मुख्यपृष्ठ असगर वजाहत शेर, पहचान, चार हाथ, साझा Gadya Antra Hindi Chapter 5 class 12 असगर वजाहत शेर, पहचान, चार हाथ, साझा Gadya Antra Hindi Chapter 5 class 12 0 Eklavya Study Point नवंबर 23, 2024 शेर परिचय शेर' असगर वजाहत की प्रतीकात्मक और व्यंगात्मक लघुकथा है ।शेर व्यवस्था का प्रतीक है, जंगल के जानवर सामान्य जनता के प्रतीक हैं।शेर के पेट में जंगल के सभी जानवर किसी न किसी लालच में समाते जा रहे हैं। सत्ता का प्रतीक : शेर आदमी सत्ता के जाल से बचने के लिए जंगल में जाता है किन्तु वहां भी सत्ता का प्रतीक शेर बैठा है।सभी जानवर किसी न किसी लालच के कारण शेर के मुख में समाते जा रहे हैं।गधे को यह लालच दी गयी की शेर के मुहं में घास का मैदान है।लौमडी को यह बताया गया की वहां रोजगार का दफ्तर है ।कुत्तो से यह कहा गया की शेर के मुहं में प्रवेश करना ही निर्वाण का एकमात्र मार्ग है प्रमाण से अधिक महत्वपूर्ण विश्वास लेखक सच्चाई का पता लगाने शेर के कार्यालय जाता है, जिस प्रकार सत्ता के पक्षधर सत्ता का गुणगान करते है उसी प्रकार कार्यालय के कर्मचारी शेर की तरफदारी करते हैं।लेखक उनसे सबूत मांगता है की शेर के मुहं में रोजगार का दफ्तर है भी या नहीं तब वे कहते हैं "मानव जीवन में प्रमाण से अधिक विश्वास महत्वपूर्ण है"लेखक कहता है जितने भी ठग और मक्कार लोग होते हैं वे अपनी बात का कोई प्रमाण नहीं डे सकते क्योंकि वे झूठे होते हैं ।इसलिए वे लोगों से बिना सबूत दिए केवल ऐसे ही विश्वास करने का आग्रह करते हैं, जब लोग इन पर विश्वास करने लगते हैं, तो वे उनके विश्वास का अनुचित लाभ उठाते हैं, शेर के ऑफिस के कर्मचारी भी यही कर रहे हैं। शेर के मुहं और रोजगार के दफ्तर के बीच अंतर शेर का मुहं भयानकता का प्रतीक है जबकि रोजगार का दफ्तर नौकरी देने का स्थान है ।शेर के मुहं में लोग जाते हुए डरते हैं जबकि रोजगार के दफ्तर में लोग हस्ते हुए जाते हैं ।शेर के मुहं में लोग मरने के लिए जाते हैं परन्तु दफ्तर में नौकरी के लिए।शेर का मुहं मात्र एक छलावा है एवं वहां जाने से धोका ही मिलता है। पहचान पहचान लघुकथा के माध्यम से लेखक यह बताना चाहता है की राजा को अंधी बहरी और गूंगी प्रजा पसंद होती है, जो बिना कुछ देखे सुने और बोले राजा के आदेशों का पालन करती रहे। राजा का आदेश पहचान लघुकथा के माध्यम से लेखक यह बताना चाहता है की राजा को अंधी बहरी और गूंगी प्रजा पसंद होती है, जो बिना कुछ देखे सुने और बोले राजा के आदेशों का पालन करती रहे । राजा का आदेश राजा ने हुक्म निकाला की उसके राज्य में सब लोग अपनी आँखे बंद रखेंगे ताकि उन्हें शान्ति मलती रहे ।इसका तात्पर्य यह है की राजा के आदेश के अनुसार उसके राज में जो लोग अपनी आँखे बंद नहीं करेंगे अर्थात जो कार्य करते हुए देखेगा, वह शान्ति से नहीं रह सकेगा ।लोग अपने अपने कानों में पिघला हुआ सीसा डलवा लें क्योंकि सुनना जीवित रहने के लिए बिलकुल भी जरुरी नहीं है - इस हुक्म के मुताबिक जो भी व्यक्ति राज में किसी की बात सुनेगा उसे जिंदा नहीं छोड़ा जायेगा | राजा ने हम दिया लोग अपने होंठो को सिल्वा लें क्योंकि बोलना उत्पादन में सदा से ही बाधक रहा है।इसका तात्पर्य है की लोग कार्य करते समय किसी दूसरे से बात नहीं करेंगे केवल अपना कार्य करेंगे।यदि जनता राज्य की स्थिति को अनदेखा करती है, तो इससे शासक वर्ग निरंकुश हो जाता है ।शासक की व्यक्तिगत उन्नति तो खूब होती है परन्तु राज्य की प्रगति रुक जाती है,यदि राज्य की जनता राज्य की स्थिति के प्रति सचेत नहीं रहती तो शासक वर्ग राज्य के संसाधनों का प्रयोग अपने खुद के हित के लिए करता है तथा राज्य की स्थिति में सुधर और विकास में उसकी कोई रूचि नहीं रह जाती । जागरूक जनता के प्रतीक खैराती, रामू और छिदू जागरूक और सचेत जनता के प्रतीक हैं, राजा के आदेश पर आँखे बंद करके वे भी सामान्य जनता के समान हो गए। कुछ समय बाद राज्य की प्रगति देखने की इच्छा से उन्होंने जब आँखे खोली तो उन्हें हर जगह सत्ता की शक्ति ही दिखाई दी, उन्हें सामने केवल राजा ही दिखाई दिया प्रजा वहां नहीं थी, सत्ता इतनी शक्तिशाली हो चुकी थी की बदलाव की कोई गुंजाईश नहीं थी। चार हाथ यह लघुकथा पूंजीपतियों द्वारा मजदूरों के शोषण को उजागर करती है ।पूंजीपति अपने लाभ में वृद्धि करने के लिए नए नए तरीकों को अपनाते हैं ।अपने लाभ के लिए वे मजदूरों का शोषण करते हैं ।मजदूरों का शोषणपूंजीपति अपने लाभ के लिए मजदूरों का शोषण करते हैं और कई बार उनके स्वाभिमान को भी ठेस पहुंचाते हैं, मजदूर अपनी निर्धनता और मज़बूरी के कारण विरोध की स्थिति में नहीं होते।मजदूर विवशता के कारण आधी मजदूरी में भी काम करने को राजी हो जाते हैं ।मजदूरों के चार हांथएक मिल मालिक ने अपना मुनाफा बढ़ने के लिए मिल के मजदूरों के चार हाथ , लगाने की एक योजना बनाय ।मिल मालिक ने बड़े बड़े वैज्ञानिकों को अच्छी कीमत देकर नौकरी पर रखा ।इस काम में वैज्ञानिकों के असफल होने पर उसने यह कार्य स्वयं करने का निश्चय किया।मिल मालिक ने कटे हुए हाथ मजदूरों के फिट करने चाहे परन्तु वह असफल रहा एवं उसके इस प्रयास से बहुत सारै मजदूरों की मृत्यु भी हो गयी। चार हाथ न लगा पाने की स्थिति में मिल मालिक की समझ में यह बात आयी की मजदूरों का वेतन आधा कर दो और दुगने मजदूर काम पर रख लो।इससे मुनाफा वैसे ही दुगना हो जायेगा।यह कार्य भी मजदूरों के चार हाथ लगाने जैसा ही होगा। साझा साझा के माध्यम से लेखक ने उन पूंजीपतियों पर व्यंग्य किया है जिनकी नज़र किसानों की जमीन तथा जायदाद पर लगी है।आजादी के बाद किसानो की दयनीय दशा का वर्णन किया गया है।पूंजीपति किसान की फसल हड़प लेता है (इस कथा में हाथी को पूंजपतियों का प्रतीक बताया गया है )किसान का डरकिसान को खेती की हर बारीकी के बारे में मालूम था, लेकिन फिर भी वह डरा दिए जाने के कारण अकेला खेती कर पाने का सहस नहीं जुटा पाटा था।अब उसे हाथी ने कहा की वह उसके साथ साझे की खेती कर ले, किसान ने उसको बताया की साझे में उसका कभी गुज़ारा नहीं होता और अकेले वह खेती कर नहीं सकता।इसलिए वह खेती करेगा ही नहीं, हाथी ने उसे बहुत देर तक पट्टी पढ़ाईऔर यह भी कहा की उसके साथ साझे की खेती करने से यह लाभ होगा की जंगल के छोटे मोटे जानवर खेतों को नुकसान नहीं पहुंचा सकेंगे और खेतों की अच्छे से रखवाली होगी ।हाथी की साजिशकिसान किसी न किसी तरह तैयार हो गया और उसने हाथी से मिलकर गन्ना बोया।हाथी पूरे जंगल में घूम कर डुग्गी पीट आया की गन्ने में उसका साझा है कोई जानवर खेत को नुकसान न पहुंचाए ।किसान फसल की सेवा करता रहा और समय पर जब गन्ने तैयार हो गए तो वह हाथी को खेत पर बुला लाया, किसान चाहता था की फसल आधी आधी बंट जाए जब उसने हाथी से ऐसा कहा तो हाथी बिगड़ गया ।हाथी ने कहा 'अपने पराये की बात न करो, यह छोटी बात है हम दोनों ने मिलकर मेहनत की है हम दोनों स्वामी हैं । किसान के कुछ कहने से पहले ही हाथी ने बढ़कर अपने सूंड से एक गन्ना तोड़ लिया और आदमी से कहा 'आओ खाएं ।'गन्ने का एक हिस्सा हाथी की सूंड में था और दूसरा आदमी के मुहं में गन्ने के साथ साथ आदमी हाथी के मुहं की तरफ खींचने लगा तो उसने गन्ना छोड़ दिया।हाथी ने कहा 'देखो, हमने एक गन्ना खा लिया है ।इस तरह हाथी और किसान के बीच साझे की खेती बंट गयी। और नया पुराने