प्रश्न - 19वीं सदी में समाज सुधारकों ने बहुत से सामाजिक विषयों को उठाया? वे क्या थे?
उत्तर -
- सामाजिक कुरीतियों से भारतीय समाज बुरी तरह से ग्रस्त था। सती प्रथा, बाल-विवाह, विधवा पुनर्विवाह निषेध और जाति-भेद उपनिवेशवाद से पूर्व भारत में इन सामाजिक भेदभावों के विरुद्ध संघर्ष हुए। 19वीं शताब्दी से आधुनिकता के रूप में ये आन्दोलन शुरू हुए
1. राममोहन राय
- सती प्रथा का विरोध किया और आधुनिक सिद्धांतों तथा हिंदू शास्त्रों का हवाला दिया।
2. कंदुकीरी विरेशलिंगम
- पुस्तक 'द सोर्स ऑफ़ नॉलेज' में नये-न्याय के तर्कों को देखा जा सकता है।
3. गोविन्द महादेव रानाडे
- विधवा-विवाह के समर्थन में शास्त्रों की सहायता लेते हुए 'द टेक्स्ट ऑफ द हिंदू लॉ’ की रचना की
- उन्होंने विधवाओं के पुनर्विवाह को नियम के अनुसार बताया।
- उन्होंने वेदों की व्याख्या की जो विधवा पुनर्विवाह को स्वीकृति प्रदान करते हैं ।
प्रश्न - 20वीं सदी के कुछ आधुनिक सामाजिक संगठनों के नाम बताइये।
उत्तर -
- बंगाल में ब्रह्म समाज और पंजाब में आर्य समाज की स्थापना हुई।
- 1914 ई. में अंजुमन-ए-ख्वातीन-ए-इस्लाम की स्थापना हुई।
- अखिल भारतीय महिला सम्मेलन
- अखिल भारतीय कांग्रेस
प्रश्न - पश्चिमीकरण किसे कहते है ?
उत्तर -
- पश्चिमीकरण का मतलब उस पश्चिमी सांस्कृतिक प्रतिमान से है जिसे भारतीयों के उस छोटे समूह ने अपनाया जो पहली बार पश्चिमी संस्कृति के संपर्क में आए हैं।
- इन्होंने पश्चिमी प्रतिमान चिंतन के प्रकारों, स्वरूपों एवं जीवनशैली को स्वीकारा और समर्थन एवं विस्तार भी किया।
- यह भारतीय समाज और संस्कृति में 150 सालों के ब्रिटिश शासन के परिणामस्वरूप आए परिवर्तन हैं
प्रश्न - निम्न का अर्थ बताइये।
उत्तर -
1. संस्कृतिकरण
- वह प्रक्रिया जिसमें निम्न जाति या जनजाति उच्च जातियों की जीवन पद्धति, अनुष्ठान, मूल्य, आदर्श, विचारधाराओं का पालन करते हैं।
- मैसूर नरसिंहाचार श्रीनिवास ने संस्कृतीकरण शब्द दिया
2. विसंस्कृतिकरण
- विसंस्कृतिकरण वह प्रक्रिया है जिसके तहत कोई व्यक्ति या समाज अपनी पारंपरिक संस्कृति, रीति-रिवाज, मान्यताएँ, और सामाजिक मूल्यों को धीरे-धीरे खो देता है।
- जब एक समाज दूसरी संस्कृति के अत्यधिक प्रभाव में आ जाता है और उसकी मौलिक सांस्कृतिक पहचान कमजोर या समाप्त हो जाती है।
प्रश्न - धर्मनिरपेक्षता का क्या अर्थ है ?
उत्तर -
- धर्म के प्रभाव में कमी आना
- आधुनिक समाज ज्यादा से ज्यादा पंथनिरपेक्ष होता है।
- उदाहरण: आधुनिक समाज में धार्मिक संस्थानों और लोगों के बीच बढ़ती दूरी
प्रश्न - आधुनिकता के विषय में आधारभूत बिन्दु क्या है?
उत्तर -
- समाज में परिवर्तन करने कि क्षमता जागृत होती है
- सीमित संकीर्ण-स्थानीय दृष्टिकोण कमजोर पड़ जाते हैं
- सार्वभौमिक और विश्वजनीन दृष्टिकोण ज्यादा प्रभावशाली होता है
- उपयोगिता और विज्ञान की सत्यता को महत्त्व दिया जाता है
- सामाजिक तथा राजनीतिक स्तर पर व्यक्ति को प्राथमिकता दी जाती है
- अपना व्यवसाय अपनी पसंद से चुनने की स्वतंत्रता होती है
- न कि यह विवशता कि के व्यवसाय आपके माता-पिता ने किया वही आप भी करें।
- कार्य का चुनाव आपकी इच्छा पर आधारित न कि जन्म पर।
प्रश्न - पश्चिमीकरण तथा धर्मनिरपेक्षता में क्या सम्बन्ध है?
उत्तर -
- पश्चिमीकरण और धर्मनिरपेक्षता दोनों ही आधुनिकता की ओर बढ़ते समाजों में महत्वपूर्ण विचार और प्रक्रियाएँ मानी जाती हैं, और इनके बीच कई तरह के संबंध देखे जा सकते हैं।
1. पश्चिमीकरण
- समाज पश्चिमी देशों, खासकर यूरोप और अमेरिका की संस्कृति, जीवनशैली, विचारधारा, और तकनीकी प्रगति को अपनाने लगता है। इसमें विज्ञान, तर्कवाद, आधुनिक शिक्षा शामिल होती हैं।
2 .धर्मनिरपेक्षता
- समाज किसी विशेष धर्म का समर्थन नहीं करेगा, बल्कि सभी धर्मों के प्रति समान दृष्टिकोण अपनाएगा।
- धर्म को व्यक्तिगत जीवन का हिस्सा माना जाता है और राज्य का इससे कोई सरोकार नहीं होता।
1. पश्चिमीकरण के साथ आधुनिक राजनीतिक, सामाजिक, और सांस्कृतिक विचारधाराओं का प्रसार हुआ, जिनमें धर्मनिरपेक्षता एक प्रमुख विचारधारा रही है।
2. पश्चिमी समाजों में पुनर्जागरण, औद्योगिक क्रांति और वैज्ञानिक दृष्टिकोण के विकास ने धर्म और राज्य को अलग करने की दिशा में कदम बढ़ाए
प्रश्न - जाति का धर्मनिरपेक्षीकरण पर नोट लिखे।
उत्तर -
- जाति राजनीतिक दबाव समूह के रूप में ज्यादा कार्य कर रही है।
- भारत में जाति संगठनों और जातिगत राजनीतिक दलों का उद्भव हुआ है।
- ये जातिगत संगठन अपनी माँग मनवाने के लिए दबाव डालते हैं
- बदली हुई भूमिका को जाति का पंथनिरपेक्षीकरण कहा गया है।
प्रश्न - संस्कृतिकरण भेदभाव व असमानता को बढ़ावा देता है। इसका वर्णन करो।
उत्तर -
- संस्कृतिकरण एक ऐसे प्रारूप को सही ठहराती है जो असमानता पर आधारित है
- समाज पवित्रता अपवित्रता को महत्त्व देता है।
- पवित्रता और अपवित्रता के जातिगत पक्षों को उपयुक्त माना जाता है।
- उच्च जाति द्वारा निम्न जाति के प्रति भेदभाव एक प्रकार का विशेषाधिकार है।
प्रश्न - संस्कृतिकरण की विभिन्न स्तरों पर आलोचना हुई है? इसके विषय में विस्तार से बताए।
उत्तर -
- कुछ व्यक्ति, असमानता पर आधारित सामाजिक संरचना में, अपनी स्थिति में तो सुधार कर लेते हैं लेकिन इससे समाज में असमानता व भेदभाव समाप्त नहीं हो जाते
- उच्चजाति की जीवनशैली उच्च एवं निम्न जाति के लोगों की जीवनशैली निम्न है।
- अतः उच्च जाति के लोगों की जीवनशैली का अनुकरण करने की इच्छा को प्राकृतिक मान लिया गया है।
- उच्च जाति द्वारा निम्न जाति के प्रति भेदभाव एक प्रकार का विशेषाधिकार माना जाता है।
- उच्च जाति के अनुष्ठानों, रिवाजों और व्यवहार को संस्कृतीकरण के कारण स्वीकृति मिलने से महिलाओं को असमानता का सबसे ज्यादा सामना करना पड़ा।
- दलित संस्कृति एवं दलित समाज के मूलभूत पक्षों को भी पिछड़ापन मान लिया जाता है
औपनिवेशिक भारत में आधुनिक बदलाव के विषय में कुछ तथ्यों का वर्णन कीजिए।
- आधुनिक शिक्षा का आरंभ
- पश्चिमी विचारधाराओं का प्रसार
- सामाजिक सुधार आंदोलनों का उदय
- राजनीतिक चेतना और राष्ट्रीय आंदोलन
- धार्मिक और सांस्कृतिक पुनर्जागरण