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भारतीय संविधान में अधिकार important Long and Short Questions CHAPTER - 2 rights in indian constitution 2024-25 bhaarateey sanvidhaan mein adhikaar

 

भारतीय संविधान में अधिकार  important  Long and  Short Question



प्रशन- अधिकार से क्या अभिप्राय  है ?

उत्तर -

  • अधिकार के बिना मनुष्य अपना विकास नहीं कर सकता। 
  • अधिकार वे हक है, जो एक आम आदमी को जीवन जीने के लिए चाहिए, जिसकी वह मांग करता है 
  • कानून द्वारा प्रदत्त सुविधाएं अधिकारों की रक्षा करती है।



प्रशन - सामान्य अधिकार से क्या अभिप्राय  है ?

उत्तर -

  • ऐसे अधिकार जो साधारण कानूनों की सहायता से लागू किये जाते हैं विधायिका इन अधिकारों में ससंद में कानून बनाकर परिवर्तन कर सकती है सामान्य अधिकार कहलाते हैं 



प्रशन- भारतीय संविधान में कौन से मौलिक अधिकार का वर्णन है ?

उत्तर -

  • संविधान के  भाग - 3 में अनुच्छेद 12 - 35  के अनुसार भारत की जनता को  मौलिक अधिकार प्राप्त है जिससे वह अपना सर्वांगीण विकास कर सकता है  
  • हमारा संविधान इन मौलिक अधिकारों की गारंटी देता है और इनके उल्लंघन पर हम न्यायपालिका में जा सकते है 

मौलिक अधिकार - 

1. समता का अधिकार

2. स्वतंत्रता  का अधिकार 

3. शोषण के विरुद्ध अधिकार

4. धार्मिक स्वतंत्रता अधिकार 

5. संस्कृति और शिक्षा सम्बन्धी अधिकार

6. संवैधानिक उपचारों का अधिकार



प्रशन - राज्य के नीति निर्देशक तत्व से क्या अभिप्राय  है ?

उत्तर -

  • स्वतंत्र भारत में सभी नागरिकों में समानता लाने और सबका कल्याण करने के लिए मौलिक अधिकारों के अलावा बहुत से नियमों की जरूरत थी। 
  • राज्य के नीति निर्देशक तत्वों के तहत ऐसे ही नीतिगत निर्देश सरकारों को दिए गए, जिन को न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती परंतु इन्हें लागू करने के लिए सरकार से आग्रह किया जा सकता है। सरकार का दायित्व है कि जिस सीमा तक इन्हें लागू कर सकती है, करें ।



प्रशन- मौलिक कर्तव्य से क्या तात्पर्य  है ?

उत्तर -

  • हमारा संविधान नागरिकों को मौलिक अधिकार प्रदान करता है ऐसे में नागरिकों का कर्तव्य बनता है की वह अपने संविधान का सम्मान करे अपने देश का सम्मान करे , राष्ट्रीय गीत , राष्ट्रीय धरोहर का सम्मान करे 
  • मौलिक कर्तेव्य मूलत : नागरिको का देश के प्रति समपर्ण को दिखाता है  
  • 1976 में, 42 वें संविधान संशोधन द्वारा नागरिकों के मौलिक कर्तव्यों की सूची (अनुच्छेद 51 (क)) का समावेश किया गया है। 

इसके अंतर्गत नागरिकों के ग्यारह मौलिक कर्तव्य, निम्न प्रकार हैं:-

1. संविधान का पालन करना, राष्ट्रध्वज और राष्ट्रगान का सम्मान करें।

2. राष्ट्रीय आंदोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शों को हृदय में सजाए रखना उनका पालन करना।

3. भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करना।

4. राष्ट्र रक्षा एवं सेवा के लिए तत्पर रहना।

5. नागरिकों में भाईचारे का निर्माण करना।

6. हमारी सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परंपरा के महत्व को समझें और उस को बनाए रखें।

7. प्राकृतिक पर्यावरण का संरक्षण करें, उसकी रक्षा करें।

8. वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मानववाद और ज्ञानार्जन तथा सुधार की संभावना का विकास करें।

9. सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखें, स्वच्छ भारत अभियान को सफल बनाएं और हिंसा से दूर रहे।

10. व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में उत्कर्ष की ओर बढ़ने का प्रयास करें।

11. माता-पिता या संरक्षक द्वारा 6 से 14 वर्ष के बच्चों हेतु प्राथमिक शिक्षा प्रदान करना। (संशोधन 86)




प्रशन-  डॉ. अंबेडकर ने किस मौलिक अधिकार को 'संविधान का हृदय और 'आत्मा’ कहा है ?

उत्तर -

  • डॉ. अंबेडकर ने संवैधानिक उपचारों का अधिकार को 'संविधान का हृदय और 'आत्मा’ कहा है 
  • इसके अनुसार प्रत्येक नागरिक को यह अधिकार प्राप्त कि वह मौलिक अधिकारों के उल्लंघन किए जाने पर सीधे उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय (SUPREME court ) जा सकता है। 
  • सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय मौलिक अधिकारों को लागू करने के लिए सरकार को आदेश दे सकते हैं। 
  • न्यायालय कई प्रकार के विशेष आदेश जारी करते हैं जिन्हें प्रादेश या रिट कहते हैं। 




प्रशन- मौलिक अधिकारों के हनन पर न्यायपालिका कौन से रिट जारी कर सकती है ? 

उत्तर -

  • यदि कोई किसी व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का हनन करता है तो ऐसी स्थिति में सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय मौलिक अधिकारों को लागू करने के लिए  सरकार को आदेश दे सकते हैं। 

  • न्यायालय कई प्रकार के विशेष आदेश जारी करते हैं जिन्हें प्रादेश या रिट कहते हैं। 

1. बंदी प्रत्यक्षीकरण

2. परमादेश

3. निषेध आदेश

4. अधिकार पृच्छा

5. उत्प्रेषण रिट



प्रशन- बंदी प्रत्यक्षीकरण के बारे में बताओ ?

उत्तर -

  • बंदी प्रत्यक्षीकरण के द्वारा अदालत किसी गिरफ्तार व्यक्ति को न्यायालय के सामने प्रस्तुत करने का आदेश देता है। 
  • यदि गिरफ्तारी का तरीका या कारण गैरकानूनी या असंतोषजनक हो, ऐसे में न्यायालय गिरफ्तार व्यक्ति को छोड़ने का आदेश दे सकता है। 



प्रशन- परमादेश के बारे में बताओ ?

उत्तर -

  • जब न्यायालय को लगता है कि कोई सरकारी पदाधिकारी अपने कानूनी और संवैधानिक दायित्वों का पालन नहीं कर रहा है और इससे किसी व्यक्ति का मौलिक अधिकार प्रभावित हो रहा है।
  • ऐसे में न्यायलय के द्वारा परमादेश  जारी किया जाता है



प्रशन- परमादेश के बारे में बताओ ?

उत्तर -

  • जब न्यायालय को लगता है कि कोई सरकारी पदाधिकारी अपने कानूनी और संवैधानिक दायित्वों का पालन नहीं कर रहा है और इससे किसी व्यक्ति का मौलिक अधिकार प्रभावित हो रहा है। ऐसे में न्यायलय के द्वारा परमादेश  जारी किया जाता है



प्रशन- मौलिक अधिकार और नीति निर्देशक तत्व में सम्बन्ध बताइए ?

उत्तर -

  • मौलिक अधिकारों और नीति-निर्देशक तत्वों को एक-दूसरे के पूरक के रूप में देखा जा सकता है। 
  • जहाँ मौलिक अधिकार सरकार के कुछ कार्यों पर प्रतिबंध लगाते हैं वहीं नीति-निर्देशक तत्व उसे कुछ कार्यों को करने की प्रेरणा देते हैं।
  • मौलिक अधिकार व्यक्ति के अधिकारों की बात करते है नीति निर्देशक तत्व पूरे समाज के अधिकारों की बात करते है 
  • कभी – कभी नीति-निर्देशक तत्वों को लागू करने में यह मौलिक अधिकारों से टकरा जाते है  



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