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वायुमंडल का संघटन तथा संरचना notes in hindi chapter 7 geography 11 class book 1 Composition and structure of the atmosphere vayumandal ka sanghatan tatha sanrachana 2024 -25

वायुमंडल का संघटन तथा संरचना


परिचय

  • वायुमंडल हमें ऑक्सीजन और पौधों के लिए कार्बन डाईऑक्साइड प्रदान करता है। 
  • यह पृथ्वी को चारों ओर से ढकने वाली एक सुरक्षात्मक परत है, जो पृथ्वी की सतह को सूर्य की हानिकारक किरणों और अंतरिक्ष के कठोर वातावरण से बचाता है।
  • वायुमंडल विभिन्न गैसों, जलवाष्प और धूलकणों का मिश्रण है, जो पृथ्वी की सतह से ऊँचाई तक फैला हुआ है। 
  • यह विभिन्न परतों में विभाजित है, जिनमें से प्रत्येक की अपनी विशेषताएँ और कार्य हैं।



वायुमंडल का संघटन

1. गैसें

2. जलवाष्प

3. धूलकण 


1. गैसें

  • ऑक्सीजन (21%): मनुष्यों, जानवरों और अधिकांश जीवों के लिए आवश्यक गैस।
  • नाइट्रोजन (78%): सबसे अधिक मात्रा में पाई जाने वाली गैस, जो पौधों के लिए आवश्यक पोषक तत्त्व प्रदान करती है।
  • कार्बन डाईऑक्साइड (0.03%): पौधों के लिए प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया में आवश्यक, और ग्रीनहाउस प्रभाव का प्रमुख कारण। यह गैस सूर्य के विकिरण को अवशोषित करती है और पृथ्वी को गर्म रखने में मदद करती है।
  • ओज़ोन (O₃): वायुमंडल के समतापमंडल में पाई जाने वाली यह गैस सूर्य की पराबैंगनी किरणों को अवशोषित करती है, जो पृथ्वी की सतह को हानिकारक विकिरण से बचाती है।
  • अन्य गैसें: हीलियम, हाइड्रोजन, आर्गन, और क्रिप्टन जैसे गैसें भी पाई जाती हैं।

2. जलवाष्प

  • वायुमंडल में मौजूद जलवाष्प की मात्रा समय और स्थान के अनुसार बदलती रहती है। 
  • यह ऊँचाई के साथ कम होती जाती है।
  • जलवाष्प पृथ्वी के तापमान को संतुलित करती है। 
  • यह सूर्य के विकिरण को अवशोषित करती है और पृथ्वी से निकलने वाले ताप को संग्रहित करती है, जिससे पृथ्वी को ठंडा होने से बचाती है।
  • जलवाष्प बादल, कोहरा, ओस, और वर्षा का कारण बनती है, जिससे पृथ्वी पर मौसम में बदलाव होता है।

3. धूलकण 

  • धूलकण वायुमंडल में विभिन्न स्रोतों से आते हैं, जैसे समुद्री नमक, मिट्टी, पराग, धुआँ, राख, और उल्काओं के टूटे कण।
  • संवहनीय वायु प्रवाह धूलकणों को वायुमंडल की ऊँचाई तक ले जा सकता है। धूलकण वायुमंडल के निचले भाग में अधिक होते हैं, लेकिन वे ऊँचाई पर भी पहुँच सकते हैं।
  • धूलकण जलवाष्प को संघनित करने में मदद करते हैं, जो बादलों के निर्माण में सहायक होते हैं। धूलकण सूर्य के प्रकाश को बिखेरते हैं, जिससे आसमान का नीला रंग दिखाई देता है।



STRUCTURE OF ATMOSPHERE

1. क्षोभमंडल

2. समतापमंडल

3. मध्यमंडल

4. आयनमंडल

5. बहिर्मंडल


1. क्षोभमंडल

  • पृथ्वी की सतह से 8-18 किमी तक।
  • यह वायुमंडल की सबसे निचली और सबसे महत्वपूर्ण परत है, जहाँ जीवन की सभी गतिविधियाँ और मौसम संबंधी घटनाएँ घटित होती हैं।
  • प्रत्येक 165 मीटर की ऊँचाई पर तापमान 1°C कम हो जाता है। 
  • इस परत में तापमान ऊँचाई के साथ घटता जाता है।
  • इसमें जलवाष्प, धूलकण और बादल पाए जाते हैं। 
  • यहाँ परत के भीतर मौसम परिवर्तन होते हैं जैसे बारिश, तूफान, हवाएँ आदि।

2. समतापमंडल

  • 18-50 किमी की ऊँचाई तक।
  • समतापमंडल में ओजोन परत पाई जाती है, जो पराबैंगनी किरणों को अवशोषित करके पृथ्वी की सतह को सूर्य की हानिकारक विकिरण से बचाती है।
  • इस परत में तापमान ऊँचाई के साथ बढ़ता है, क्योंकि ओजोन परत सूर्य के विकिरण को अवशोषित करती है।
  • इस परत में मौसम परिवर्तन नहीं होते और यहाँ जेट वायु प्रवाह (Jet Streams) भी पाए जाते हैं, जो ऊँचाई पर तेज गति से बहते हैं।

3. मध्यमंडल

  • 50-80 किमी की ऊँचाई तक।
  • यह वायुमंडल की सबसे ठंडी परत है, जहाँ तापमान -100°C तक गिर सकता है। 
  • इस परत में उल्काएँ जलती हैं और पृथ्वी तक पहुँचने से पहले टूट जाती हैं।
  • इस परत में ऊँचाई के साथ तापमान घटता है।
  • इस परत के ऊपर मध्यसीमा (Mesopause) स्थित है, जहाँ तापमान सबसे कम होता है।

4. आयनमंडल

  • 80-400 किमी की ऊँचाई तक।
  • इस परत में आयनित कण होते हैं, जो रेडियो तरंगों को प्रतिबिंबित करके उन्हें पृथ्वी पर वापस लौटाते हैं। 
  • यह परत रेडियो संचार के लिए महत्वपूर्ण है।
  • इस परत में ऊँचाई के साथ तापमान बढ़ता है।
  • यहाँ पर होने वाले विद्युत आवेशित कणों के कारण उत्तर और दक्षिण ध्रुवों पर ध्रुवीय प्रकाश (Auroras) दिखाई देते हैं।

5. बहिर्मंडल

  • 400 किमी से ऊपर।
  • यह वायुमंडल का सबसे ऊपरी और सबसे विरल संस्तर है, जहाँ गैसों के कण बहुत कम मात्रा में होते हैं। 
  • यह परत धीरे-धीरे बाहरी अंतरिक्ष में विलीन हो जाती है।
  • इसमें हाइड्रोजन और हीलियम के हल्के कण होते हैं। 
  • यह परत पृथ्वी और अंतरिक्ष के बीच की सीमा का निर्माण करती है।



मौसम और जलवायु के तत्त्व

1. ताप : सूर्य के विकिरण से पृथ्वी की सतह का तापमान प्रभावित होता है। तापमान में बदलाव मौसम और जलवायु में परिवर्तन का कारण बनता है।

2. दाब : वायुमंडलीय दाब पृथ्वी की सतह पर वायु का दबाव है, जो ऊँचाई, तापमान, और आर्द्रता के अनुसार बदलता है।

3. हवा : हवा का प्रवाह उच्च और निम्न दाब क्षेत्रों के बीच होता है, जिससे मौसम में परिवर्तन आता है। यह वायुमंडल की ऊपरी परतों तक भी पहुँच सकती है।

4. आर्द्रता : वायुमंडल में उपस्थित जलवाष्प की मात्रा, जो बादल और वर्षा का निर्माण करती है। उच्च आर्द्रता वाले क्षेत्रों में वर्षा अधिक होती है।

5. बादल और वर्षण : जलवाष्प के संघनन से बादल बनते हैं, जो वर्षा, हिमपात, और ओला-वृष्टि का कारण बनते हैं। ये तत्व जलवायु के परिवर्तन को प्रभावित करते हैं।


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