योग
- योग विश्व को भारत ने दिया है।
- प्राचीन काल में ऋषि मुनि योग और ध्यान के अभ्यास से एक उचित जीवन शैली को अपनाते थे।
- 'योग' शब्द संस्कृत भाषा के 'युज' धातु से लिया गया है जिसका अर्थ है- जोड़ना या मिलाना।
- योग एक संपूर्ण जीवन शैली है जिससे व्यक्ति को अपने मन, मस्तिष्क तथा स्वयं पर नियंत्रण करने में सहायता मिलती है।
- हम सभी को अपने जीवन में योग और प्राणायाम को अपनाना चाहिए।
योग का महत्व एवं लाभ
- योग शरीर को मजबूत बनाता है।
- योग शरीर को शुद्ध करता है।
- योग हमारी आसन विकृति को ठीक करता है।
- योग के द्वारा शरीर में लचीलापन बढ़ता है।
- योग मोटापे को कम करने में मदद करता है।
- योग मनुष्य के स्वास्थ्य को सुधारता है।
- योग मानसिक तनाव को कम करता है।
जीवनशैली से सम्बंधित रोग -
- मोटापा
- मधुमेय
- अस्थमा
- उच्च रक्तचाप
- पीठ दर्द और गठिया
मोटापा
- मोटापा एक ऐसी स्थिति है जिसमें हमारे शरीर में वसा की मात्रा बढ़ जाती है
- मोटापे के कारण बहुत सी बीमारियाँ हमारे शरीर को घेर लेती है
- जैसे – मधुमेय , उच्च रक्तचाप , जोड़ो का दर्द इत्यादि
मोटापे से बचाव के लिए लाभदायक आसन -
- ताड़ासन
- कटि चक्रासन
- पवनमुक्त आसन
- मत्स्यासन
- हलासन
- पश्चिमोसन
- अर्ध मत्स्येन्द्रासन
- धनुरासन
- उष्ट्रासन
1. ताड़ासन (Tadasana): -
यह ऐसा आसन है जिसका अभ्यास करने से शरीर ताड़ के वृक्ष के जैसे मजबूत बन जाता है इसलिए इसे ताड़ासन नाम दिया गया है।
शरीर को मजबूत और सुडौल बनाने के साथ शरीर की लंबाई बढ़ाने के लिए यह श्रेष्ठ आसन माना जाता है।
ताड़ासन (Tadasana) की विधि -
- किसी समतल स्थान पर अपने दोनों पैरों को आपस में मिलाकर हथेलियों को बगल में रखकर सीधे खड़े हो जाएँ।
- अपने दोनों हाथों को पार्श्व भाग से लम्बी श्वास भरते हुए ऊपर उठाएँ।
- हाथों को ऊपर ले जाकर हथेलियाँ को मिलाये
- हथेलियाँ आसमान की तरफ ऊपर को ओर होनी चाहिए। हाथों की उंगलियाँ आपस में मिली होनी चाहिए।
- जैसे-जैसे हाथ ऊपर उठे वैसे - वैसे पैर की एड़ी भी ऊपर उठी रहनी चाहिए।
- शरीर का भार पंजों पर होना चाहिए। शरीर ऊपर की ओर पूरी तरह से तना रहना चाहिए।
- कमर सीधी, नजर सामने की ओर गर्दन सीधी रखनी चाहिए।
- ताड़ासन की इस स्थिति में लम्बी सांस भरकर 1 से 2 मिनिट तक रुकना चाहिए।
- अब धीरे-धीरे सांस छोड़कर नीचे आकर पूर्व स्थिति में आना चाहिए। I
- 1 से 2 मिनिट रुककर दोबारा इसी क्रिया को दोहराएँ।
ताड़ासन (Tadasana) के लाभ
- फेफड़ें मजबूत एवं विस्तृत होते है।
- हाथ-पैर के स्नायु मजबूत बनते है।
- शारीरिक और मानसिक संतुलन में वृद्धि।
- आत्मविश्वास में वृद्धि।
- पाचन तंत्र मजबूत बनता है।
- कद की वृद्धि बढ़ाने के लिए सर्वोत्तम आसन
- शरीर मजबूत और सुडौल बनता हैं।
- आलस्य दूर करने के लिए सर्वोत्तम
ताड़ासन (Tadasana) के दौरान सावधानियां
- यदि पैर में कोई भी समस्या है तो इसे नहीं करना चाहिए ।
- गर्भावस्था की स्थिति में नहीं करना चाहिए ।
- बीमारी या ऑपरेशन के तुरंत बाद नहीं करना चाहिए ।
- सिरदर्द या निम्न रक्तचाप की स्थिति में नहीं करना चाहिए ।
2. कटिचक्रासन (Katichakrasana)
- कटिचक्रासन दो शब्द मिलकर बना है- कटि जिसका अर्थ होता है 'कमर’ और चक्र जिसका अर्थ होता है 'पहिया’
- इस आसन में कमर को दाई तथा बाई ओर घुमाना होता है।
- ऐसा करते समय कमर 'पहिये की तरह घूमती है, इसलिए इसका नाम कटिचक्रासन रखा गया है।
कटिचक्रासन (Katichakrasana) के लाभ -
- कब्ज से राहत ।
- मेरुदंड और कमर के लचीलेपन में वृद्धि होती है।
- हाथ और पैरों के मासपेशियों के लिए लाभदायक।
- गर्दन एवं कन्धों को आराम मिलेगा
- पेट की मांसपेशियों एवं पीठ को शक्तिशाली बनाता है।
- ज्यादा देर बैठकर काम करने वालों के लिए लाभदायक।
सावधानियां
- जिस व्यक्ति की कमर या गर्दन में ज्यादा दर्द है ऐसी स्थिति में यह आसन नहीं करना चाहिए।
- यदि किसी को रीढ़ की हड्डी की समस्या हो तो यह आसन नहीं करना चाहिए।
3. पवनमुक्त आसन (Pavan Muktasana ) :
- पवनमुक्तासन पेट के लिए लाभदायक आसन है
- पवनमुक्तासन को अंगेजी में Gas Release Pose भी कहा जाता हैं,
- पवनमुक्तासन का अर्थ होता है
- पवन या हवा को मुक्त करना।
पवनमुक्त आसन (Pavan Muktasana ) के लाभ -
- कब्ज से राहत ।
- पेट को आराम , गैस की समस्या में राहत देता है
- इससे बाल मजबूत होते है
- शरीर को चुस्त रखता है , घुटने और जोड़ों को मजबूत बनता है
- पेट की मांसपेशियों को शक्तिशाली बनाता है।
- इसमें रक्त का संचार ह्रदय और फेफड़ों की और बढ़ता है
सावधानियां -
- जिसके कमर में दर्द हो उसे नहीं करना चाहिए ।
- जिसके घुटने और जोड़ों में दर्द हो उसे नहीं करना चाहिए
- खाना खाने के तुरंत बाद नहीं करना चाहिए
- गर्भवती महिला को नहीं करना चाहिए
- जिसके गर्दन में दर्द हो उसे नहीं करना चाहिए
4.मत्स्यासन (Matsyasana)
- मत्स्यासन योग करते समय
- शरीर का आकार मछली की तरह हो जाता है
- जिस कारण इसे मत्स्यासन और अंग्रेजी में Fish Pose कहा जाता हैं।
- कमर और गले से संबंधित समस्या वाले लोगों के लिए यह एक श्रेष्ठ आसन हैं।
मत्स्यासन (Matsyasana) के लाभ
- रीढ़ की हड्डी, घुटने के जोड़ मजबूत होते है।
- श्वास रोग को दूर भगाता है।
- फेफड़ों मजबूत होते हैं।
- कमर दर्द में आराम मिलता है।
- घुटनों का दर्द कम होता है।
- थाइरॉइड, मधुमेह, अग्नाशय और पाचन प्रणाली में लाभकारी।
- पेट के रोगों में उपयोगी है।
- पेट पर जमी अतिरिक्त चर्बी कम करता है।
- हार्मोंस का उचित मात्रा में स्त्राव होता है।
सावधानियां
- जिसके घुटनों में दर्द हो उस स्थिति में यह आसन नहीं करना चाहिए ।
- यदि स्लिप डिस्क या रीढ़ की समस्या है तो यह आसन नहीं करना चाहिए
5. हलासन (Halasana) :
- हलासन दो शब्द 'हल' और 'आसन' से मिलकर बना है जिसमें हल का अर्थ है जमीन को खोदने वाला कृषि 'यंत्र’ और आसन का अर्थ है 'बैठने की मुद्रा"
- इस योग को करने के दौरान शरीर की मुद्रा हल की तरह प्रतीत होती है। जिसके कारण इस योगासन को हिन्दी में हलासन तथा अंग्रेजी में 'लो पोज' कहते हैं।
हलासन (Halasana) के लाभ -
- हलासन पाचन को सुधारने में मदद करता है।
- मेटाबॉलिज्म बढ़ाता है और वजन घटाने में मदद करता है।
- मधुमेह के मरीजों के लिए ये अच्छा आसन है क्योंकि ये रक्त में शर्करा की मात्रा को नियंत्रित करता है।
- रीढ़ की हड्डी और कंधों में लचीलापन बढ़ाता और कमर दर्द में आराम मिलता है I
- तनाव और थकान से निपटने में भी मदद करता है।
- यह आसन नपुंसकता, साइनोसाइटिस, इंसोम्निया और सिरदर्द में भी फायदा पहुंचाता है।
सावधानियां -
- गर्दन में चोट की स्थिति में हलासन का अभ्यास न करें।
- उच्च रक्तचाप या अस्थमा की स्थिति में यह आसन न करें।
6. पश्चिमोत्तानासन (Paschimottanasana) :-
- पश्चिमोत्तानासन वह आसन होता है जब हम बैठकर आगे की तरफ झुकते हैं।
- पश्चिमोत्तानासन के बहुत से लाभ हैं क्योंकि यह शरीर के पिछले भाग को पूरी तरह से खींचता है।
पश्चिमोत्तानासन के लाभ
- यह पैरों को मजबूत बनाता है।
- मस्तिष्क को शांत रखता है।
- तंत्रिका तंत्र को ठीक कर एकाग्रता बढ़ाता है।
- अंदरूनी अंगों की मालिश करता है।
सावधानियां -
- पेट में अल्सर की शिकायत होने पर भोजन के बाद।
- आंतों में सूजन होने पर।
- कमर में तकलीफ हो तो।
7. अर्ध मत्स्येंद्रासन (Ardh-Matsyendrasana)
- संस्कृत में अर्ध का मतलब आधा होता है।
- इस मुद्रा में हम अपनी रीढ़ को आधा मोड़ते हैं क्योंकि पूरी तरह से मोड़ पाना बहुत ही मुश्किल होता है।
- इस आसन का यह नाम योग के जन्मदाता मत्स्येंद्रगाथ के नाम पर पड़ा है।
अर्ध मत्स्येंद्रासन के लाभ
- यह मुद्रा पूरी रीह की मालिश कर उसे लचीला बना देती है।
- इस मुद्रा में प्रत्येक रीढ़ का जोड़ घूमता है, इससे रीढ़ की हड्डी ज्यादा लचीली बनती है मुख्यतः कमर का क्षेत्र हैमस्ट्रिंग, पिंडली और कूल्हों में जरूरी खिंचाव पैदा करता है।
- शरीर में अनावश्यक चर्बी समाप्त होती है तथा शरीर सुंदर व सुडौल बनता है।
- अस्थमा, उच्च रक्तचाप, ऑस्टियोपोरोसिस और साइनसिटिस के लिए लाभकारी है।
सावधानियां -
- इस आसन को तब तक ही करें जब तक इसे आसानी से कर सकते हैं
- यदि दर्द महसूस होता है तो इसे रोक दें
8. धनुरासन (Dhanurasana) -
संस्कृत में अर्ध का मतलब आधा होता है।
इस मुद्रा में हम अपनी रीढ़ को आधा मोड़ते हैं क्योंकि पूरी तरह से मोड़ पाना बहुत ही मुश्किल होता है।
इस आसन का यह नाम योग के जन्मदाता मत्स्येंद्रगाथ के नाम पर पड़ा है।
धनुरासन (Dhanurasana) के लाभ -
- यह आसन पीठ/रीढ़ की हड्डी और पेट के स्नायु को बल प्रदान करना।
- जननांग संतुलित रखने में सहायक होता है।
- छाती, गर्दन और कंधे की जकड़न को दूर करता है।
- हाथ और पेट के स्नायु को पुष्टि प्रदान करता है।
- रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाता है।
- तनाव और थकान कम करता है।
- मासिक धर्म से संबंधित समस्याओं को कम करता है।
- गुर्दे की कार्यशीलता को बेहतर करता है।
सावधानियाँ (Contraindications)
- उच्च या निम्न रक्तदाब, हर्निया, कमर दर्द, सिर दर्द, माइग्रेन, गर्दन में चोट, हाल ही में पेट के ऑपरेशन की स्थिति में यह आसन नहीं करना चाहिए।
- गर्भवती महिलाओं को यह आसन नहीं करना चाहिए।
9. सूर्य भेदन प्राणायाम -
- सूर्यभेदन प्राणायाम को अंग्रेजी में Right Nostril Breathing के नाम से जाना जाता है।
- इस प्राणायाम का सीधा संबंध सूर्य नाड़ी से होता है।
- इसमें पूरक क्रिया दायीं नासिका द्वारा की जाती हैं और दायीं नासिका सूर्य नाड़ी से जुड़ी मानी गई है।
- इसी कारण से इसे सूर्यभेदन प्राणायाम भी कहा जाता है।
सूर्य भेदन प्राणायाम के लाभ -
- सूर्य भेदन प्राणायाम के नियमित अभ्यास से सकारात्मक विचारों में वृद्धि होती हैं।
- तनाव कम करने और मानसिक तनाव से मुक्ति पाने के लिए सूर्यभेदन प्राणायाम बहुत ही लाभदायक होता है।
- नजला, खांसी, दमा, साइनस, लंग्स, हृदय और पाइल्स के लिए भी सूर्यभेदन प्राणायाम लाभदायक है।
- इस प्राणायाम के नियमित अभ्यास से कफ के रोगों में लाभ मिलता है और शरीर के अंदर गर्मी उत्पन्न होती है।
- यह प्राणायाम आतों को साफ करता है।
सावधानियां -
- पेट भरा होने पर यह प्राणायाम नहीं करना चाहिए।
- अभ्यास करते समय पेट और सीने को ज्यादा न फुलाएं।
- श्वास पर नियंत्रण रखकर ही पूरक क्रिया करें।
- मधुमेह रोग में रक्त में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ जाती है
- इसका मुख्य कारण गलत जीवनशैली और खानपान है
- जिस कारन इन्सुलिन की मात्रा असंतुलित हो जाती है
- मधुमेह 2 प्रकार की होती है - टाइप – 1 , टाइप – 2
1. मधुमेह के लक्षणः थकन, प्यास बढ़ना, भूख लगना, धुंधला दिखाई देना, गुर्दा खराब होना, हृदय वाहिका बीमारी, वजन का घटना, पेशाब का बार-बार आना।
2. मधुमेह के कारणः गतिहीन जीवन अवस्था, बिमारियों, मोटापा, भार का बढ़ना, तनाव और चिन्ता।
10. भुजंगासन
- इस आसन को अंग्रेजी में इसे ‘Cobra Pose' भी कहा जाता है। क्योंकि इसमें हमारा शरीर फन उठाए हुए सर्प के समान दीखता है
- इसीलिए इसे 'भुजंगासन कहा जाता है।
- पीठ के दर्द से पीड़ित व्यक्तियों के लिए यह सबसे लाभकारी आसन हैं।
भुजंगासन के लाभ -
- रक्त संचार ठीक करता है
- गर्दन और कमर दर्द में लाभ
- फेफडे को मजबूत करता है
- मांशपेशियो को मजबूत करता है
- शरीर को लचीला बनाता है
सावधानी -
- हर्निया के रोगी न करें
- पीठ और कमर दर्द में न करें
- सर्जरी के बाद न करें
- गर्भवती महिलाएं इस आसन को न करें
शलभासन -
- शलाभासन योग करते समय
- शरीर का आकार शलय (Locust) कीट की तरह होने के कारण इसे शलभासन 'Locust Pose' कहते है। कमर और पीठ के स्नायु मजबूत करने के लिए यह श्रेष्ठ आसन है।
शलभासन के लाभ -
- यह आसन रीढ़ की हड्डी को मजबूत करता है
- साईटिका की समस्या में लाभ करता है
- कमर , गर्दन और पैर को बलशाली बनाता है
- गर्दन और कमर की चर्बी कम करता है
- पाचन सुधारता है
सावधानियां -
- रीढ़ की हड्डी में दर्द है तो न करें
- कमर , गर्दन और पैर में दर्द है तो न करें
- गर्भवती महिला न करें
11. सुप्त वज्रासन (Supta-Vajarasana):
- सुप्त का अर्थ होता है सोया हुआ।
- इस आसन को करने के दोरान
- व्यक्ति को वज्रासन की मुद्रा में बैठते हुए
- पीछे की ओर लेट कर योगाभ्यास करना होता है,
- इसलिए इसआसन को सुप्त वज्रासन कहा गया है।
सुप्त वज्रासन के लाभ -
- कब्ज , गैस में आराम मिलता है
- यह आसन रक्त संचार बढाता है
- पेट की मांसपेशियों को मजबूत करता है
- घुटने और जांघ की मांसपेशियों को मजबूत करता है
- अस्थमा में सहायक
सावधानियां -
- गर्भावस्था में न करें
- खाना खाने के तुरंत बाद न करें
- रीढ़ की हड्डी में समस्या होने पर न करें
- पेट , कूल्हे, कमर दर्द में न करें
12. मंडूकासन
- मंदुकासन एक संस्कृत शब्द है, जिसमें दो शब्द 'मंडुक' का अर्थ है मेढ़क और आसन का अर्थ है "मुद्रा"।
- मंडुकासन को अंग्रेजी में (Frog Pose) भी कहा जाता है।
मंडूकासन के लाभ
- पेट की मांसपेशियाँ मजबूत होती है
- मंडुकासन शरीर की जो नसें अपनी जगह से हट गई हैं उन्हें अपनी जगह लाने में मदद करता है।
- मंडुकासन डायबिटीज को नियंत्रित करता है
- हृदय के स्वास्थ्य के लिए एक अच्छा आसन है।
- मंडुकासन किडनी व लीवर की कार्यक्षमता को बेहतर करता है।
- यह आसन पेट और नितंबों की चर्बी कम करता है
- शारीरिक भार भी नियंत्रित करता है।
- तनाव व चिंता से राहत दिलाता है।
सावधानियां -
- यदि पेट की समस्या हो तो इसे ना करें
- यदि कोई सर्जरी हुयी हो तो इसे ना करें
- पीठ दर्द में न करें
- गर्भवती महिला न करें
13. गोमुखासन (Gomukhasana)
- गोमुखासन वह आसन है जिसमें हमारे पैरों की
- मुद्रा गाय के मुख के समानरू लगती है। मो का अर्थ रोशनी से भी है। इसलिए गोमुख का अर्थ अंदरूनी रोशनी या मस्तक की रोशनी भी है।
- गोमुखासन में शरीर में कई अंगों में एक साथ खिंचाव पैदा होता है। जैसे कि घुटना, जांघ, कूल्हा, छाती, गर्दन, बाहें तथा पैर।
गोमुखासन के लाभ -
- शरीर सुडौल, लचीला और आकर्षक बनता है।
- वजन कम करने के लिए
- गोमुखासन मधुमेह रोग में अत्यंत लाभकारी है।
- गठिया, साइटिका, अपच, कब्ज, धातु रोग, मन्दाग्नि, पीठदर्द, लैंगिक विकार, प्रदर रोग तथा बवासीर।
सावधानियां -
- कंधे, पीठ, गर्दन, नितंब व घुटनों में दर्द होने पर यह आसन न करें।
- आसन करते समय तकलीफ होने पर तुरंत डॉक्टर से परामर्श ले।
- शुरुआत में पीठ के पीछे दोनों हाथों को आपस में न पकड़ पाने पर जबरदस्ती न करें।
- गोमुखासन के समय को अभ्यास के साथ धीरे-धीरे बढ़ाना चाहिए।
14. योगमुद्रा
- योगमुद्रा शारीरिक गतिविधियों (Physical Movement) का एक समूह है जो मस्तिष्क के विशेष भागों में ऊर्जा का प्रवाह करने का काम करता है।
- हमारे शरीर में मौजूद किसी तत्व के असंतुलित (Unbalanced) होने के कारण विभिन्न बीमारियां लग जाती है।
- ऐसी स्थिति में योग मुद्रा शरीर के पांच तत्वों को संतुलित करने में सहायक होता है।
योगमुद्रा के लाभ
- ध्यान लगाने से एकाग्रता बढ़ती है
- बदहजमी ख़तम होती है
- शरीर की नारी मजबूत होती है
- मधुमय और मोटापा में लाभ
- त्वचा में चमक आती है
- बालों में लाभ
- तनाव, अवसाद में लाभ
15. उष्ट्रासन
- उष्ट्रासन को अंग्रेजी में CAMEL POSE कहा जाता है क्योंकि इसे करने के दौरान शरीर की आकृति ऊँट जैसी बन जाती है
उष्ट्रासन के लाभ -
- पाचन शक्ति बढाता है।
- छाती को चौड़ा और उसको मजबूत बनाता है।
- पीठ और कंधों को मजबूती देता है तथा पीठ के निचले हिस्से में दर्द से छुटकारा दिलाता है।
- रीढ़ की हड्डी में लचीलेपन एवं मुद्रा में सुधार भी लाता है।
- मासिक धर्म की परेशानी से राहत देता है।
सावधानियां -
- उच्च रक्तचाप और हृदय रोग की स्थिति में यह आसन नहीं करना चाहिए।
- हर्निया तथा अधिक कमर दर्द की स्थिति में यह आसन नहीं करना चाहिए।
- साइटिका एवं स्लिप डिस्क की स्थिति में यह आसन नहीं करना चाहिए।
16. कपालभाती
- कपालभाती एक ऐसा योगासन है जो शरीर की अनेक प्रकार की बीमारियों को खत्म करता है।
- यह एक बहुत ही आसान प्राणायाम है जिसे कोई भी स्वस्थ व्यक्ति आसानी से कर सकता है।
- कपाल का सम्बन्ध हमारे मस्तक से होता है और भाति का सम्बन्ध कान्ति से होता है।
- यदि इस योग को नियमित किया जाये तो इससे मस्तक पर आभा आती है
कपालभाती के लाभ
- वजन कम करता है, चेहरे की आमा बढ़ती है।
- पेट की चर्बी को कम करता है।
- पाचन क्रिया को मजबूत बनाता है , मन को शांति प्रदान होती है।
- डायबिटीज के मरीजों के लिए यह बहुत ही फायदेमंद होता है।
- अस्थमा के रोग को जड़ से समाप्त करने में सहायक होता है।
- कपालभाति शरीर की नाडियों को शुद्ध करता है।
सावधानियां -
- बंद कमरे में, गर्म वातावरण में, धूल धुए वाली जगह पर कपालभाति करने पर गलत प्रभाव होते हैं
- पेट की सर्जरी के बाद नहीं करना चाहिए
- रीढ़ की हड्डी में समस्या हो तो इससे बचें
अस्थमा
अस्थमा श्वास नालिकाओं से सम्बन्धित बीमारी है।
- यह श्वास नलिकाओं में सूजन कर देती है जिससे वो बहुत संवेदनशील हो जाती है तथा किसी भी प्रभावित करने वाली चीज के स्पर्श से यह तीखी प्रतिक्रिया करती है, जिससे रोग ग्रस्त व्यक्ति को सांस लेना मुश्किल हो जाता है।
- इससे खाँसी का दौरा होना, दिल की घड़कन बढ़ना, सांस की रफतार बढ़ना, बैचनी होना, सीने में जकड़न, थकावट, हाथों, पैरों, कंधों व पीठ में दर्द होना अस्थमा के लक्षण है।
- धूल, धुवाँ, वायु प्रदुषण, आनुवांशिकता, पराग कण, जानवरों की त्वचा के बाल या पखं आदि इसके प्रमुख कारण है।
- अस्थमा को खत्म नही किया जा सकता है, परन्तु इस पर नियन्त्रण पाया जा सकता है।
- सुखासन, चक्रासन, गोमुखासन, पर्वतासन, भुजंगासन, पश्चिमोत्तानासन, मत्स्यासन को अगर नियमित रूप से किया जाये तो अस्थमा पर नियन्त्रण पाया जा सकता है।
- यह श्वास नलिकाओं में सूजन कर देती है जिससे वो बहुत संवेदनशील हो जाती है तथा किसी भी प्रभावित करने वाली चीज के स्पर्श से यह तीखी प्रतिक्रिया करती है, जिससे रोग ग्रस्त व्यक्ति को सांस लेना मुश्किल हो जाता है।
- इससे खाँसी का दौरा होना, दिल की घड़कन बढ़ना, सांस की रफतार बढ़ना, बैचनी होना, सीने में जकड़न, थकावट, हाथों, पैरों, कंधों व पीठ में दर्द होना अस्थमा के लक्षण है।
- धूल, धुवाँ, वायु प्रदुषण, आनुवांशिकता, पराग कण, जानवरों की त्वचा के बाल या पखं आदि इसके प्रमुख कारण है।
- अस्थमा को खत्म नही किया जा सकता है, परन्तु इस पर नियन्त्रण पाया जा सकता है।
- सुखासन, चक्रासन, गोमुखासन, पर्वतासन, भुजंगासन, पश्चिमोत्तानासन, मत्स्यासन को अगर नियमित रूप से किया जाये तो अस्थमा पर नियन्त्रण पाया जा सकता है।
1. ऊर्धवहस्तोलासन (Urdhwahastottansana) :
- ऊर्धवहस्तोत्रासन तीन शब्दों के मेल से बना है जिसमें उर्धव का अर्थ है 'ऊपर’, हस्त, का अर्थ है 'हाथ’ आसन का अर्थ है "मुद्रा"
- इस आसन को अंग्रेजी में सूर्य सलाम (Sun Salutation) भी कहा जाता है।
लाभ (Advantages)
- इस आसन के अभ्यास से कमर पतली और छाती चौड़ी हो जाती है।
- इस आसन को करने से कमर तथा नितम्बों से अनावश्यक मांस कम हो जाता है।
- इस आसन के अभ्यास से शरीर की लम्बाई बढ़ती है।
- कब्ज की समस्या और पसलियों के दर्द को अति शीघ्र दूर करता है।
सावधानियाँ (Contraindications):
- खाना खाने के तुरंत बाद यह योगासन न करें।
- कमर या गर्दन में दर्द की स्थिति में यह आसन नहीं करना चाहिए।
- कंधों में जकड़न या दर्द होने पर यह आसन नहीं करना चाहिए।
2. उत्तानमंदुकासन (Uttanmandukasana) :
- उत्तानमंडुकासन दो शब्दों के मेल से बना है जिसमें 'उत्तान' का अर्थ है 'तना हुआ और "मंडुक का अर्थ है मेंढक
- इस आसन की अंतिम मुद्रा में शरीर सीथे तने हुए मेढक के समान लगता है, जिस कारण इसे यह नाम दिया गया है।
लाभ (Advantages)
- नियमित अभ्यास से पीठ दर्द में आराम मिलता है।
- यह योगाभ्यास गले के दर्द में लाभकारी है।
- इसके अभ्यास से घुटने मजबूत होते है।
- कंधे का दर्द ठीक हो सकता है।
- देर तक यह आसन करने से पेट के बगल के चर्बी कम हो जाती है।
- श्वसन सम्बन्धी परेशानियों को दूर करने में यह आसन लाभकारी हैं।
सावधानियाँ (Contraindications)
- ज्यादा कमर दर्द या घुटने में परेशानी को स्थिति में यह आसन नहीं करना चाहिए।
- कोहनी या कंधो में दर्द की स्थिति में यह आसन नहीं करना चाहिए।
3. वक्रासन –
- वक्रासन का संस्कृत में अर्थ होता है मोड़ना ( TWIST ) इस आसन में रीढ़ की हड्डी को मोड़ा जाता है इसके लाभ कमर , पीठ , नितम्ब में देखने को मिलते हैं
वक्रासन के लाभ (Advantages)
- यह आसन डायबिटिज को रोकने में कारगर है।
- वजन नियंत्रित रहता है।
- पाचन क्रिया सुधारता है।
- गर्दन दर्द व कमर दर्द में आराम मिलता है।
- डिप्रेशन से मुक्ति
- रीढ़ की हड्डी को मजबूत बनाता है।
सावधानियाँ (Contraindications):
- पेट दर्द में वक्रासन नहीं करनी चाहिए।
- घुटने का दर्द होने पर इस आसन के करने से बचना चाहिए।
- ज्यादा कमर दर्द में इसे न करें।
- कोहनी में दर्द होने पर इसकों करने से इसको बचना चाहिए
- गर्दन दर्द होने पर भी इसको करने से बचें।
3. अनुलोम विलोम (Anulom Vilom)
- अनुलोम विलोम नासिका के द्वारा किए जाने वाला आसन है। यह आसन अत्यंत गुणकारी व्यायाम है।
- प्राचीन समय में ऋषि मुनि अनुलोम-विलोम प्राणायाम अभ्यास के द्वार अपनी कुण्डलिनी शक्तियां जागृत करते थे।
- अनुलोम-विलोम प्राणायाम के निरंतर अभ्यास से ध्यान करने की शक्ति का अद्भुत विकास होता है।
- अनुलोम-विलोम करने से मन प्रफुल्लित हो जाता है तथा मन में अच्छे विचार उत्पन्न होते हैं।
- यह व्यायाम व्यक्ति में सकारात्मक विचारों का सर्जन करके, उसे आत्मविश्वासी बनाता है।
लाभ -
- इसे करने से नाड़ियों की शुद्धि होती है इसीलिए इसे नाडी शुद्धि प्राणायाम भी कहते है।
- इस प्राणायाम से हृदय को शक्ति मिलती है साथ ही कोलेस्ट्रॉल नियंत्रित रहता है।
- प्राणायाम के कारण शुद्ध रक्त शरीर के सभी अंगो में जाकर पोषण देता है।
- वात, पित्त, कफ के विकार दूर कर गठिया, जोड़ों का दर्द, सूजन आदि में राहत मिलती है।
- इसके नियमित अभ्यास से नेत्रज्योति बढ़ती है।
- अनिद्रा में लाभदायक है तथा तनाव को घटाकर शान्ति तथा सकारात्मक सोच को बढ़ाता है।
- माइग्रेन, हाई तथा लो ब्लड प्रेशर, तनाव, क्रोध, कम स्मरणशक्ति से पीडित लोगो के लिए यह विशेष लाभकर है।
सावधानियाँ (Contraindications):
- साँस लेने व छोड़ने की प्रक्रिया में आवाज नही होना चाहिए।
- कमजोरी एवं अनीमिया पीड़ित व्यक्ति में यह आसन करते वक्त दिक्कत हो सकती है अतः सावधानीपूर्वक करे।
उच्च रक्तचाप
1. उत्तानपादासन (Uttanpadasana): -
- उत्तानपादासन दो शब्दों के मेल से बना है जिसमें उत्तान का अर्थ है 'ऊपर उठा हुआ’, पाद का अर्थ है 'पांव' तथा आसन का अर्थ है मुद्रा।
- इस आसन में पीठ के बल लेटकर पांव ऊपर उठाते हैं, इसीलिए इसे यह नाम दिया गया है।
लाभ -
- उत्तानपादासन आसन को करने से पेट की चर्बी कम होती है तथा पेट दर्द में आराम मिलती है।
- पाचन संबंधी समस्याओं से राहत मिलती है।
- नाभि को संतुलित रखने में यह आसन सबसे अधिक लाभदायक है।
- इस आसन के नियमित अभ्यास से कब्ज की समस्या दूर होती है तथा कमर दर्द में भी आराम मिलता है।
सावधानियां -
- कमर में दर्द या पेट के ऑपरेशन होने की स्थिति में यह आसन नहीं करना चाहिए।
- साइटिका या रीढ़ की हड्डी से संबंधित समस्या की स्थिति में यह आसन नहीं करना चाहिए।
- गर्भावस्था में इस आसन को बिल्कुल न करें।
2. अर्ध हलासन –
- इस आसन में जमीन में लेटकर दोनों टांगो को समकोण पर उठाया जाता है
अर्ध हलासन के लाभ –
- पेट की आंतों को ताकतवर बनाता है और कब्ज से राहत प्रदान करता है।
- भोजन को पचाने में, गैस की समस्या से आराम और मोटापे को कम करने में लाभकारी है।
- रीढ़ की हड्डी तथा कमर के भाग को मजबूती प्रदान करता है।
- यह आसन पैर और जांघों की मांसपेशियों को भी मजबूत बनाता है।
सावधानियां –
- माईग्रेन, कमर दर्द या घुटनों के दर्द की स्थिति में इस आसन को न करें।
- हाल में हुई किसी तरह के ऑपरेशन की स्थिति में भी यह आसन नहीं करना चाहिए।
3. सरल मत्स्यासन
- इस आसन में जमीन में लेटकर दोनों टांगो को सीधा जमीन से चिपका कर रखा जाता है और खोपड़ी को जमीन में रख कर पीठ को उठाया रखा जाता है इसे सरल मत्स्यासन कहा जाता है
सरल मत्स्यासन के लाभ –
- मेरूदंड को लाभ होता है गर्दन तथा कंधे की समस्या को ख़त्म करता है
- कब्ज , गैस को दूर करता है
- खून का संचार , चेहरे पर चमक श्वास नाली के रोग दूर होते हैं
सावधानियां –
- कमर में दर्द हो तो न करें
- गर्दन तथा कंधे में दर्द हो तो न करें
- कोहनी में समस्या हो तो न करें
4. मकरासन (Makrasana)
- संस्कृत में मकर का अर्थ मगरमच्छ होता है। इस आसन में शरीर मगरमच्छ के समान दिखता है इसलिए इसको मकरासन का नाम दिया गया है। अंग्रेजी में इसे 'Crocodile Pose' भी कहते हैं।
मकरासन (Makrasana) के लाभ :
- यह रीढ़ की हड्डी को लाभ देता है।
- कमर दर्द और स्लिप डिस्क की समस्या से निजात दिलाता है
- यह अवसाद और थकावट को दूर करने में बहुत लाभप्रद है।
- यह आसन फेफड़े की क्षमता बढ़ाने में तथा अस्थमा को नियंत्रित करने में अत्यंत लाभकारी है।
- यह पाचन तंत्र को ठीक रखता है।
- यह उच्च रक्तचाप में लाभप्रद है।
- यह आसन शरीर में रक्त संचार को ठीक करता है।
सावधानियां
- अधिक कमर दर्द होने पर इस आसन का अभ्यास नहीं करनी चाहिए।
- हर्निया की बीमारी में न करे।
5. शवासन
- शरीर की थकान दूर करने और मन को शांत रखने के लिए शवासन सबसे अच्छा आसन मन जाता है इस आसन में शव की तरह लेटना होता है
शवासन के लाभ -
- मानसिक ओर शारीरिक तनाव दूर होता है।
- अवसाद, मनोविकार, अनिद्रा आदि बीमारियों में लाभदायक ।
- एकाग्रशक्ति, याददाश्त को सुधारता है।
- आत्मविश्वास बढाता है।
- मस्तिष्क की कार्यक्षमता को बढ़ाती है।
शवासन के लाभ -
- मानसिक ओर शारीरिक तनाव दूर होता है।
- अवसाद, मनोविकार, अनिद्रा आदि बीमारियों में लाभदायक ।
- एकाग्रशक्ति, याददाश्त को सुधारता है।
- आत्मविश्वास बढाता है।
- मस्तिष्क की कार्यक्षमता को बढ़ाती है।
सावधानियां -
- हर कोई शवासन कर सकता है शवासन करने से कोई हानि नहीं होती है पर अगर डॉक्टर ने आपको पीठ के बल लेटने से किसी कारणवश मना किया है तो यह आसन नहीं करना चाहिए।
1. नाडी शोधन प्राणायाम
2. अनुलोम विलोम
3. शीतली प्राणायाम
- शीतली का अर्थ है शीतल।
- इसका अर्थ शांत, विरक्त और भावहीन भी होता है।
- यह प्राणायाम पूरे शरीर को शीतल करता है।
- शीतकारी प्राणायाम की तरह ही यह प्राणायाम भी विशेष तौर पर शरीर का ताप कम करने के लिए बनाया गया है।
- इस प्राणायाम का अभ्यास गर्मी में ज्यादा से ज्यादा करना चाहिए और सर्दी के मौसम में नहीं के बराबर करना चाहिए।
शीतली प्राणायाम के लाभ
- यह प्राणायाम तनाव और अवसाद को कम करता है।
- यह भूख, प्यास और गुस्से कम करता है।
- यह आसन पित्त दोष के असंतुलन को संतुलित कम करता है।
- यह वासना के मानसिक और भावनात्मक प्रभाव को कम करता है।
- शारीरिक एवं मानसिक समस्याओं से बचा जा सकता है।
- यह प्राणायाम रक्त को शुद्ध करता है।
सावधानियां
- ठण्ड के मौसम में यह प्राणायाम नहीं करना चाहिए।
- खांसी या टॉन्सिल से पीड़ित व्यक्तियों को यह प्राणायाम नहीं करना चाहिए।
- कब्ज के पुराने मरीजों को भी ये प्राणायाम नहीं करना चाहिए।
- जिनका रक्तचाप कम रहता हो उन्हें इस प्राणायाम को नहीं करनी चाहिए।
पीठ दर्द और गठिया
1. भ्रदासन
- भ्रदासन दो शब्दों से मिलकर बना है-
- भद्रा मतलब शुभ और आसन।
- इसका आसान अर्थ है- शुभ आसन।
भ्रदासन के लाभ
- कमर के तनाव से दूर करता है।
- मुद्रा में सुधार करने में मदद करता है।
- गठिया से बचाव करता है।
- घुटने, पीठ और टखने के टेंडन और जोड़ों की गतिशीलता में भदद करता है।
- जिन लोगों को वज्रासन और पद्मासन करने में कठिनाई होती है, वे इस आसानी से कर सकते हैं।
सावधानियां -
- घुटने व कूल्हें की चोट में।
- रीढ़ की हड्डी की चोट में।
2. अर्ध-चक्रासन
- संस्कृत में अर्ध का मतलब आधा और चक्र का मतलब पहिया होता है।
- इसलिए अर्ध-चक्रासन का अर्थ आधे पहिये वाला आसन होता है।
लाभ (Advantages)
- पेट व कमर की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है।
- कमर की मांसपेशियों की चपलता में बढ़ोतरी करता है।
- कमर की परेशानियों से छुटकारा दिलाने में मदद करता है।
- कंधे की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है।
- चक्रासन जैसे कठिन आसनों के लिए तैयार करता है।
सावधानियाँ (Contraindications):