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भू-आकृतियां एवं उनका विकास class11 chapter Important short and long questions chapter 6 geography book 1 Landforms and their Evolution bhoo-aakrtiyaan evam unaka vikaas

 

भू-आकृतियां एवं उनका विकास

प्रश्न -  गार्ज और केनियन में क्या अंतर है ?

उत्तर -

  • गार्ज एक गहरी संकरी घाटी है जिसके दोनों किनारे तेज ढाल वाले होते है जबकि केनियन के किनारे भी खड़ी ढाल वाले होते है तथा गार्ज की तरह ही गहरे भी होते है
  • केनियन की चौड़ाई तल तथा ऊपरी भाग में लगभग समान होती है तथा गार्ज की चौड़ाई तल में कम तथा ऊपरी भाग में अधिक होती है। 
  • केनियन का निर्माण अक्सर अवसादी चट्टानों के क्षेतीज स्तरण में पाए जाने से होता है जबकि गार्ज कठोर चट्टानी क्षेत्रों में बनता है। 



प्रश्न - हिमनद द्वारा निर्मित अपरदित स्थल रूपों का वर्णन कीजिए ?

उत्तर -

  • पृथ्वी पर परत के रूप में हिम प्रवाह या पर्वतीय ढालों से घाटियों में रैखिक प्रवाह के रूप में बहते हिम संहति को हिमनद कहते हैं।
  • हिमनद प्रतिदिन कुछ सेंटीमीटर या इससे कम से लेकर कुछ मीटर तक प्रवाहित हो सकते हैं। 
  • हिमनद मुख्यतः गुरुत्वबल के कारण गतिमान होते हैं।

1. सर्क

  • हिमानी के ऊपरी भाग में तल पर अपरदन होता है जिसमे खड़े किनारे वाले गर्त बन जाते है जिन्हे सर्क कहा जाता है 

2. शृंग

  • जब दो सर्क एक दूसरे से विपरीत दिशा में मिल जाते है तो नुकीली चोटी जैसी आकृति बन जाती है जिसे शृंग कहा जाता है  

3. हिमनद घाटियाँ/गर्त

  • U आकार की होती हैं।
  • तल चौड़े और किनारे चिकने।
  • ढाल तीव्र होती है।
  • घाटी में मलबा बिखरा होता है ।
  • चट्टानी धरातल पर झीलें उभरी होती हैं 



प्रश्न - महासागरीय तरंगों द्वारा निर्मित अपरदित स्थलरुप कौन से है ?

उत्तर - 

महासागरीय तरंगों द्वारा निर्मित अपरदित स्थलरुप

1. भृगु (cliff) 

  • ये समुद्री किनारों पर ऊँची, खड़ी चट्टानों के रूप में पाए जाते हैं, जो तरंगों के घर्षण से बनते हैं। 
  • समुद्री भृगु की तलहटी पर एक समतल या मंद ढाल वाला प्लेटफार्म होता है, जो तरंगों द्वारा लाए गए मलबे से ढका होता है।

2. वेदिकाएँ (Terraces)

  • जब ये प्लेटफार्म तरंगों की औसत ऊँचाई से ऊपर उठ जाते हैं, तो इन्हें तरंग घर्षित वेदिकाएँ कहा जाता है।

3. कंदराएँ (Caves)

  • तरंगों के निरंतर घर्षण से भृगु के आधार पर रिक्त स्थान बनते हैं, जिससे समुद्री कंदराएँ बनती हैं।

4. स्टैक (Stack)

  • भृगु के निवर्तन से कुछ अवशेष चट्टानें तट पर अलग-थलग छूट जाती हैं, जो पहले भृगु का हिस्सा थीं, इन्हें समुद्री स्टैक कहा जाता है। 
  • ये भी अपरदन की प्रक्रिया से धीरे-धीरे समाप्त हो जाती हैं।



प्रश्न -भौमजल अपरदन कारक के रूप में रासायनिक प्रक्रिया द्वारा अनेक स्थलरूपों का निर्माण करता है।" कथन की पुष्टि कीजिए।

उत्तर -

चूना युक्त चट्टानें आर्द्र क्षेत्र में जहाँ वर्षा अधिक होती है, रासायनिक क्रिया द्वारा कई स्थलरूपों का निर्माण करती है-

1. घोल रंध्र

  • ये कीप के आकार के गर्त होते हैं जो ऊपर से वृताकार होते हैं। 
  • इनकी गहराई आधा मीटर से 30 मीटर या उससे भी अधिक होती है।

2. विलय रन्ध्र

  • ये कुछ गहराई पर घोल रंत्र के निचले भाग से जुड़े होते हैं। 
  • चूना पत्थर चट्टानों के तल पर घुलन क्रिया से इनका निर्माण होता है। 

3. युवाला

  • ये कीप के आकार के गर्त होते हैं जो ऊपर से वृताकार होते हैं। 
  • इनकी गहराई आधा मीटर से 30 मीटर या उससे भी अधिक होती है।

4. लैपिज 

  • धीरे-धीरे चुनायुक्त चट्टानों के अधिकतर भाग गर्ती व खाइयों में बदल जाते हैं और पूरे क्षेत्र में अत्यधिक अनियमित पतले व नुकीले कटक रह जाते हैं, जिन्हें लैपिज कहते हैं। 


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