खनिज क्या है?
- भू-वैज्ञानिकों के अनुसार खनिज एक प्राकृतिक रूप से विद्यमान समरूप तत्त्व है जिसकी एक निश्चित आंतरिक संरचना है।
- खनिज प्रकृति में अनेक रूपों में पाए जाते हैं जिसमें कठोर हीरा व नरम चूना तक सम्मिलित हैं।
- चट्टानें खनिजों के समरूप तत्त्वों के यौगिक हैं।
- कुछ चट्टानें जैसे चूना पत्थर केवल एक ही खनिज से बनी हैं; लेकिन अधिकतर चट्टानें विभिन्न अनुपातों के अनेक खनिजों का योग हैं।
- 2000 से अधिक खनिजों को पहचान की जा चुकी है. लेकिन अधिकतर चट्टानों में केवल कुछ ही खनिजों की बहुतायत है।
- एक खनिज विशेष जो निश्चित तत्त्वों का योग है.
- उन तत्त्वों का निर्माण उस समय के भौतिक व रासायनिक परिस्थितियों का परिणाम है।
- इसके फलस्वरूप ही खनिजों में विविध रंग, कठोरता, चमक, घनत्व तथा विविध क्रिस्टल पाए जाते हैं।
- भू-वैज्ञानिक इन्हीं विशेषताओं के आधार पर खनिजों का वर्गीकरण करते हैं।
खनिजों का वर्गीकरण :
1. धात्विक खनिज
- लौह धातु: जिन धातुओं में लौह के अंश पाए जाते है। जैसे लौह अयस्क मैंगनीज कोबाल्ट मिकल आदि ।
- अलौह धातु: जिन धातुओं के अंश नहीं पाए जाते है। जैसे तांबा बॉक्साइट आदि ।
- बहुमूल्य खनिज: जिनकी मात्रा काफी मत होती है इसलिए ये बहुत मूल्यवान होते है। जैसे सोना चांदी प्लेटिनम आदि।
2. अधात्विक खनिज: जिन खनिजों में धातु अंश नहीं पाए जाते, उन्हें अधात्विक खनिज कहते हैं जैसे अभ्रक नमक पोटाश सल्फर चुना पत्थर तथा बलुआ पत्थर आदि।
3. ऊर्जा खनिज: वे खनिज जो ऊर्जा प्रदान करते है। जैसे: कोयला पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस आदि ।
खनिजों की उपलब्धता
- खनिज 'अयस्कों' में पाए जाते हैं।
- किसी भी खनिज में अन्य अवयवों या तत्त्वों के मिश्रण या संचयन हेतु 'अयस्क' शब्द का प्रयोग किया जाता है।
- खनन का आर्थिक महत्त्व तभी है जब अयस्क में खनिजों का संचयन पंर्याप्त मात्रा में हो।
- खनिजों के खनन की सुविधा इनके निर्माण व संरचना पर निर्भर हैं।
- खनन सुविधा इसके मूल्य को निर्धारित करती है।
खनिज कहाँ पाए जाते है :
1. आग्नेय तथा कायांतरित चट्टानों में खनिज दरारों, जोड़ों, भ्रंशों व ददरों में मिलते हैं। छोटे जमाव शिराओं के रूप में और बृहत् जमाव परत के रूप में पाए जाते हैं।
2. अनेक खनिज अवसादी चट्टानों के अनेक खनिज संस्तरों या परतों में पाए जाते हैं। इनका निर्माण क्षैतिज परतों में निक्षेपण, संचयन व जमाव का परिणाम है। कोयला तथा कुछ अन्य प्रकार के लौह अयस्कों का निर्माण लंबी अवधि तक अत्यधिक ऊष्मा व दबाव का परिणाम है।
3. खनिजों के निर्माण की एक अन्य विधि धरातलीय चट्टानों का अपघटन है। चट्टानों के घुलनशील तत्त्वों के अपरदन के पश्चात् अयस्क वाली अवशिष्ट चट्टानें रह जाती हैं। बॉक्साइट का निर्माण इसी प्रकार होता है।
4. पहाड़ियों के आधार तथा घाटी तल की रेत में जलोढ़ जमाव के रूप में भी कुछ खनिज पाए जाते हैं। ये निक्षेप 'प्लेसर निक्षेप' के नाम से जाने जाते हैं। इनमें प्रायः ऐसे खनिज होते हैं जो जल द्वारा घर्षित नहीं होते। इन खनिजों में सोना, चाँदी, टिन व प्लेटिनम प्रमुख हैं।
5. महासागरीय जल में भी विशाल मात्रा में खनिज पाए जाते हैं लेकिन इनमें से अधिकांश के व्यापक रूप से विसरित होने के कारण इनकी आर्थिक सार्थकता कम है।
रैट होल (Rat Hole)
- भारत में अधिकांश खनिज राष्ट्रीयकृत हैं और इनका निष्कर्षण सरकारी अनुमति के पश्चात् ही सम्भव है
- किन्तु उत्तर-पूर्वी भारत के अधिकांश जनजातीय क्षेत्रों में, खनिजों का स्वामित्व व्यक्तिगत व समुदायों को प्राप्त है।
- मेघालय में कोयला, लौह अयस्क, चूना पत्थर व डोलोमाइट के विशाल निक्षेप पाए जाते हैं।
- जोवाई व चेरापूँजी में कोयले का खनन परिवार के सदस्य द्वारा एक लंबी संकीर्ण सुरंग के रूप में किया जाता है, जिसे रैट होल खनन कहते हैं।
- नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने इन क्रियाकलापों को अवैध घोषित किया है और सलाह दी है कि इसे तुरंत रोक दिया जाना चाहिए।
- प्रायद्वीपीय चट्टानों में कोयले, धात्विक खनिज, अभ्रक व अन्य अनेक अधात्विक खनिजों के अधिकांश भंडार संचित हैं।
- प्रायद्वीप के पश्चिमी और पूर्वी पार्श्वों पर गुजरात और असम की तलछटी चट्टानों में अधिकांश खनिज तेल निक्षेप पाए जाते हैं।
- प्रायद्वीपीय शैल क्रम के साथ राजस्थान में अनेक अलौह खनिज पाए जाते हैं।
लौह खनिज
- लौह खनिज धात्विक खनिजों के कुल उत्पादन मूल्य के तीन चौथाई भाग का योगदान करते हैं।
- ये धातु शोधन उद्योगों के विकास को मजबूत आधार प्रदान करते हैं।
- भारत अपनी घरेलू माँग को पूरा करने के पश्चात् बड़ी मात्रा में धात्विक खनिजों का निर्यात करता है।
लौह अयस्क (Iron Ore)
- लौह अयस्क एक आधारभूत खनिज है तथा औद्योगिक विकास की रीढ़ है।
- भारत में लौह अयस्क के विपुल संसाधन विद्यमान हैं।
- भारत उच्च कोटि के लोहांशयुक्त लौह अयस्क में धनी है।
- मैग्नेटाइट सर्वोत्तम प्रकार का लौह अयस्क है जिसमें 70 प्रतिशत लोहांश पाया जाता है।
- इसमें सर्वश्रेष्ठ चुंबकीय गुण होते हैं, जो विद्युत उद्योगों में विशेष रूप से उपयोगी हैं।
- हेमेटाइट सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण औद्योगिक लौह अयस्क है जिसका अधिकतम मात्रा में उपभोग हुआ है। किंतु इसमें लोहांश की मात्रा मैग्नेटाइट की अपेक्षा थोड़ी-सी कम होती है। 97 प्रतिशत ओडिशा, छत्तीसगढ़, कर्नाटक और झारखंड उत्पादन में आगे है।
भारत में लौह अयस्क की पेटियाँ हैं -
- ओडिशा-झारखंड पेटी:- ओडिशा में उच्च कोटि का हेमेटाइट किस्म का लौह अयस्क मयूरभंज व केंदूझर जिलों में बादाम पहाड़ खदानों से निकाला जाता है। झारखंड के सिंहभूम जिले में गुआ तथा नोआमुंडी से हेमेटाइट अयस्क का खनन किया जाता है।
- दुर्ग-बस्तर-चन्द्रपुर पेटी: यह पेटी महाराष्ट्र व छत्तीसगढ़ राज्यों के अंतर्गत पाई जाती है। छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में बेलाडिला पहाड़ी श्रृंखलाओं में अति उत्तम कोटि का हेमेटाइट पाया जाता है जिसमें इस गुणवत्ता के लौह के 14 जमाव मिलते हैं। इन खदानों का लौह अयस्क विशाखापट्टनम् पत्तन से जापान तथा दक्षिण कोरिया को निर्यात किया जाता है।
- बल्लारि-चित्रदुर्ग, चिक्कमंगलूरु-तुमकूरु पेटी :- कर्नाटक की इस पेटी में लौह अयस्क की बृहत् राशि संचित है। कर्नाटक में पश्चिमी घाट में अवस्थित कुद्रेमुख की खानें शत् प्रतिशत निर्यात इकाई हैं। कुद्रेमुख निक्षेप संसार के सबसे बड़े निक्षेपों में से एक माने जाते हैं।
- महाराष्ट्र-गोआ पेटी :- यह पेटी गोआ तथा महाराष्ट्र राज्य के रत्नागिरी जिले में स्थित है। यद्यपि यहाँ का लोहा उत्तम प्रकार का नहीं है तथापि इसका दक्षता से दोहन किया जाता है। मरमागाओ पत्तन से इसका निर्यात किया जाता है।
मैंगनीज
- मैंगनीज मुख्य रूप से इस्पात के विनिर्माण में प्रयोग किया जाता है।
- एक टन इस्पात बनाने में लगभग 10 किग्रा. मैंगनीज की आवश्यकता होती है।
- इसका उपयोग ब्लीचिंग पाउडर, कीटनाशक दवाएँ व पेंट बनाने में किया जाता है।
अलौह खनिज
- भारत में अलौह खनिजों की संचित राशि व उत्पादन अधिक संतोषजनक नहीं है।
- ये खनिज जिनमें ताँबा, बॉक्साइट, सीसा और सोना आते हैं, धातु शोधन, इंजीनियरिंग व विद्युत उद्योगों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
ताँबा
- भारत में ताँबे के भंडार व उत्पादन क्रांतिक रूप से न्यून हैं।
- घातवर्ध्य , तन्य और ताप सुचालक होने के कारण ताँबे का उपयोग मुख्यतः बिजली के तार बनाने, इलैक्ट्रोनिक्स और रसायन उद्योगों में किया जाता है।
- मध्य प्रदेश की बालाघाट खदानें देश का लगभग 52 प्रतिशत ताँबा उत्पन्न करती हैं।
- झारखंड का सिंहभूम जिला भी ताँबे का मुख्य उत्पादक है।
- राजस्थान की खेतड़ी खदानें भी ताँबे के लिए प्रसिद्ध थीं।
बॉक्साइट
- सबसे अधिक एल्यूमिना क्ले (Clay) जैसे दिखने वाले पदार्थ बॉक्साइट से ही प्राप्त किया जाता है
- बॉक्साइट निक्षेपों की रचना एल्यूमिनियम सीलिकेटों से समृद्ध व्यापक भिन्नता वाली चट्टानों के विघटन से होती है।
- एल्यूमिनियम एक महत्त्वपूर्ण धातु है क्योंकि यह लोहे जैसी शक्ति के साथ-साथ अत्यधिक हल्का एवं सुचालक भी होता है।
- इसमें अत्यधिक घातवर्ध्यता (malleability) भी पाई जाती है।
- भारत में बॉक्साइट के निक्षेप मुख्यतः अमरकंटक पठार, मैकाल पहाड़ियों तथा बिलासपुर-कटनी के पठारी प्रदेश में पाए जाते हैं।
- ओडिशा भारत का सबसे बड़ा बॉक्साइट उत्पादक राज्य है, यहाँ कोरापुट जिले में पंचपतमाली निक्षेप राज्य के सबसे महत्त्वपूर्ण बॉक्साइट निक्षेप हैं।
- एल्यूमिनियम की खोज के बाद सम्राट नेपोलियन तृतीय अपने कपड़ों पर एल्यूमिनियम से बने हुक व बटन पहनता था तथा अपने खास मेहमानों को एल्यूमिनियम से बने बर्तनों में भोजन कराता, तथा आम मेहमानों को सोने व चाँदी के बर्तनों में भोजन परोसा जाता।
अधाात्विक खनिज
अभ्रक
- अभ्रक एक ऐसा खनिज है जो प्लेटों अथवा पत्रण क्रम में पाया जाता है।
- इसका चादरों में विपाटन (split) आसानी से हो सकता है। ये परतें इतनी महीन हो सकती हैं कि इसकी एक हजार परतें कुछ सेंटीमीटर ऊँचाई में समाहित हो सकती हैं।
- अभ्रक पारदर्शी, काले, हरे, लाल, पीले अथवा भूरे रंग का हो सकता है।
- इसकी सर्वोच्च परावैद्युत शक्ति, ऊर्जा हास का निम्न गुणांक, विंसवाहन के गुण और उच्च वोल्टेज की प्रतिरोधिता के कारण अभ्रक विद्युत व इलेक्ट्रॉनिक उद्योगों में प्रयुक्त होने वाले अपरिहार्य खनिजों में से एक है।
- अभ्रक के निक्षेप छोटानागपुर पठार के उत्तरी पठारी किनारों पर पाए जाते हैं।
- बिहार-झारखंड की कोडरमा- गया-हजारीबाग पेटी अग्रणी उत्पादक हैं।
- राजस्थान के मुख्य अभ्रक उत्पादक क्षेत्र अजमेर के आस पास हैं।
- आंध्र प्रदेश की नेल्लोर अभ्रक पेटी भी देश की महत्त्वपूर्ण उत्पादक पेटी है।
चट्टानी खनिज
- चूना पत्थर (Limestone) चूना पत्थर कैल्शियम या कैल्शियम कार्बोनेट तथा मैगनीशियम कार्बोनेट से बनी चट्टानों में पाया जाता है।
- यह अधिकांशतः अवसादी चट्टानों में पाया जाता है।
- चूना पत्थर सीमेंट उद्योग का एक आधारभूत कच्चा माल होता है।