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तीन वर्ग Short and Long important Question Political Science Chapter - 4 The Three Orders teen verg 2024-25

तीन वर्ग



प्रश्न – टैली से क्या अभिप्राय है ?

उत्तर - 

  • टैली एक प्रकार का कर ( Tax ) था  
  • यह कर ( Tax ) राजा किसानों पर लगाया करते थे 
  • पादरी तथा अभिजात वर्ग इस tax से मुक्त होते थे उन्हें यह tax नहीं देना होता था 




प्रश्न – यूरोप में नगरों के विस्तार के कारण बताइए ?

उत्तर - 

  • कृषि का विस्तार 
  • जनसँख्या बढ़ना 
  • व्यापार में विस्तार 
  • इसी कारण यूरोप में नगरों के विस्तार हुआ 
  • और एक चौथा वर्ग नगरवासी बना 




प्रश्न – फ्रायर किन्हें कहा जाता था ?

उत्तर - 

  • फ्रायर भिक्षुओं के ऐसे समूह को कहा जाता था
  • जिस समूह ने मठ में ना रहने का फैसला लिया
  • यह भिक्षु एक स्थान से दूसरे स्थान में घूम- घूम कर   लोगों को उपदेश देते थे 
  • यह भिक्षु दान से अपना जीवन चलते थे 




प्रश्न – श्रम अधिशेष से क्या तात्पर्य है ?

उत्तर - 

  • लार्ड की जागीरों पर किसानों के परिवारों के श्रम से होने वाले उत्पाद को श्रम अधिशेष कहा जाता है  
  • किसानों के परिवारों को सप्ताह में तीन या उससे अधिक दिन  तक लार्ड की जागीरों पर काम करना पड़ता है 




प्रश्न – दो सबसे प्रसिद्ध मठ कब और कहाँ बनाये गए  ?

उत्तर - 

1. 529 में इटली में – सेंट बेनेडिक्ट 

2. 910 में बरगंडी में -  क्लूनी 




प्रश्न -  सामंतवाद के अन्तर्गत यूरोप में किसानों की क्या स्थिति थी?


उत्तर -

  • गयारहवीं सदी के उत्तरार्द्ध यूरोप के अनेक भागों में सामन्तवाद की उत्पत्ति हुई।
  • ‘सामन्तवाद’ (Feudalism) जर्मन शब्द ‘फ्यूड’ से बना है जिसका अर्थ है – एक भूमि का टुकड़ा।
  • आर्थिक दृष्टि से सामन्त एक प्रकार के कृषि उत्पाद की ओर संकेत करता है जो सामन्त तथा कृषकों के सम्बन्धों पर आधारित था, कृषक अपने खेतों के साथ-साथ लार्ड (सामन्त) के खेतों पर भी कार्य करते थे।
  • कृषक लार्ड को सेवा प्रदान करते थे तथा बदले में लार्ड उन्हें सैनिक सुरक्षा प्रदान करते थे साथ ही लार्ड को कृषकों पर न्यायिक अधिकार भी थे 
  • यह व्यवस्था मध्य फ्रांस और बाद में इंग्लैण्ड तथा दक्षिणी इटली में भी विकसित हुई 




प्रश्न - नाइट वर्ग का उदय क्यों हुआ ? लार्ड तथा नाइट के आपसी संबंधों की संक्षिप्त जानकारी दीजिए।

उत्तर -

नाइट वर्ग

नौवीं शताब्दी के दौरान यूरोप में युद्ध होते रहते थे जिनके लिए सैनिक पर्याप्त नहीं थे इसलिए कुशल घुड़सवार अश्वसेना की आवश्यकता ने एक नये वर्ग को बढ़ावा दिया जो कुशल घुड़सवार अश्व सेना का था जिसे नाइट्स कहा जाता था 


नाइट्स और लॉर्ड का संबंध


  • यूरोप में नाइट्स और लॉर्ड का संबंध वैसा ही था जैसा लार्ड और राजा का हुआ करता था 
  • सामंत नाइट को भूमि का एक भाग देता था, जिसे फ़ीफ़ कहा जाता था यह 1000 से 2000 एकड़ या उससे भी अधिक क्षेत्र में फैली हुई भूमि होती थी
  • नाइट भूमि के बदले में लॉर्ड को एक निश्चित धनराशि देता था साथ ही यह अस्वाशन देता था की जरुरत पड़ने पर वह युद्ध में उसका साथ देगा
  • नाइट अपनी सेवाएँ अन्य लॉर्डों को भी प्रदान कर सकता था। लेकिन सर्वप्रथम निष्ठा अपने लॉर्ड के प्रति ही होती थी




प्रश्न - मध्यकालीन यूरोप के मठों में ईसाई मिक्षु कैसा जीवन बिताते थे?

उत्तर - 

  • मध्यकालीन यूरोप में ईसाई धर्म में कुछ धार्मिक लोग जो पादरी नहीं थे एकांत में जीवन जीना पसन्द करते थे 
  • ये जिन धार्मिक समुदायों में रहते थे उसे मठ या ऐबी कहा जाता था। मध्यकालीन यूरोप में दो महत्वपूर्ण मठ थे 
  • 529 ई. में इटली में स्थापित सेन्ट बेनेडिक्ट मठ 
  • 910 ई. में बरगंडी में स्थापित क्लूनी मठ।
  • भिक्षुओं का सम्पूर्ण जीवन मठों में रहने, प्रार्थना करने, अध्ययन करने, कृषि जैसा शारीरिक श्रम करने में व्यतीत करते थे
  • भिक्षुओं को निश्चित नियमो  का पालन करना पड़ता था 
  • एक भिक्षु का जीवन पुरुष व महिला दोनों ही अपना सकते थे, पुरुष भिक्षुओं को 'मोंक' एवं महिला भिक्षुओं को ‘नन’ कहा जाता था 
  • भिक्षु व भिक्षुणियों को विवाह करने की अनुमति नहीं होती थी।
  • किसी भी भिक्षु को व्यक्तिगत सम्पत्ति रखने का अधिकार नहीं था 




प्रश्न - चौदहवीं सदी की शुरूआत तक यूरोप का आर्थिक विस्तार धीमा पड़ गया। ऐसा किन कारणों से हुआ, स्पष्ट कीजिए।

उत्तर - 

  • 14वीं शताब्दी के आर्थिक संकट ने यूरोप में कृषकों में सामाजिक असंतोष को जन्म दिया।
  • तेरहवीं सदी के अंत तक उत्तरी यूरोप में तेज ग्रीष्म ऋतु का स्थान ठंडी ग्रीष्म ऋतु ने ले लिया जिसके कारण पैदावार के मौसम छोटे हो गए , तूफानों व सागरीय बाढ़ों से फार्म प्रतिष्ठान नष्ट हो गए 
  • आर्थिक मन्दी से यूरोप के लॉर्डों की आय बहुत कम हो गयी और सरकार को करों से आमदनी में कमी हुई
  • जनसंख्या वृद्धि के कारण उपलब्ध संसाधन कम पड़ना ।
  • पहले की गहन जुताई के तीन क्षेत्रीय फसल चक्र से भूमि कमजोर हुआ पैदावार में गिरावट आयी
  • चरागाहों की कमी से पशुओं की संख्या में कमी।
  • 1315-1317 में यूरोप में भयंकर अकाल और महामारी फैली , 1320 ई. में अनेक पशुओं की मौत।
  • जल पोतों के साथ चूहे आए जो ब्यूबोनिक प्लेग जैसी महामारी का सक्रमण लाए लाखो लोग ग्रसित हुए 
  • मजदूरों की संख्या में कमी आई इससे मजदूरी की दर में 250 प्रतिशत तक की वृद्धि ।
  • मजदूरी की दरें बढ़ने तथा कृषि उत्पादों के मूल्यों में कमी ने अभिजात वर्ग की आय को कम कर दिया।
  • कृषकों विशेषकर पढ़े-लिखे और समृद्ध कृषकों ने इसका विरोध किया।




प्रश्न - फ्रॉस में कथीड्रल नगर किस प्रकार अस्तित्व में आये?

उत्तर - 

  • 12वीं शताब्दी में फ्रांस में कथीड्रल कहे जाने वाले विशाल चर्चों का निर्माण कार्य आरंभ हुआ।
  • इनके निर्माण के लिए धनी लोगों द्वारा दान दिया जाता था।
  • सामान्यजन अपने श्रम द्वारा एवं अन्य वस्तुओं द्वारा इनके निर्माण में सहयोग देते थे।
  • कथीड्रल बहुत विशाल एवं भव्य होते थे। इन्हें पत्थर से बनाया जाता था।
  • कथीड्रल के आस-पास अनेक प्रकार के लोग बस गए, उनकी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए बाज़ार भी स्थापित हो गए।
  • इनका निर्माण इस प्रकार किया गया था कि पादरी की आवाज़, भिक्षुओं के गीत, लोगों की प्रार्थना की घंटियाँ दूर-दूर तक सुनाई पड़ें।
  • कथीड्रल की खिड़कियों के लिए अभिरंजित काँच का प्रयोग किया जाता था।
  • इस कारण दिन के समय सूर्य की पर्याप्त रोशनी अंदर आ सकती थी। रात्रि के समय जब कथीड्रल में मोमबत्तियाँ जलाई जाती थीं तो खिड़कियों के शीशों पर बने ईसा मसीह के जीवन से संबंधित चित्रों को स्पष्ट देखा जा सकता था।




प्रश्न - ग्यारहवी शताब्दी में यूरोप में होने वाले विभिन्न प्रौद्योगिकी बदलावों की विवेचना कीजिए।

उत्तर -  

  • मध्यकालीन यूरोप में ग्यारहवीं शताब्दी में कृषकों द्वारा लकड़ी के हल के स्थान पर लोहे की भारी नोंक वाले हल का प्रयोग शुरू हुआ जिससे उपज में बढ़ोतरी हुई 
  • घोड़ों के खुरों में लोहे की नाल लगाई जाने लगी, जिससे उनके खुर सुरक्षित रह सकें। 
  • पशुओं को हल में जोतने के तरीकों में भी सुधार हुआ। गले के स्थान पर जुआ अब कन्धों पर बाँधा जाने लगा। इससे पशुओं को अधिक शक्ति मिलने लगी।
  • अनाज को पीसने और अंगूरों से शराब बनाने के लिए जल और वायु शक्ति से चलने वाले कारखानों की स्थापना की गई।
  • भूमि के उपयोग के तरीके में भी परिवर्तन आया दो खेतों वाली व्यवस्था से तीन खेतों वाली व्यवस्था अपनाई इससे कृषक तीन वर्षों में दो वर्ष अपने खेतों का उपयोग कर सकते थे।
  • वे एक खेत में शरद ऋतु में गेहूँ या राई बो सकते थे। दूसरे खेत में बसन्त ऋतु में मटर, सेम और मसूर अथवा जौ और बाजरा बो सकते थे। तीसरा खेत परती यानि खाली रखा जाता था।
  • प्रत्येक वर्ष वे तीनों खेतों का प्रयोग बदल-बदलकर कर सकते थे इसके परिणामस्वरूप कृषि उत्पादन बढ़ा।



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