लोकतंत्र के परिणाम Notes in Hindi Class 10 Political Science Chapter-5 Book-Loktantrik Rajniti lokatantr ke parinaam The consequences of democracy
0Team Eklavyaनवंबर 27, 2024
परिचय
अब हम लोकतंत्र की इस यात्रा के अंतिम चरण में हैं, जहाँ हमें कुछ बड़े सवालों पर विचार करना है। जैसे, लोकतंत्र क्या करता है? इससे हम क्या उम्मीद कर सकते हैं? और क्या लोकतंत्र वास्तव में हमारी उम्मीदों को पूरा करता है? इस अध्याय में हम लोकतंत्र के परिणामों का मूल्यांकन करेंगे। हम यह जानने की कोशिश करेंगे कि लोकतंत्र शासन, आर्थिक विकास, समानता, सामाजिक मुद्दों और स्वतंत्रता पर क्या असर डालता है। इसमें हमें कुछ सकारात्मक नतीजे मिलेंगे, लेकिन साथ ही कई सवाल और चिंताएँ भी सामने आएँगी। ये चिंताएँ हमें लोकतंत्र की चुनौतियों पर सोचने के लिए प्रेरित करेंगी।
लोकतंत्र के परिणामों का मूल्यांकन कैसे करें?
लोकतंत्र को अक्सर शासन की अन्य व्यवस्थाओं से बेहतर माना जाता है, और इसके पीछे कुछ महत्वपूर्ण कारण हैं।
सबसे पहले, लोकतंत्र समानता का सिद्धांत अपनाता है, जिसमें सभी नागरिकों को समान अधिकार मिलते हैं। इसके अलावा, व्यक्ति की गरिमा का सम्मान किया जाता है, जिससे हर इंसान की अहमियत को मान्यता दी जाती है।
लोकतंत्र में निर्णय लेने से पहले विचार-विमर्श होता है, जिससे फैसले बेहतर और अधिक विचारशील होते हैं। इसके साथ ही, संघर्षों और टकरावों को सुलझाने के लिए शांतिपूर्ण तरीके अपनाए जाते हैं, जिससे समाज में सामंजस्य बना रहता है।
लोकतंत्र की एक और खासियत यह है कि इसमें गलतियों को पहचानकर उन्हें सुधारने की गुंजाइश होती है, जिससे यह व्यवस्था निरंतर सुधार की दिशा में काम करती रहती है।
सैद्धांतिक बनाम व्यवहारिक वास्तविकता:
लोकतंत्र एक ऐसी प्रणाली है, जिसमें जनता को अपने प्रतिनिधि चुनने का अधिकार होता है। यह विचार नैतिक और व्यावहारिक दोनों आधारों पर टिका है, लेकिन इसका प्रभाव कई चुनौतियों से प्रभावित होता है।
1. लोकतंत्र के नैतिक पहलू
जनता की समानता: लोकतंत्र सभी को समान अधिकार देता है, चाहे उनकी सामाजिक स्थिति या आर्थिक स्तर कुछ भी हो।
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता: इसमें हर व्यक्ति को अपनी राय रखने और सुनाने का अवसर मिलता है।
जवाबदेही: चुने गए प्रतिनिधि जनता के प्रति जवाबदेह होते हैं।
2. लोकतंत्र के व्यावहारिक लाभ
स्थिरता: यह सत्ता के शांतिपूर्ण हस्तांतरण को संभव बनाता है।
सुधार की क्षमता: लोकतांत्रिक प्रणाली में जन असंतोष को शांतिपूर्ण ढंग से व्यक्त किया जा सकता है, जिससे सुधार की गुंजाइश रहती है।
समावेशी निर्णय: विविध विचारों और जनहित को ध्यान में रखकर फैसले किए जाते हैं।
3.चुनौतियाँ
असमानता और भ्रष्टाचार: लोकतंत्र में भी अमीर और शक्तिशाली वर्गों का प्रभाव अधिक होता है।
जनसंख्या और शिक्षा: बड़े और कम शिक्षित समाजों में लोकतांत्रिक प्रणाली सही ढंग से कार्य नहीं कर पाती।
धीमी प्रक्रिया: निर्णय लेने में अधिक समय लगता है, जिससे कुछ मामलों में त्वरित कार्रवाई संभव नहीं हो पाती।
4. लोकतंत्र के दायरे
आज दुनिया के अधिकांश देश लोकतंत्र का दावा करते हैं, और इन देशों में संविधान, चुनाव, राजनीतिक दल और नागरिक अधिकार जैसी समान बातें होती हैं।
हालांकि, इन देशों की सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक परिस्थितियाँ अलग-अलग होती हैं, और यही कारण है कि लोकतंत्र के परिणाम भी विभिन्न देशों में अलग-अलग दिखते हैं।
हर देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया और उसकी प्रभावशीलता उसके विशिष्ट सामाजिक संदर्भ, संसाधनों, और राजनीतिक संस्कृति पर निर्भर करती है, जिससे एक ही लोकतांत्रिक प्रणाली के अंतर्गत विभिन्न अनुभव और परिणाम सामने आते हैं।
5. लोकतंत्र से उम्मीदें
लोग अक्सर लोकतंत्र को हर समस्या का हल मान लेते हैं। जब ऐसा नहीं होता, तो वे इसे दोष देने लगते हैं।
लेकिन लोकतंत्र सिर्फ एक साधन है, समाधान नहीं। यह नागरिकों को समान अधिकार और अवसर देता है, पर समस्याएँ समाज और लोगों के प्रयासों से ही हल होती हैं।
लोकतंत्र का काम निर्णयों में सबकी भागीदारी सुनिश्चित करना है, न कि सभी समस्याओं को तुरंत खत्म करना।
इसे जादू की छड़ी समझना गलत है। यह समानता, गरिमा और बेहतर फैसले का मंच है, लेकिन परफेक्ट नहीं। सुधार लाने की जिम्मेदारी नागरिकों की है।
उत्तरदायी, ज़िम्मेदार और वैध शासन
लोकतंत्र का बुनियादी उद्देश्य
लोकतंत्र में मुख्य चिंता यह होती है कि नागरिकों को अपने शासक चुनने का अधिकार मिले और शासकों पर उनका नियंत्रण बना रहे। लोकतंत्र इस दिशा में सक्षम शासन और नागरिकों के प्रति जिम्मेदारी को सुनिश्चित करता है।
1. लोकतंत्र बनाम अन्य शासन प्रणालियाँ
अलोकतांत्रिक शासन में सरकारें तेजी से फैसले ले सकती हैं क्योंकि उन्हें जनता, विधायिका, या विरोधी विचारों का सामना नहीं करना पड़ता, जिससे निर्णय जल्दी लागू हो जाते हैं।
हालांकि, लोकतांत्रिक शासन में बातचीत और विचार-विमर्श की प्रक्रिया लंबी हो सकती है, लेकिन इसके फैसले अधिक पारदर्शी और लोगों द्वारा स्वीकार्य होते हैं।
लोकतंत्र में विभिन्न विचारों का सम्मान किया जाता है और फैसले व्यापक सहमति से लिए जाते हैं, जिससे समाज में उनका पालन करना आसान होता है और यह अधिक स्थिरता प्रदान करता है।
2. लोकतंत्र की प्रमुख विशेषताएँ
लोकतांत्रिक सरकार में नागरिकों को फैसलों की प्रक्रिया और नियमों का पालन जानने का अधिकार होता है, जो पारदर्शिता को सुनिश्चित करता है।
यह पारदर्शिता अक्सर अलोकतांत्रिक सरकारों में नहीं होती, जहाँ निर्णयों में अस्पष्टता और लक्षणीय नियंत्रण होता है।
लोकतंत्र में सरकार नागरिकों के प्रति जवाबदेह होती है, और यह जवाबदेही चुनाव, सार्वजनिक चर्चा, और सूचना का अधिकार जैसे साधनों के माध्यम से संभव होती है।
लोकतांत्रिक व्यवस्थाएँ नियमित और निष्पक्ष चुनाव कराने में अधिक सफल रही हैं, जिससे नागरिकों को अपने प्रतिनिधि चुनने का अधिकार मिलता है।
हालांकि, सभी को समान अवसर देने और हर फैसले पर सार्वजनिक चर्चा कराने में लोकतंत्र का प्रदर्शन मिला-जुला रहा है, लेकिन इसके बावजूद यह प्रणाली अधिक पारदर्शिता और भागीदारी सुनिश्चित करती है।
3. लोकतंत्र की सीमाएँ
लोकतंत्र भ्रष्टाचार से मुक्त नहीं है, और कई बार यह बड़ी आबादी की जरूरतों की अनदेखी करता है, जिससे समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।
हालांकि, गैर-लोकतांत्रिक सरकारें इन पहलुओं में बेहतर साबित नहीं होतीं, क्योंकि वे भी अक्सर सत्ता के दुरुपयोग और जनहित की अनदेखी करती हैं।
लोकतांत्रिक सरकारें भले ही धीमी हो सकती हैं, लेकिन यह प्रक्रिया फैसलों को अधिक वैध और लोगों के लिए स्वीकार्य बनाती है, क्योंकि इसमें जनसहभागिता, पारदर्शिता, और जवाबदेही की प्रमुख भूमिका होती है
इस प्रकार, जबकि लोकतंत्र में कुछ खामियाँ हो सकती हैं, यह अंततः समाज को एक स्थिर और समावेशी तरीके से चलाने का एक अधिक प्रभावी तरीका साबित होता है।
4. लोकतंत्र की वैधता और समर्थन
लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत इसकी वैधता है, क्योंकि यह लोगों को अपनी सरकार मानने का अधिकार देता है।
यह पारदर्शिता, उत्तरदायित्व और नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है।
धीमी प्रक्रियाओं और भ्रष्टाचार जैसी कमजोरियों के बावजूद, लोकतंत्र अन्य व्यवस्थाओं से बेहतर है।
इसके फैसले व्यापक रूप से स्वीकार्य होते हैं, और इसका वैश्विक समर्थन इसकी प्रभावशीलता का प्रमाण है।
लोकतंत्र और आर्थिक संवृद्धि
लोकतांत्रिक शासन से विकास की उम्मीद स्वाभाविक है, क्योंकि यह अच्छी और जवाबदेह सरकार की संभावना प्रदान करता है।
हालांकि, 1950 से 2000 के बीच तानाशाही का आर्थिक संवृद्धि का रिकॉर्ड थोड़ा बेहतर रहा है।
आर्थिक विकास केवल शासन प्रणाली पर निर्भर नहीं करता, बल्कि जनसंख्या, वैश्विक स्थिति, सहयोग और आर्थिक प्राथमिकताओं जैसे कारकों पर भी आधारित होता है।
तानाशाही और लोकतंत्र वाले कम विकसित देशों में आर्थिक विकास का अंतर बहुत बड़ा नहीं है।
फिर भी, लोकतंत्र बेहतर विकल्प है क्योंकि यह नागरिक अधिकार, समानता और स्थिरता जैसे दीर्घकालिक लाभ प्रदान करता है।
लोकतंत्र की आर्थिक उपलब्धियाँ
लोकतंत्र को अक्सर भावनात्मक रूप से हमारे मूल्यों से जोड़ा जाता है, लेकिन इसकी आर्थिक उपलब्धियों पर भी विचार करना ज़रूरी है।
तानाशाही बनाम लोकतंत्र में आर्थिक विकास: अध्ययन दिखाते हैं कि तानाशाही का आर्थिक विकास थोड़ा बेहतर हो सकता है, लेकिन गरीब देशों में यह अंतर बहुत कम हो जाता है।
लोकतंत्र में आर्थिक असमानता: लोकतंत्र में भी आर्थिक असमानता बनी रहती है। जैसे: दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील सबसे अमीर 20% लोग राष्ट्रीय आय के 60% पर कब्जा करते हैं, जबकि सबसे गरीब 20% के पास सिर्फ 3%। डेनमार्क और हंगरी यहाँ आर्थिक समानता ज्यादा है।
लोकतंत्र का उद्देश्य: लोकतंत्र सिर्फ आर्थिक लाभ के लिए नहीं है। इसका मुख्य उद्देश्य सामाजिक और राजनीतिक समानता को बढ़ावा देना है। यह आमदनी के समान वितरण से ज्यादा, सभी नागरिकों के अधिकारों और अवसरों पर ध्यान देता है।
असमानता और गरीबी में कमी
लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं से अपेक्षा की जाती है कि वे न केवल आर्थिक संवृद्धि को प्रोत्साहित करें, बल्कि आर्थिक असमानता को भी कम करें। सवाल यह है कि क्या तेज़ आर्थिक विकास के दौरान आमदनी और संसाधनों का वितरण ऐसा हो पाता है कि सभी वर्गों को समान लाभ मिले?
अक्सर देखा गया है कि लोकतंत्र में आर्थिक विकास और असमानता साथ-साथ बढ़ते हैं। दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील जैसे लोकतांत्रिक देशों में ऊपरी वर्ग के पास आय और संसाधनों का बड़ा हिस्सा रहता है, जबकि गरीब वर्ग की स्थिति में अधिक सुधार नहीं होता।
लोकतंत्र आने से अवसरों और संसाधनों का न्यायपूर्ण वितरण संभव हो सकता है, लेकिन इसके लिए प्रभावी नीतियाँ और सशक्त क्रियान्वयन ज़रूरी है। केवल लोकतांत्रिक शासन होने भर से असमानता और गरीबी अपने आप खत्म नहीं होती।
लोकतांत्रिक व्यवस्था और आर्थिक असमानता
लोकतांत्रिक व्यवस्था राजनीतिक समानता पर आधारित होती है, जहाँ हर व्यक्ति का मत समान महत्व रखता है। चुनावों में सभी को बराबरी का दर्जा मिलता है, लेकिन इसके साथ आर्थिक असमानता भी बढ़ती हुई दिखती है। मुट्ठी भर अमीर वर्ग आय और संपत्ति का बड़ा हिस्सा अपने पास रखता है, जबकि समाज के निचले वर्गों के पास जीवन बसर के लिए पर्याप्त साधन नहीं होते। कई बार उन्हें भोजन, कपड़ा, मकान, शिक्षा और इलाज जैसी बुनियादी ज़रूरतें पूरी करने में कठिनाई होती है।
गरीबी और लोकतांत्रिक सरकारों की भूमिका: भारत जैसे देशों में गरीबों की संख्या बहुत अधिक है, और राजनीतिक दल उनके वोट पाने के लिए प्रयास करते हैं। फिर भी, गरीबी को दूर करने पर निर्वाचित सरकारें उतना ध्यान नहीं देतीं, जितनी अपेक्षा की जाती है। अन्य देशों में स्थिति और खराब है, जैसे बांग्लादेश में, जहाँ आधी से अधिक आबादी गरीबी में जी रही है।
वैश्विक असमानता और निर्भरता:कई गरीब देश अपनी खाद्य आपूर्ति के लिए अमीर देशों पर निर्भर हो गए हैं। लोकतांत्रिक व्यवस्थाएँ अब तक आर्थिक असमानताओं को कम करने में उतनी सफल नहीं हो पाई हैं। इस चुनौती को दूर करने के लिए नीतिगत सुधार और संसाधनों के न्यायपूर्ण वितरण की आवश्यकता है।
सामाजिक विविधता और लोकतंत्र
लोकतंत्र शांति और सद्भाव सुनिश्चित करने में मदद करता है। यह सामाजिक विविधताओं के बीच सामंजस्य बनाए रखता है, जैसे बेल्जियम ने अपने जातीय समूहों के बीच किया। लोकतंत्र की खूबी है कि यह सामाजिक विभाजन और टकराव को बातचीत और समन्वय से हल करना सिखाता है। इससे हिंसा की संभावना कम होती है, और समाज में सामंजस्य बना रहता है।
1. लोकतंत्र की शर्तें:
अल्पमत का सम्मान: लोकतंत्र का अर्थ केवल बहुमत के शासन से नहीं है। बहुमत को सदा अल्पमत का सम्मान करना और उनके साथ काम करना चाहिए। तभी सरकार सभी की इच्छाओं का प्रतिनिधित्व कर सकती है।
समावेशी बहुमत: बहुमत का शासन धर्म, नस्ल, या भाषा के बहुसंख्यक समूह का शासन नहीं है। हर निर्णय में अलग-अलग समूह बहुमत का हिस्सा बन सकते हैं। लोकतंत्र तभी तक समावेशी रहता है जब प्रत्येक नागरिक को बहुमत का हिस्सा बनने का अवसर मिले। जन्म के आधार पर किसी को बहुसंख्यक समुदाय का हिस्सा बनने से रोकना लोकतंत्र को कमजोर करता है।
नागरिकों की गरिमा और आज़ादी
लोकतांत्रिक व्यवस्था व्यक्ति की गरिमा और आज़ादी के मामले में अन्य किसी भी शासन प्रणाली से आगे है।
हर व्यक्ति सम्मान की अपेक्षा करता है, और टकराव अक्सर तब पैदा होते हैं जब किसी को लगता है कि उनके साथ सम्मानजनक व्यवहार नहीं हुआ।
गरिमा और आज़ादी की यह चाह लोकतंत्र की बुनियाद है। हालाँकि, अलग-अलग लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में इन मूल्यों का पालन अलग स्तरों पर होता है।
1. स्त्रियों और कमजोर वर्गों की गरिमा
महिलाओं की गरिमा का उदाहरण लें, तो यह देखा गया है कि लंबे संघर्ष के बाद ही लोकतंत्र ने यह स्वीकार किया कि महिलाओं के साथ सम्मान और समानता का व्यवहार आवश्यक है।
हालाँकि, महिलाओं के अधिकारों को अब कानूनी और नैतिक रूप से मान्यता मिली है, लेकिन यह अलोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में संभव नहीं था।
इसी तरह, भारत में लोकतंत्र ने कमजोर जातियों और भेदभाव झेलने वाले वर्गों को समान दर्जा और अवसर दिलाने में अहम भूमिका निभाई है। जातिगत भेदभाव आज भी मौजूद है, लेकिन इसके पक्ष में कानूनी या नैतिक समर्थन नहीं है।
2. लोकतंत्र और जनता की जागरूकता
लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत यह है कि यह निरंतर जाँच और मूल्यांकन के अधीन रहता है।
लोग अपनी शिकायतों और अपेक्षाओं के माध्यम से लोकतंत्र को और बेहतर बनाने की माँग करते हैं।
यह असंतोष और आलोचना लोकतंत्र की सफलता का संकेत है, क्योंकि यह दर्शाता है कि लोग अपने अधिकारों के प्रति अधिक जागरूक हो गए हैं।
आज अधिकांश लोग मानते हैं कि उनके वोट से सरकार के कामकाज पर असर पड़ता है और यह उनके हितों को प्रभावित करता है।
इस जागरूकता ने लोगों को प्रजा से नागरिक बनने की ओर प्रेरित किया है। लोकतंत्र की यही खूबी इसे अन्य शासन प्रणालियों से अलग और बेहतर बनाती है।