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कांग्रेस प्रणाली चुनौतियाँ और पुनर्स्थापना Notes in Hindi Chapter 5 Political Science class 12 Book 2 Challenges to and Restoration of the Congress System

 



राजनीतिक उत्तराधिकार की चुनौती

  • 1964 के मई में नेहरू जी की मृत्यु हो गई उसके बाद उनके राजनीतिक उत्तराधिकारी को लेकर बहस तेज हो गई अगला प्रधानमंत्री किसे बनाया जाए इस पर बहस चली।
  • ऐसी आशंका होने लगी जैसे देश टूट जाएगा सेना का शासन आ जाएगा।
  • लेकिन नेहरू जी के उत्तराधिकारी बड़ी आसानी से चुन लिए गए लाल बहादुर शास्त्री जी अगले प्रधानमंत्री बने।
  • कांग्रेस अध्यक्ष के. कामराज ने पार्टी में सलाह मशवरा किया शास्त्री जी को प्रधानमंत्री बनवा दिया।
  • शास्त्री जी नेहरु के मंत्रिमंडल में मंत्री पद पर रह चुके थे शास्त्री जी एक स्वच्छ छवि के नेता थे।


शास्त्री जी के समय 2 मुख्य चुनौतिया 

1. खाद्यान संकट 

2. पकिस्तान से युद्ध 

शास्त्री जी काफी कम समय तक प्रधानमत्री रहे 10 जनवरी 1966 को अचानक ताशकंद में उनका देहांत हो गया था उन्होंने जय जवान जय किसान का नारा दिया 1966 में ताशकंद समझौता हुआ


शास्त्री जी के बाद इंदिरा गाँधी 

  • लाल बहादुर शास्त्री की 1966 में मृत्यु के बाद एक बार फिर उत्तराधिकार को लेकर समस्या सामने आई
  • इस बार इंदिरा गांधी और मोरारजी देसाई के बीच प्रधानमंत्री बनने के लिए कड़ा मुकाबला था अंततः इंदिरा गांधी को देश का प्रधानमंत्री बना दिया गया क्योंकि उन्हें पार्टी का समर्थन मिल चुका था
  • पार्टी के नेताओं ने इंदिरा गांधी को यह सोचकर समर्थन किया था कि इंदिरा गांधी उनकी सलाह के अनुसार काम करेंगी


1960 दशक को खतरनाक दशक क्यों कहते है ?

  • गरीबी , गैर बराबरी , साम्प्रदायिकता
  • इसी समय पर 2 युद्ध हुए
  • खाद्यान संकट
  • दो प्रधानमंत्रियो की मौत


1967 का चौथा आम चुनाव

  • फरवरी 1967 में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव हुए कांग्रेस को राष्ट्रीय और प्रांतीय स्तर पर गहरा धक्का लगा
  • इस समय कांग्रेस 9 राज्यों से सत्ता खो बैठी थी केंद्र में उसकी सरकार बच गई परन्तु कांग्रेस को राज्यों में बड़ा झटका लगा
  • कई राजनीतिक पर्यवेक्षकों ने इसे राजनीतिक भूकंप की संज्ञा दी कांग्रेस के दिग्गज नेता भी इस समय चुनाव हार गए थे

1. तमिलनाडु – के. कामराज 

2. महाराष्ट्र – एस. के. पाटिल

3. बंगाल –  अतुल्य घोष 

4. बिहार –  के. बी. सहाय 

 

कांग्रेस विधानसभा चुनाव में   7 + 2 राज्यों से हार गयी  

  • 7 राज्यों में बहुमत नहीं मिला 2 राज्यों में दलबदल के कारण सरकार नहीं बना पाई
  • पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, मद्रास, उड़ीसा केरल आदि राज्यों में सत्ता खो बैठी
  • मद्रास में क्षेत्रीय पार्टी द्रविड़ मुनेत्र कष्मग ने चुनाव जीता
  • DMK हिंदी विरोधी आंदोलन के चलते अस्तित्व में आयी


चौथा आम चुनाव तक देश में आये बदलाव 

  • दो प्रधानमंत्रियों मंत्रियों की मृत्यु
  • नए प्रधानमंत्री को कम अनुभवी माना गया
  • गंभीर आर्थिक संकट , मॉनसून की असफलता
  • सूखा, खेती की पैदावार में गिरावट
  • विदेशी मुद्रा की कमी
  • सैन्य खर्चों में बढ़ोतरी
  • रुपए का अवमूल्यन



गठबंधन 

  • 1967 के चुनावों से गठबंधन की परिघटना सामने आयी।
  • इस समय किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला था, इसलिए अनेक गैर-कांग्रेसी पार्टियों ने एकजुट होकर संयुक्त विधायक दल बनाया और गैर-कांग्रेसी सरकारों को समर्थन दिया।
  • इसी कारण इन सरकारों को संयुक्त विधायक दल की सरकार कहा गया।
  • ऐसी सरकार के घटक दल विचारधारा के लिहाज से एक-दूसरे से भिन्न थे।

उदाहरण -  

बिहार में बनी संयुक्त विधायक दल की सरकार में दो समाजवादी पार्टियाँ एसएसपी और पीएसपी-शामिल थीं। 

  • इनके साथ इस सरकार में वामपंथी-सीपीआई और दक्षिणपंथी जनसंघ भी शामिल थे। 
  • पंजाब में बनी संयुक्त विधायक दल की सरकार को 'पॉपुलर यूनाइटेड फ्रंट' की सरकार कहा गया। 
  • इसमें उस वक्त के दो परस्पर प्रतिस्पर्धी अकाली दल-संत ग्रुप और मास्टर ग्रुप शामिल थे। 
  • इनके साथ सरकार में दोनों साम्यवादी दल सीपीआई और सीपीआई (एम), एसएसपी, रिपब्लिकन पार्टी और भारतीय जनसंघ भी शामिल थे।


दल बदल 

1967 के चुनाव से दलबदल की परिघटना सामने आई 

जब कोई नेता किसी खास दल के चुनाव चिन्ह को लेकर चुनाव लड़े चुनाव जीत जाए और चुनाव जीतने के बाद किसी दल को छोड़कर दूसरे दल में चला जाए तो इसे दलबदल कहा जाता है

हरियाणा के एक विधायक गयालाल ने एक ही पखवाड़े में 3 बार पार्टी बदल ली इस घटना को आया राम गया राम के नाम से जाना चाहता है


गैर कांग्रेसवाद का अर्थ 

  • देश में बिगड़ते माहौल को देखकर विपक्ष अति सक्रिय हो गया था
  • इन दलों को लगा कि इंदिरा गांधी की अनुभव हीनता और कांग्रेस के अंदरूनी उठा पटक से उन्हें कांग्रेस को सत्ता से हटाने का एक अवसर हाथ लगा है
  • राम मनोहर लोहिया ने इसे गैरकांग्रेसवाद का नाम दिया
  • उन्होंने कहा कि कांग्रेस का शासन अलोकतांत्रिक है और गरीबों के खिलाफ है
  • इसलिए गैर कांग्रेसी दलों को एक साथ आ जाना चाहिए ताकि लोकतंत्र को वापस लाया जा सके


कॉग्रेस में विभाजन - इंदिरा बनाम सिंडिकेट 

  • इंदिरा गांधी को असली चुनौती विपक्ष से नहीं बल्कि खुद अपने पार्टी के भीतर से मिली
  • उन्हें सिंडिकेट से निपटना था
  • सिंडिकेट कांग्रेस के भीतर ताकतवर और प्रभावशाली नेताओं का एक समूह था
  • इंदिरा गांधी को प्रधानमंत्री बनवाने में सिंडिकेट ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी
  • सिंडिकेट को उम्मीद थी कि इंदिरा गांधी उनकी सलाह पर अमल करेंगी लेकिन इंदिरा गांधी ने उनकी सलाह को नहीं माना
  • इंदिरा गांधी को सरकार और पार्टी के भीतर खुद का मुकाम बनाना था
  • अपने सलाहकारों और विश्वस्तो के समूह में पार्टी से बाहर के लोगो को रखा


इंदिरा को दो चुनौतियों का सामना करना पड़ा 

1. सिंडिकेट के प्रभाव से स्वतंत्र मुकाम बनाना 

2. 1967 के चुनाव में हारी सीटे दुबारा जीतना 

  • इंदिरा गांधी ने सरकार की नीतियों को वामपंथी रंग देना शुरू कर दिया
  • वामपंथी – गरीब ,पिछड़े लोगो के लिए नीतियाँ बनाना


10 सूत्री कार्यक्रम 

  • बैंकों पर सामाजिक नियंत्रण
  • बीमा का राष्ट्रीयकरण
  • आय का परिसीमन
  • खाद्यान्न का सरकारी वितरण
  • भूमि सुधार गरीबों को भूमि देना


राष्ट्रपति पद का चुनाव 

  • 1969 में राष्ट्रपति चुनाव के समय इंदिरा गांधी और सिंडिकेट के बीच गुटबाजी खुलकर सामने आ गई थी
  • तत्कालीन राष्ट्रपति जाकिर हुसैन की मृत्यु हो गई थी
  • सिंडिकेट ने लोकसभा अध्यक्ष नीलम संजीव रेड्डी को राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में खड़ा करने में सफलता पाई
  • इंदिरा गांधी और संजीव रेड्डी के बीच पहले ही अनबन थी
  • इंदिरा गांधी ने वी.वी. गिरि को बढ़ावा दिया
  • दोनों गुट राष्ट्रपति पद के चुनाव से अपनी ताकत आजमाना चाहते थे कांग्रेस अध्यक्ष एस .निजलिंगप्पा ने कहा पार्टी उम्मीदवार रेडी को ही वोट दें इंदिरा गांधी ने कहा अपनी अंतरात्मा की आवाज पर वोट डाले
  • अंत में वी.वी. गिरि विजई हुए, यह स्वतंत्र उम्मीदवार थे संजीव रेड्डी की हार से पार्टी का टूटना तय था कांग्रेस अध्यक्ष ने प्रधानमंत्री को अपनी पार्टी से निष्कासित कर दिया इंदिरा गांधी ने कहा उनकी कांग्रेस की असली कांग्रेस है


कांग्रेस में विभाजन 

कांग्रेस 

1. कांग्रेस (ओ) सिंडिकेट 

2. कांग्रेस (आर) इंदिरा गाँधी  

  • इंदिरा ने इस टूट को विचारधाराओ की लडाई कहा
  • इंदिरा ने अपनी पार्टी को गरीब लोगो की हिमायती बताया
  • इंदिरा गांधी ने 14 बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया


प्रिवी पर्स क्या है ? 

  • भूतपूर्व राजाओं महाराजाओं को मिलने वाले विशेष अधिकार प्रिवी पर्स है
  • मोरारजी देसाई ने प्रिवी पर्स समाप्त करने का विरोध किया और सरकार से किनारा कर लिया
  • मोरारजी देसाई नहीं चाहते थे कि प्रिवी पर्स की समाप्ति हो
  • मोरारजी ने कहा प्रिवी पर्स की समाप्ति को राजा तथा रियासतों के साथ विश्वासघात है


1971 का चुनाव -

  • कांग्रेस में टूट से इंदिरा गांधी सरकार अल्पमत में आ गई थी
  • डी.एम.के और सी.पी.आइ ने अपना समर्थन जारी रखा
  • इसी दौरान सरकार ने समाजवादी रंग दिखाने का प्रयास किया
  • इंदिरा गांधी ने भूमि सुधार के कानून के क्रियान्वयन के लिए अभियान चलाया
  • भू परिसीमन के कानून बनाए
  • इंदिरा ने 1970 के दिसंबर में लोकसभा भंग करने की सिफारिश की


चुनावी मुकाबला 

  • चुनावी मुकाबला कांग्रेस (आर) के विपरीत लग रहा था
  • क्योंकि नई कांग्रेस जर्जर हो रही थी
  • सब को विश्वास था कांग्रेस पार्टी की असली ताकत सिंडिकेट के नियंत्रण में है
  • सभी बड़ी गैर साम्यवादी और गैर कांग्रेसी विपक्षी पार्टियों ने एक चुनावी गठबंधन बना लिया जिसे ग्रैंड अलायंस कहा गया
  • एस.एस.पी, एस.पी, जनसंघ ,स्वतंत्र पार्टी, भारतीय क्रांति दल सब एक साथ मिल गए
  • नई कांग्रेस के पास एक मुद्दा था जो कांग्रेस ( ओ ) के पास नहीं था
  • इंदिरा जहां भी देश भर में जाती हमेशा यह कहती थी कि विपक्षी गठबंधन के पास बस एक ही मुद्दा है इंदिरा हटाओ

लेकिन इंदिरा ने यही कहा गरीबी हटाओ

  • इसके अलावा इंदिरा ने सार्वजनिक क्षेत्र की समृद्धि
  • भू स्वामित्व तथा शहरी संपदा का परिसीमन
  • आय तथा रोजगार के अवसर में असामनता
  • प्रिवी पर्स की समाप्ति पर चुनाव अभियान पर जोर दिया


1971 के नाटकीय चुनाव परिणाम 

  • कांग्रेस और सी.पी.आई गठबंधन को जितनी सीटें मिली उतनी पिछले आम चुनाव में कभी नहीं मिली थी
  • गठबंधन को 375 सीटें मिली
  • अकेले कांग्रेस ( आर ) को 352 सीटें मिली
  • कांग्रेस ( ओ ) बुरी तरीके से हार गई
  • मात्र 16 सीटें मिली
  • ग्रैंड अलायंस को 40 सीटें मिली
  • 1971 लोकसभा चुनाव के बाद बांग्लादेश संकट हो गया
  • भारत पाकिस्तान युद्ध हुआ
  • भारत जीता और बांग्लादेश नामक स्वतंत्र देश बनवा दिया
  • इसके बाद इंदिरा की लोकप्रियता को चार चांद लग गए
  • विपक्ष के नेताओं तक ने इंदिरा गांधी की प्रशंसा की
  • 1972 में विधानसभा चुनाव हुए और कांग्रेस ( आर ) चुनाव में जीती
  • इंदिरा को गरीबों और वंचितों के रक्षक के रूप में देखा गया
  • कांग्रेस ( आर ) ने अपना दबदबा बना लिया


कांग्रेस प्रणाली की पुनर्स्थापना 

  • जिस प्रकार कांग्रेस 1967 के चुनाव के समय बुरे दौर से गुजरी उसके बाद कांग्रेस टूटी और 1971 में इंदिरा गांधी ने कांग्रेस को दोबारा से उसी स्थान पर ला दिया जहां कांग्रेस पहले थी
  • अब कांग्रेस एक व्यक्ति की लोकप्रियता पर निर्भर थी
  • अब इस पार्टी ने अलग-अलग गुट नहीं थे
  • यह पार्टी गरीबों,अल्पसंख्यक,महिलाओं,दलित,आदिवासी पर ज्यादा निर्भर थी
  • इंदिरा गांधी ने कांग्रेस प्रणाली को पुनर्स्थापित किया लेकिन इसकी प्रकृति बदल कर
  • पहले कांग्रेस प्रणाली के भीतर हर तनाव और संघर्ष को पचा लेने की क्षमता थी
  • पहले कांग्रेस पार्टी के अंदर विभिन्न विचारधाराएं शामिल थी
  • लेकिन नई कांग्रेस में ही क्षमता नहीं थी
  • कांग्रेस ने इंदिरा की पकड़ बड़ी अब कांग्रेस की प्रकृति बदल चुकी थी




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