प्रश्न - आरंभिक समाज में नए नगरों के उदय ने सामाजिक जीवन को किस तरह जटिल बना दिया ?
उत्तर -
- इस काल में नगरों के उद्भव के कारण सामाजिक जीवन अधिक जटिल हुआ यहाँ दूर से लोग आकर बसने लगे ,वस्तुओं की खरीद फरोख्त होने लगी
- नगरीय परिवेश में विचारो का आदान प्रदान होने लगा था इस वजह से आरंभिक विश्वासों और व्यवहारों पर प्रश्नचिन्ह लगाए गए
प्रश्न - 600 ई. पूर्व से 600 ईसवी तक के काल में सामाजिक जीवन अधिक जटिल हुआ l इस चुनौती की प्रतिक्रिया में ब्राह्मणों ने क्या किया ?
उत्तर -
- ब्राह्मण लोगों ने इस चुनौती के जवाब में आचार संहिता बनाई जिसका पालन ब्राह्मण को विशेष रूप से और बाकी समाज को भी इसका पालन करना होता था
- लगभग 500 ई. पू. से इन मानदंडों का संकलन धर्मशास्त्र और धर्मसूत्र नामक संस्कृत ग्रंथों में किया गया
- इसमें सबसे महत्वपूर्ण मनुस्मृति थी
प्रश्न -" किस प्रकार महाभारत का समालोचनात्मक संस्करण एक अत्यंत महत्वकांक्षी परियोजना मानी गई " स्पष्ट कीजिए ?
उत्तर -
- वी. एस. सुकथकर के नेतृत्व में 1919 में महाभारत का समालोचनात्मक संस्करण तैयार किया गया
- यह एक महत्वकांक्षी परियोजना मानी गई क्योंकि इस परियोजना के पूरा होने में 47 वर्ष का समय लग गया
- देश के अलग-अलग भागों से विभिन्न लिपियों में लिखी गई महाभारत की पांडुलिपियों को एकत्रित किया गया उन श्लोंको का चयन किया गया जो लगभग सभी पांडुलिपियों में थे
प्रश्न -ब्राह्मणीय पद्धति में स्त्रियों का गोत्र कैसे निर्धारित किया जाता था ?
उत्तर -
गोत्र के दो नियम थे
1. विवाह के बाद स्त्री का गोत्र पिता की जगह पति का माना जाता था
2. एक ही गोत्र के सदस्य आपस में विवाह संबंध नहीं रख सकते थे
प्रश्न - सामाजिक इतिहास के पुनर्निर्माण में आदर्श मूलक संस्कृत ग्रंथों की भूमिका स्पष्ट करो ?
उत्तर -
- संस्कृत ग्रंथों से समाज के नियमों की जानकारी मिलती है लोगों की जीविका , व्यवहार , आदर्श की जानकारी प्राप्त होती है
- विवाह के नियम , संपत्ति के अधिकार , आचार संहिताओं की जानकारी मिलती है
- संस्कृत ग्रंथ से मिले साक्ष्य इतिहासकारों के लिए महत्वपूर्ण साबित हुए हैं इसी की सहायता से इतिहास का पुनर्निर्माण आसान हो माया है
प्रश्न - मंदसौर अभिलेख जटिल सामाजिक प्रतिक्रियाओं की झलक किस प्रकार देता है ?
उत्तर -
- मंदसौर ( मध्य प्रदेश ) से अभिलेख मिला है जिसमे रेशम के बुनकरों की श्रेणी का वर्णन मिलता है
- यह अभिलेख जटिल सामाजिक प्रक्रियाओं की झलक देता है तथा श्रेणियों के स्वरूप के विषय में अंतर्दृष्टि प्रदान करता है
- श्रेणी की सदस्यता शिल्प में विशेषज्ञता पर निर्भर थी लेकिन कुछ सदस्य अन्य जीविका भी अपना लेते थे
प्रश्न - मनुस्मृति में वर्णित चांडालों के कर्तव्य का वर्णन कीजिए ?
उत्तर -
- गांव से बाहर रहना
- फेंके हुए बर्तन का इस्तेमाल करना
- मरे हुए लोगों के वस्त्र पहनना
- लोहे के आभूषण पहनना
प्रश्न - महाभारत कालीन समाज पुरुष प्रधान था कोई तीन तर्क देकर समझाइए ?
उत्तर -
- समाज में पितृवंशिकता थी
- समाज पुरुष प्रधान था
- पुरुषो को ही पैतृक संपत्ति पर अधिकार प्राप्त था
- पिता के बाद संसाधनों पर पुत्र का अधिकार होता था
- पितृवंश को आगे बढ़ाने के लिए पुत्र को महत्वपूर्ण माना जाता था
प्रश्न -महाभारत के बारे में प्रख्यात इतिहासकार मौरिस विंटरविट्ज़ की राय क्या थी ?
उत्तर -
- मौरिस विंटरविट्ज़ के अनुसार महाभारत सम्पूर्ण साहित्य का प्रतिनिधित्व करता है
- यह ग्रंथ भारतीयों की आत्मा की गहराई को एक अंतर्दृष्टि प्रदान करता है
- इसमें समाज के नियमो की जानकारी मिलती है
- इस ग्रंथ में केवल राजनीतिक , आर्थिक , सामाजिक पक्ष की चर्चा नहीं मिलती बल्कि इसमें नैतिक कर्तव्य के बारे में विस्तार से वर्णन मिलता है
प्रश्न - महाभारत के मूल व प्रचलित लेखक कौन थे ? व्याख्या कीजिए ?
उत्तर -
- महाभारत की मूल कथा के रचयिता भाट सारथी थे जिन्हें सूत भी कहा जाता था
- यह क्षत्रिय योद्धाओं के साथ युद्धक्षेत्र में जाते थे और उनकी विजय व उपलब्धियों के बारे में कविताएं लिखते थे
- इन रचनाओं का प्रेषण मौखिक रूप में हुआ लेकिन पांचवीं शताब्दी ईसा पूर्व से ब्राह्मणों ने इस कथा परंपरा पर अपना अधिकार कर लिया और इसे लिखा
प्रश्न - महाभारत कालीन समाज में विवाह से संबंधित कोई तीन नियम लिखिए ?
उत्तर -
- गोत्र के बाहर विवाह किया जाता था इसे बहिर्विवाह पद्धति कहते हैं
- कन्यादान पिता का महत्वपूर्ण धार्मिक कर्तव्य माना जाता था
- विवाह के बाद स्त्री का गोत्र बदल जाता था
- अब वह पिता के स्थान पर पति का गोत्र माना जाता था
प्रश्न - वर्णित काल की जाति व्यवस्था की कोई तीन विशेषताएं लिखिए ?
उत्तर -
- वर्ण की तरह जाति भी जन्म पर आधारित थी
- वर्ण की संख्या चार थी लेकिन जातियों की कोई निश्चित संख्या नहीं थी
- जहां कही भी ब्राह्मणों का सामना नए समुदाय से हुआ जिन्हें वर्ण में समाहित करना संभव नहीं था उन्हें जातियों में वर्गीकरण कर दिया गया
प्रश्न - क्या महाभारत के समय स्त्री एवं पुरुष संपत्ति पर समान अधिकार रखते थे ? तर्क सहित समझाइए ?
उत्तर -
- महाभारत के समय स्त्री और पुरुष संपत्ति पर भिन्न अधिकार रखते थे
- मनुस्मृति के अनुसार पैत्रिक जायदाद पर माता पिता की मृत्यु के बाद सभी पुत्रों में समान रूप से बांटा जाता था किंतु ज्येष्ठ पुत्र विशेष भाग का अधिकारी होता था
- स्त्रियों को इस संपति पर अधिकार प्राप्त नहीं था परन्तु विवाह में मिले उपहार जो स्त्रीधन कहलाता था इस पर स्त्री का अधिकार होता था
प्रश्न - आप कैसे कह सकते हैं कि महाभारत एक गतिशील ग्रंथ है अपने उत्तर के पक्ष में कोई तीन तर्क दीजिए ?
उत्तर -
- महाभारत एक गतिशील ग्रंथ था क्युकी इसका विकास संस्कृत के पाठ के साथ ही समाप्त नहीं हुआ
- शताब्दियों तक इसका पाठांतर अलग अलग भाषाओँ में लिखे गए अनेक कहानियों को इसमें समाहित किया गया
- इस महाकाव्य की मुख्य कथा की अनेक पुनर्व्याख्याएं की गई
- इसके प्रसंगों को मूर्तिकला और चित्रों में भी दर्शाया गया
प्रश्न - वर्णित काल की वर्ण व्यवस्था की कोई तीन विशेषताएं लिखिए ?
उत्तर -
- वर्ण व्यवस्था को ब्राह्मणों ने दैवीय व्यवस्था बताया
- वर्ण व्यवस्था के अनुसार चार वर्ण थे
- ब्राह्मण , क्षत्रिय , वैश्य, शूद्र
- ब्राह्मणों को वर्ण व्यवस्था में उच्च स्थान प्राप्त था
- चारों वर्णों की जीविका पहले से निर्धारित की गई थी
प्रश्न - क्या यह संभव है कि महाभारत का एक ही रचयिता था महाभारत को एक गतिशील ग्रंथ क्यों कहा जाता है ?
उत्तर -
- नही , यह संभव नहीं है की महाभारत के एक ही रचयिता हो क्युकी यह लगभग 1000 वर्ष तक लिखी गई थी
- महाभारत की मूल कथा के रचयिता भाट सारथी थे
- लेकिन बाद में इस पर ब्राह्मणों ने अपना अधिकार कर लिया और उसकी रचना की
प्रश्न - महाभारत काल में स्त्रियों तथा पुरुषों के संदर्भ में संपत्ति के अधिकार से क्या अभिप्राय था ?
उत्तर -
- महाभारत के समय स्त्री और पुरुष संपत्ति पर भिन्न अधिकार रखते थे
- मनुस्मृति के अनुसार पैत्रिक जायदाद पर माता पिता की मृत्यु के बाद सभी पुत्रों में समान रूप से बांटा जाता था किंतु ज्येष्ठ पुत्र विशेष भाग का अधिकारी होता था
- स्त्रियों को इस संपति पर अधिकार प्राप्त नहीं था परन्तु विवाह में मिले उपहार जो स्त्रीधन कहलाता था इस पर स्त्री का अधिकार होता था
- इस संपत्ति को उनकी संतान विरासत के रूप में प्राप्त कर सकती थी इस मार उनके पति का कोई अधिकार नहीं होता था
- मनुस्मृति के अनुसार स्त्रियों को पति की आज्ञा के विरुद्ध पारिवारिक संपत्ति या स्वयं अपने बहुमूल्य धन के छुपाकर जमा करने के विरुद्ध चेतावनी देती है
प्रश्न - महाभारत को एक गतिशील ग्रंथ क्यों कहा जाता है
उत्तर -
- महाभारत की रचना केवल संस्कृत भाषा तक सीमित नहीं रही इसे अलग-अलग भाषाओं में लिखा गया और इसका अनुवाद भी अलग-अलग भाषाओं में होता रहा
- महाभारत में भिन्न-भिन्न कहानियों को समाहित किया गया
- इन कहानियों को पत्थरों की मूर्तियों तथा चित्रकला द्वारा प्रस्तुत किया गया
- महाभारत की कथाओं को नाटकों , नृत्यों तथा भिन्न-भिन्न अन्य ढंग से प्रस्तुत किया गया
- महाभारत की रचना की लंबे समय तक होती रही अलग-अलग समय में इसके रचयिता भी अलग लग रहे हैं
- इसलिए हम कह सकते हैं कि महाभारत एक गतिशील ग्रंथ है
प्रश्न - उन साक्ष्यों के चर्चा कीजिए जो यह दर्शाते हैं कि बंधुत्व और विवाह संबंधी ब्राह्मण नियमों का सर्वत्र अनुसरण नहीं होता था ?
उत्तर -
- बंधुत्व और विवाह संबंधी ब्राह्मणों के द्वारा बनाए गए नियमों का पालन सब जगह नहीं होता था
- कुछ समाज में भाई बहन ( चचेरे , मौसेरे ) से खून का रिश्ता माना जाता था लेकिन ऐसा सभी समाज में नहीं था
- ब्राह्मणीय नियमों के अनुसार बहिर्विवाह को सही माना जाता था लेकिन कई जगह पर एक ही गोत्र के लोग आपस में विवाह कर लिया करते थे जो को ब्राह्मण के अनुसार सही नही था
- सातवाहन राजाओं में कई रानियों ने विवाह के बाद भी अपने पिता का गोत्र धारण किया
- धर्मसूत्र और धर्मशास्त्र में विवाह के 8 प्रकारों को अपनी स्वीकृति देते हैं
- इनमें से पहले चार उत्तम माने जाते थे बाकियों को सही नहीं माना जाता था लेकिन फिर भी यह विवाह पद्धतियां उन लोगों में प्रचलित थी जो कि ब्राह्मणीय हैं नियमों को अस्वीकार करते थे
- सातवाहन राजाओं के परिवार विवाह के ब्राह्मणीय नियमों का पालन नहीं करते थे कुछ सातवाहन राजा बहुपत्नी प्रथा को मानते थे
- दक्षिण भारत में कई जगह अंतर्विवाह पद्धति को माना जाता था
प्रश्न - महाभारत कालीन भारतीय सामाजिक जीवन की प्रमुख विशेषताओं पर एक निबंध लिखिए ?
उत्तर -
- समाज में वर्ण और जाति व्यवस्था थी ब्राह्मण को उच्च स्थान प्राप्त था
- शूद्रों और अस्पृश्य को निचले स्तर पर रखा गया था
- धर्मसूत्र और धर्मशास्त्र में चारों वर्गों की जीविका निर्धारित की गई थी
- शास्त्रों के अनुसार केवल क्षत्रिय राजा हो सकता था लेकिन ऐसे भी कई राजा मिले है जो क्षत्रिय नही थे
- ब्राह्मणों ने जहां नए समुदाय को पाया जिन्हें वर्ण व्यवस्था में समाहित करना असंभव था उन्हें जाति में विभाजित कर दिया
- वर्ण केवल 4 थे लेकिन जातियों की कोई निश्चित संख्या नहीं थी
प्रश्न - भारत के प्रसिद्ध महाकाव्य महाभारत की मूल विशेषताओं पर प्रकाश डालिए ?
उत्तर -