Chapter - 5
समकालीन विश्व में सुरक्षा
सुरक्षा का अर्थ
- सुरक्षा का अर्थ - खतरे से आजादी
- मानव के अस्तित्व को और उसके जीवन को हमेशा खतरा रहता है
- जब हम घर से निकलते हैं तो खतरा मंडराने लगता है
- अगर आपको यह लगता है कि घर पर आप सुरक्षित हैं तो यह आपकी भूल है
- तो ऐसे में हर खतरे को हम खतरा नहीं मानेंगे
- ऐसे में हम उस खतरे को सुरक्षा के लिए खतरा मानेंगे जिससे जीवन के केंद्रीय मूल्यों को खतरा हो
- केन्द्रीय मूल्य - व्यापक खतरे ( गंभीर खतरे )
- ऐसे खतरे जिन्हें रोकने के उपाय नहीं किए तो अपूर्ण क्षति होगी
सुरक्षा की धारणा
1. पारंपरिक धारणा
- बाहरी सुरक्षा
- आंतरिक सुरक्षा
2. अपारम्परिक धारणा
1. बाहरी सुरक्षा
- बाहरी सुरक्षा के अंतर्गत
सैन्य खतरे को ज्यादा खतरनाक समझा जाता है
- खतरे का स्रोत कोई दूसरा मुल्क होता है
- सैन्य हमले में सिर्फ सैनिकों को नहीं मारा जाता
- इसमें आम नागरिक भी मारे जाते हैं
- सैन्य हमले से किसी देश पर हमले द्वारा वहां की सरकार का हौसला तोड़ा जाता है
- बाहरी सुरक्षा में हमें खतरा पड़ोसी मुल्क से हो सकता है
- हमें पता होता है कि पड़ोस का कौन सा देश ज्यादा ताकतवर है अर्थात हमें किससे ज्यादा खतरा हो सकता है
किसी सरकार के पास युद्ध की स्थिति में तीन विकल्प होते हैं
- आत्मसमर्पण करना
- दूसरे पक्ष की बात को बिना युद्ध किए मान लेना
- युद्ध हो जाने पर अपनी रक्षा करना ( हमलावर को पराजित करना )
शक्ति संतुलन
- कोई देश अपने अड़ोस-पड़ोस में देखने पर पाता है कि कुछ मुल्क छोटे हैं तो कुछ बड़े हैं
- इससे इशारा मिल जाता है कि भविष्य में किस देश से उसे खतरा हो सकता है
- मिसाल के लिए कोई पड़ोसी देश संभव है यह ना कहे कि वह हमले की तैयारी में जुटा है
- हमले का कोई प्रकट कारण भी नहीं जान पड़ता हो
- फिर भी यह देखकर कि कोई देश बहुत ताकतवर है यह अनुमान लगाया जा सकता है कि भविष्य में वह हमलावर हो सकता है इस वजह से हर सरकार दूसरे देश से अपने शक्ति संतुलन को लेकर संवेदनशील रहती है
- कोई सरकार दूसरे देश से शक्ति संतुलन का पलड़ा अपने पक्ष में बैठाने के लिए जी तोड़ कोशिश करती है
- जो देश नजदीक हो , जिनके साथ अनबन हो या जिन देशों के साथ अतीत में लड़ाई हो चुकी हो उनके साथ शक्ति संतुलन को अपने पक्ष में करने पर खासतौर पर जोर दिया जाता है
- शक्ति संतुलन बनाए रखने की यह कवायद ज्यादातर अपनी सैन्य शक्ति को बढ़ाने की होती है लेकिन आर्थिक और प्रौद्योगिकी की ताकत भी महत्वपूर्ण है क्योंकि सैन्य शक्ति का यही आधार
है
बाहरी सुरक्षा के उपाय
- सैन्य शक्ति को मजबूत करना
- युद्ध के लिए तैयारी रखना
- शक्ति संतुलन स्थापित करना
- गठबंधन की नीति अपनाना
2. आंतरिक सुरक्षा
इसमें ऐसा माना जाता है की हमे खतरा देश की सीमा रेखा के अंदर से होता है
- हिंसा की घटना
- साम्प्रदायिक हिंसा
- अलगाववाद
- नक्सलवाद
- जातीय हिंसा
- राजनीतिक अस्थिरता
- आंतरिक खतरे अधिक हानि पहुंचाते है इसमें ज्यादा लोग मारे जाते है
सुरक्षा के पारम्परिक तरीके बताओ ?
- हिंसा का इस्तेमाल कम करना
- न्याय युद्ध होना चाहिए
- युद्ध उचित कारणों ,आत्म रक्षा ,दूसरो को जनसंहार से बचाने के लिए होना चाहिए
- युद्ध साधनों का सीमित प्रयोग होना चाहिए
- युद्धरत सेना को संघर्ष विमुख शत्रु , निहथे व्यक्ति ,आत्मसमर्पण करने वाले शत्रु को नहीं मारना चाहिए
- सेना का उतना ही प्रयोग किया जाये जितना आत्मरक्षा के लिए काफी हो
- बल प्रयोग तभी करे जब सारे उपाय असफल हो जाये
निरस्त्रीकरण
- अस्त्र- नियंत्रण तथा विश्वास की बहाली ।
- निरस्त्रीकरण की माँग होती है कि सभी राज्य चाहे उनका आकार, ताकत और प्रभाव कुछ भी हो, कुछ खास किस्म के हथियारों से बाज आयें।
उदाहरण-
1. 1972 की जैविक हथियार संधि (BWC)
2. 1992 की रासायनिक हथियार संधि (CWC)
3. इन संधियों में ऐसे हथियार को बनाना और रखना प्रतिबंधित कर दिया गया है।
4. 155 से ज्यादा देशों ने BWC संधि पर और 181 देशों ने CWC संधि पर हस्ताक्षर किए हैं।
5. इन दोनों संधियों पर दस्तख़्त करने वालों में सभी महाशक्तियाँ शामिल हैं।
6. लेकिन महाशक्तियाँ- अमरीका तथा सोवियत संघ सामूहिक संहार के अस्त्र यानी परमाण्विक हथियार का विकल्प नहीं छोड़ना चाहती थीं इसलिए दोनों ने अस्त्र - नियंत्रण का सहारा लिया।
सुरक्षा की अपारंपरिक धारणा
- सुरक्षा की अपारंपरिक धारणा में केवल सैन्य खतरों को नहीं
- बल्कि इसमें मानव अस्तित्व पर चोट करने वाले व्यापक खतरों को शामिल किया जाता है
- जैसे –
1. हिंसा
2. खून खराबा
3. अकाल
4. महामारियां
5. आपदाए
6. ग्लोबल वार्मिंग
7. आतंवाद
8. बीमारियाँ
9. खतरे के नए स्रोत
10. आतंकवाद
11. निर्धनता
12. महामरियां
13. ग्लोबल वार्मिंग
14. प्रदूषण
15. आपदाए
16. शर्णार्थियो की समस्या
17. जनसँख्या वृद्धि
18. एड्स, बर्ड फ्लू
👉आप्रवासी- जो लोग अपनी मर्जी से स्वदेश छोड़ते है
👉शरणार्थी – जो लोग मज़बूरी में देश छोड़ते है जैसे–युद्ध ,आपदा,राजनीतिक संकट
👉आंतरिक रूप से विस्थापित जन – जो लोग अपना घर बार छोड़ चुके है लेकिन देश की सीमा के भीतर है
सहयोगमूलक सुरक्षा
- आज इंसान के जीवन में अनेको प्रकार के खतरे है और इन खतरों से निपटने के लिए आपसी सहयोग की जरूरत है
- हर जगह हर खतरे में सैन्य कार्यवाही से समस्या का हल नही निकला जा सकता है
- आतंकवाद तथा मानवाधिकारों की रक्षा में सैन्य शक्ति की भले जरूरत हो लेकिन गरीबी मिटाने, तेल, धातु, आप्रवासी, शरणार्थी, महामारी इन समस्याओ का हल सैन्य शक्ति से नही किया जा सकता
- अधिकांश मामलों में सैन्य बल प्रयोग से मामला बिगड़ता है
- ऐसे में ज्यादा प्रभावी यही है की अन्तराष्ट्रीय सहयोग से रणनीति तैयार की जाए
- सहयोग द्विपक्षीय, महा देशीय, क्षेत्रीय, वैश्विक स्तर का हो सकता है
- यह इस बात पर निर्भर करेगा की खतरे की प्रकृति किस प्रकार कैसी है
- सहयोग मूलक सुरक्षा के आलावा
a.) UNO, WHO, WB, IMF, NGO आदि
b.) नेल्सन मंडेला |
c.) मदर टेरेसा |
- सहयोगमूलक सुरक्षा में भी अंतिम उपाय के रूप में बल प्रयोग किया जा सकता है
- अन्तराष्ट्रीय
बिरादरी उन सरकारों से निपटने की लिए बल प्रयोग की अनुमति दे सकती है जो अपनी ही
जनता को मार रही है
भारत की सुरक्षा की रणनीतियां
- अपनी सैन्य क्षमता को मजबूत करना
- अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओ को मजबूत करना
- अंदरूनी समस्या से निपटना
- सामाजिक और आर्थिक विकास
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