदलाव की लहर

  • 1970 के दशक में बदलाव की शुरुआत: उत्तरी अमेरिका की तरह, ऑस्ट्रेलिया में भी मूल निवासियों को एक नए दृष्टिकोण से समझने की शुरुआत हुई। उन्हें विशिष्ट संस्कृतियों वाले समुदाय, प्रकृति और जलवायु को समझने में कुशल माना जाने लगा। उनकी कथाओं, कला, और हस्तशिल्प को सराहा और संरक्षित करने का प्रयास शुरू हुआ।
  • हेनरी रेनॉल्ड्स और इतिहास की पुनर्व्याख्या: हेनरी रेनॉल्ड्स की किताब व्हाइ वरंट वी टोल्ड? में बताया गया कि ऑस्ट्रेलियाई इतिहास कैप्टन कुक की 'खोज' से नहीं शुरू होता। इसके बाद, विश्वविद्यालयों में देसी संस्कृतियों के अध्ययन के लिए विभाग बनाए गए। संग्रहालयों और कला दीर्घाओं में देसी कला और जीवन को स्थान दिया गया।
  • संस्कृति और बहुसंस्कृतिवाद: 1974 से ऑस्ट्रेलिया में 'बहुसंस्कृतिवाद' राजकीय नीति बनी। इसमें मूल निवासियों और यूरोपीय तथा एशियाई आप्रवासियों की संस्कृतियों को समान आदर दिया गया। इस प्रयास से कई पारंपरिक सांस्कृतिक धरोहरों को संरक्षित किया जा सका।
  • जमीन और मानवाधिकार का सवाल: 1970 के दशक में मानवाधिकार आंदोलनों के दौरान यह समझा गया कि अमेरिका, कनाडा, और न्यूजीलैंड के विपरीत ऑस्ट्रेलिया ने भूमि-अधिग्रहण के लिए मूल निवासियों के साथ कोई औपचारिक समझौता नहीं किया। सरकार ने ऑस्ट्रेलिया की ज़मीन को "टेरा न्यूलिअस" (किसी की नहीं) कहा, जिससे मूल निवासियों के अधिकार नकारे गए।
  • अन्याय की स्वीकार्यता और माफी: यह माना गया कि मूल निवासियों का ज़मीन के साथ गहरा ऐतिहासिक और पवित्र संबंध है। मिश्रित रक्त वाले मूल निवासी बच्चों को उनके परिवारों से जबरन अलग करने के अन्याय के लिए सार्वजनिक माफी मांगी गई। इसने सामाजिक अन्याय की स्वीकार्यता और सुधार की दिशा में एक नया अध्याय खोला।

यह बदलाव ऑस्ट्रेलिया में मूल निवासियों की संस्कृति और अधिकारों को सम्मान देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था।



एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Ok, Go it!