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ग्रामीण समाज में विकास एवं परिवर्तन Important short and long questions CHAPTER – 3 class 12 Sociology Development and change in rural society graamin samaj mein vikas evam parivartan

ग्रामीण समाज में विकास एवं परिवर्तन Important questions

प्रश्न -  कृषक समाज सरंचना से आप क्या समझते हैं?

उत्तर - 

  • कृषक समाज जाति व्यवस्था द्वारा निर्मित है 
  • कृषक समाज संरचना से तात्पर्य उस समाज से है जहाँ कृषि और उससे संबंधित गतिविधियाँ आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन की मुख्य धुरी होती हैं। 
  • इस प्रकार के समाज में अधिकांश जनसंख्या कृषि, पशुपालन, और प्राकृतिक संसाधनों पर आधारित होती है।



प्रश्न - भारतीय कृषक समाज में भूमि का महत्व समझाए 

उत्तर - 

  • उत्पादन का एक साधन
  • संपति का एक प्रकार
  • जीविका का एक प्रकार है
  • जीने का एक तरीका भी है



प्रश्न - 'बेगार' से क्या मतलब है?

उत्तर - 

  • 'बेगार' से तात्पर्य ऐसी मजबूरी में बिना किसी भुगतान के किए जाने वाले श्रम या काम से है, जिसे व्यक्ति अपनी इच्छा के विपरीत करने के लिए बाध्य होता है। 
  • यह एक प्रकार का शोषण होता है, जहाँ व्यक्ति को किसी प्रकार का मेहनताना या मजदूरी नहीं दी जाती, फिर भी उसे कार्य करने के लिए विवश किया जाता है।



प्रश्न - मैट्रिक्स घटनाएँ किसे कहा जाता है ?

उत्तर - 

  • जहाँ कारकों की एक श्रृंखला मिलकर एक घटना बनाती हैं।
  • अलग अलग कारणों से किसान आत्महत्या कर लेते थे इसी को मैट्रिक्स घटनाएँ कहा गया 
  • भारत में किसान सदियों से सूखे, फसल न होने अथवा ऋण के कारण परेशानी का सामना करते रहे हैं।



प्रश्न - रैय्यतबाड़ी प्रथा क्या होती है?

उत्तर - 

  • रैय्यतबाड़ी प्रथा  एक कृषि व्यवस्था थी जिसे विशेष रूप से ब्रिटिश शासन के दौरान भारत में अपनाया गया। 
  • इसका उद्देश्य भूमि कर  का संग्रहण सरल और सीधे किसानों से करना था। 
  • इसे 1820 के दशक में ब्रिटिश अधिकारी थॉमस मुनरो द्वारा लागू किया गया था।



प्रश्न -आजादी के बाद भारत की कृषि स्थिति क्या थी?

उत्तर - 

  • परंपरागत विधियाँ
  • भूमि की असमान वितरण
  • कृषि उत्पादन की कमी
  • सांस्कृतिक और सामाजिक समस्याएँ
  • अवसंरचना की कमी



प्रश्न - कृषि मजदूरों के संचार (सरकुलेशन) से आप क्या समझते हैं?

उत्तर - 

  • हरित क्रांति के बाद मजदूरों तथा भूस्वामियों के बीच पारंपरिक संबंध टूटने लगे 
  • हरित क्रांति के संपन्न क्षेत्रों में कृषि मजदूरों की माँग बढ़ने लगी 
  • मौसमी पलायन का एक रूप उभरा जिसमें हजारों मजदूर अपने गाँवों से अधिक संपन्न क्षेत्रों की तरफ़ संचार करते हैं।
  • जहाँ मजदूरों की अधिक माँग तथा उच्च मजदूरी थी 
  • पुरुष समय-समय पर काम तथा अच्छी मजदूरी की खोज में अप्रवास कर जाते हैं



प्रश्न - कृषि मजदूरों का महिलाकरण से आप क्या समझते हैं?

उत्तर - 

  • निर्धन क्षेत्रों में, जहाँ परिवार के पुरुष सर्वस्य वर्ष का अधिकतर हिस्सा गाँवों के बाहर काम करने में बिताते हैं, कृषि मूलरूप से एक महिलाओं का कार्य बन गया है।
  • महिलाएँ भी कृषि मजदूरों के मुख्य स्रोत के रूप में उभर रही हैं जिससे 'कृषि मजदूरों का महिलाकरण' हो रहा है।



प्रश्न - हमारी बहुत सी सांस्कृतिक प्रथाएँ एवं प्रतिमान किस प्रकार हमारी कृषिक पृष्ठभूमि से संबद्ध होती है 

उत्तर - 

  • ग्रामीण भारत की सांस्कृतिक और सामाजिक संरचना दोनों कृषि और कृषिक जीवन पद्धति से बहुत निकटता से जुड़ी हुई है।
  • हमारी बहुत सी सांस्कृतिक रस्मों में कृषि का महत्व होता है।
  • भारत के विभिन्न क्षेत्रों में नव वर्ष के त्योहार कृषि से सम्बन्धित होते है 

1. तमिलनाडु में पोंगल, 

2. आसाम में बीहू, 

3. पंजाब में बैसाखी,

4. कर्नाटक में उगाड़ी 

  • ये सब फसल काटने के समय मनाए जाते हैं, और नए कृषि मौसम के आने की घोषणा करते हैं। 



प्रश्न - भारत में किसानों में आत्महत्या की प्रवृति बढ़ रही है। इसके कारणों पर प्रकाश डालिए।

उत्तर - 

भारत में किसान सदियों से सूखे, फसल न होने अथवा ऋण के कारण परेशानी का सामना करते रहे हैं।
किसानों द्वारा आत्महत्या के कारण :   

  • उत्पादन लागत में तेजी से बढ़ोतरी
  • बाजार स्थिर नहीं है
  • अत्यधिक उधार लेते हैं
  • खेती का न होना



प्रश्न - ग्रामीण समाज में कृषि सरंचना का वर्णन करो।

उत्तर - 

  • ग्रामीण क्षेत्रों में, जाति और वर्ग के संबंध बड़े जटिल होते हैं।
  • यह सोचते है कि ऊँची जातिवाले के पास अधिक भूमि होती है
  • कई जगहों पर सबसे ऊँची जाति ब्राह्मण बड़े भूस्वामी नहीं हैं
  • भारत के अधिकांश क्षेत्रों में भूस्वामित्व वाले समूह के लोग अन्य वर्ण के हैं।
  • एक या दो जातियों के लोग ही भूस्वामी होते हैं, वे संख्या के आधार पर भी बहुत महत्वपूर्ण है।
  • प्रबल जाति समूह काफी शक्तिशाली होता है आर्थिक और राजनीतिक रूप से वह स्थानीय लोगों पर प्रभुत्व बनाए रखता है।
  • उच्च जाति के लोग निम्न जाति के लोगों से काम करवाते थे और अपने लाभ कमाते थे 
  • प्रबल जाति समूहों के पास ये लोग कृषि मजदूर की तरह काम करते थे 
  • समाज में अच्छी जमीन उच्च और मध्यम जाति के पास रहती थी  



प्रश्न - ग्रामीण समाज में जाति व वर्ग में क्या संबंध है?

उत्तर - 

ग्रामीण क्षेत्रो में वर्ग और जाति संरचना :

  • ग्रामीण क्षेत्रो में वर्ग और जाति संरचना परस्पर सम्बंधित है 
  • उच्च जाति को उच्च वर्ग माना जाता था । 
  • निम्न जाति को निम्न वर्ग माना जाता था 
  • उच्च जाति के लोगों  ने गावो के संसाधनों और श्रम बल को नियंत्रित कर रखा था ।



प्रश्न - 'हरित क्रांति' के बारे में लिखें।

उत्तर - 

  • हरित क्रांति 1960 और 1970 के दशक में हुए कृषि परिवर्तन के दौर को कहा जाता है जिसमे आधुनिक कृषि तकनीकों और प्रौद्योगिकियों को अपनाया गया था। 
  • हरित क्रांति कृषि आधुनिकीकरण का एक सरकारी कार्यक्रम था।
  • इसका मुख्य उद्देश्य कृषि उत्पादकता को बढ़ाना और देश में खाद्य आत्मनिर्भरता हासिल करना था
  • इसने भूख और गरीबी को कम करने, ग्रामीण आजीविका में सुधार और कृषि उत्पादन को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 
  • इसमें अनुसंधान के माध्यम से विकसित गेहूं और चावल के लिए उच्च उपज देने वाली बीजों की किस्मों की शुरूआत शामिल है 
  • यह कीटनाशकों, खादों तथा किसानों के लिए अन्य निवेश देने पर केंद्रित थी। 



प्रश्न - हरित क्रांति के कारण क्षेत्रीय असमानताओं में किस प्रकार वृद्धि हुई?

उत्तर - 

  • हरित क्रांति ने कृषि उत्पादन को बढ़ाने के लिए कई तकनीकों का उपयोग किया, लेकिन इससे क्षेत्रीय असमानताएँ भी बढ़ीं।
  • नई तकनीकें और संसाधन केवल उन इलाकों में पहुँचे जहाँ पहले से अच्छी सिंचाई और भूमि थी, जैसे कि उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में। 
  • छोटे किसानों और उन क्षेत्रों में जहां संसाधनों की कमी थी, वहाँ ये नई तकनीकें नहीं पहुँच पाईं, जिससे उनका उत्पादन नहीं बढ़ सका।
  • जो बड़े किसान इन नई तकनीकों का फायदा उठाने में सक्षम थे, वे आर्थिक रूप से और अधिक समृद्ध हो गए, जबकि छोटे किसान पीछे रह गए। 
  • इस तरह, हरित क्रांति ने धनी और गरीब किसानों के बीच की खाई को और गहरा कर दिया



प्रश्न -  जॉन ब्रेमन का घुमक्कड़ मजदूर (फुटलूज लेबर) से क्या तात्पर्य है?

उत्तर - 

  • हरित क्रांति के संपन्न क्षेत्रों में कृषि मजदूरों की माँग बढ़ने लगी 
  • पुरुष समय-समय पर काम तथा अच्छी मजदूरी की खोज में अप्रवास कर जाते हैं
  • प्रवसन करने वाले मजदूर मुख्यतः सूखाग्रस्त तथा कम उत्पादकता वाले क्षेत्रों से आते हैं 
  • प्रवसन करने वाले इन मजदूरों को जान ब्रेमन ने 'घुमक्कड़ मजदूर' कहा है



प्रश्न -  संविदा कृषि के बारें में बताईए।

उत्तर - 

  • कृषि का भूमंडलीकरण का अर्थ भारतीय कृषि उत्पादों को  अंतर्राष्ट्रीय  बाज़ार की प्रतिस्पर्धा में शामिल करना है 
  • भूमंडलीकरण की प्रक्रिया का किसानों पर असर पड़ा
  • पंजाब कर्नाटक जैसे इलाकों में किसानों द्वारा कंपनियों ने कुछ निश्चित फसलें बेचने का कॉन्ट्रैक्ट किया है
  • बहराष्ट्रीय कंपनियों के द्वारा संविदा खेती पद्धति के तहत उगाई जाने वाली फसलों की पहचान की जाती है
  • बहुराष्ट्रीय कंपनियां किसानों से फसलें खरीद लेती हैं



प्रश्न -  ग्रामीण समाज में नए क्षेत्रीय अभिजात वर्ग के उद्भव पर चर्चा करें।

उत्तर - 

  • प्रबल जातियों के किसानों ने कृषि के लाभ को अन्य प्रकार के व्यापारों में निवेश करना प्रारंभ कर दिया।
  • इससे नए उद्यमी समूहों का उदय हुआ जिन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों से कस्बों की ओर पलायन किया
  • जिससे नए क्षेत्रीय अभिजात वर्गों का उदय हुआ जो आर्थिक तथा राजनीतिक रूप से प्रबल हो गए।



प्रश्न - आजादी के बाद भारत में विभिन्न भूमि सुधार लागू किए गए, इनके विषय में लिखिए।

उत्तर - 

  • 1950 से 1970 के बीच में भूमि सुधार कानूनों को एक श्रृंखला को शुरू किया गया 
  • इसे राष्ट्रीय स्तर के साथ राज्य के स्तर पर भी चलाया गया इसका इरादा इन परिवर्तनों को लाने का था।
  • तीन महत्वपूर्ण परिवर्तन किए गये थे :

1. जमींदारी व्यवस्था को समाप्त किया गया

2. प‌ट्टेदारी का उन्मूलन और नियंत्रण अधिनियम।

3. भूमि की हदबंदी अधिनियम। 







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