राजनीतिक उत्तराधिकार की चुनौती
- 1964 के मई में नेहरू जी की मृत्यु हो गई उसके बाद उनके राजनीतिक उत्तराधिकारी को लेकर बहस तेज हो गई अगला प्रधानमंत्री किसे बनाया जाए इस पर बहस चली।
- ऐसी आशंका होने लगी जैसे देश टूट जाएगा सेना का शासन आ जाएगा।
- लेकिन नेहरू जी के उत्तराधिकारी बड़ी आसानी से चुन लिए गए लाल बहादुर शास्त्री जी अगले प्रधानमंत्री बने।
- कांग्रेस अध्यक्ष के. कामराज ने पार्टी में सलाह मशवरा किया शास्त्री जी को प्रधानमंत्री बनवा दिया।
- शास्त्री जी नेहरु के मंत्रिमंडल में मंत्री पद पर रह चुके थे शास्त्री जी एक स्वच्छ छवि के नेता थे।
शास्त्री जी के समय 2 मुख्य चुनौतिया
1. खाद्यान संकट
2. पकिस्तान से युद्ध
शास्त्री जी काफी कम समय तक प्रधानमत्री रहे 10 जनवरी 1966 को अचानक ताशकंद में उनका देहांत हो गया था उन्होंने जय जवान जय किसान का नारा दिया 1966 में ताशकंद समझौता हुआ।
शास्त्री जी के बाद इंदिरा गाँधी
- लाल बहादुर शास्त्री की 1966 में मृत्यु के बाद एक बार फिर उत्तराधिकार को लेकर समस्या सामने आई।
- इस बार इंदिरा गांधी और मोरारजी देसाई के बीच प्रधानमंत्री बनने के लिए कड़ा मुकाबला था अंततः इंदिरा गांधी को देश का प्रधानमंत्री बना दिया गया क्योंकि उन्हें पार्टी का समर्थन मिल चुका था।
- पार्टी के नेताओं ने इंदिरा गांधी को यह सोचकर समर्थन किया था कि इंदिरा गांधी उनकी सलाह के अनुसार काम करेंगी।
1960 दशक को खतरनाक दशक क्यों कहते है ?
- गरीबी , गैर बराबरी , साम्प्रदायिकता
- इसी समय पर 2 युद्ध हुए
- खाद्यान संकट
- दो प्रधानमंत्रियो की मौत
1967 का चौथा आम चुनाव
- फरवरी 1967 में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव हुए कांग्रेस को राष्ट्रीय और प्रांतीय स्तर पर गहरा धक्का लगा
- इस समय कांग्रेस 9 राज्यों से सत्ता खो बैठी थी केंद्र में उसकी सरकार बच गई परन्तु कांग्रेस को राज्यों में बड़ा झटका लगा
- कई राजनीतिक पर्यवेक्षकों ने इसे राजनीतिक भूकंप की संज्ञा दी कांग्रेस के दिग्गज नेता भी इस समय चुनाव हार गए थे
1. तमिलनाडु – के. कामराज
2. महाराष्ट्र – एस. के. पाटिल
3. बंगाल – अतुल्य घोष
4. बिहार – के. बी. सहाय