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नियोजित विकास की राजनीति Notes in hindi Chapter 3 Political Science class 12 Book 2 Politics of planned development

 



Chapter - 2  


नियोजित विकास की राजनीति


उड़ीसा के लौह अयस्क संसाधन

  • भारत का उड़ीसा राज्य लौह अयस्क संसाधनों से भरपूर राज्य है
  • यहां लौह अयस्क का विशाल भंडार था
  • जब इस्पात की मांग बढ़ी तो निवेश के आधार पर उड़ीसा एक महत्वपूर्ण राज्य बनकर उभरा उड़ीसा की सरकार ने लौह इस्पात की मांग को पूरा करना चाहा 
  • इसके लिए अंतरराष्ट्रीय इस्पात निर्माताओं और राष्ट्रीय इस्पात निर्माता के साथ सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए
  • सरकार सोच रही थी इससे पूंजी निवेश भी हो जाएगा तथा वहां के लोगों को रोजगार भी मिलेगा
  • आदिवासियों को डर था की उद्योग आने से

1. वो विस्थापित हो जायेंगे

2. उनका रोजगार , आजीविका छिन जाएगी 

  • पर्यावरणविद ऐसा कह रहे थे की खनन तथा उद्योग से पर्यावण दूषित हो जायेगा  


उद्योग को लेकर राजनीतिक टकराव

  • कोई भी फैसला लेने से पहले विशेषज्ञों की सलाह जरूरी है।
  • अर्थशास्त्री, पर्यावरणविद की सलाह भी ले।
  • जनता से भी पूछा जाए।
  • अंतिम फैसला राजनीतिज्ञों का हो।


पोस्को प्लांट पर ग्रामीण लोगो का विरोध प्रदर्शन

भुवनेश्वर : जगतसिंह जिले में कोरियाई कंपनी पोस्को इंडिया इस्पात संयंत्र का विरोध किया

माँग सरकार इस कंपनी से सहमति पत्र को रदद करे


विकास का अर्थ

विकास का अर्थ है – आर्थिक समृधि और आर्थिक सामाजिक न्याय

विकास का अलग - अलग अर्थ हो सकते है 

  • उदाहरण इस्पात संयंत्र स्थापित करने वाले के लिए इस्पात संयंत्र लगाने पर लाभ था |
  • लेकिन दूसरी तरफ ग्रामीण आदिवासियों को इस्पात संयंत्र से नुकसान था।
  • आजादी के बाद विकास को लेकर बहुत बहस तथा चर्चाएं हुई।
  • उस समय विकास का अर्थ था ज्यादा से ज्यादा आधुनिक होना पश्चिमी देशों की तरह होना औद्योगिक देशों की तरह होना
  • आजाद भारत के सामने विकास के दो मॉडल थे

1. पूंजीवादी मॉडल

2. समाजवादी मॉडल

  • भारत ने दोनों मॉडल से कुछ महत्वपूर्ण चीजो को लिया और एक नयी व्यवस्था को अपनाया जिसे मिश्रित अर्थव्यवस्था का नाम दिया गया

 

वामपंथी विचारधारा

  • इसमें गरीब और पिछड़े लोगो की   तरफदारी की जाती है
  • यह कहा जाता है की सरकार को ऐसी नीतिया बनानी चाहिए जिस से गरीब लोगो को फायदा हो
  • गरीबो के हितो को ध्यान में रखकर विकास की नीतिया अपनानी चाहिए


दक्षिणपंथी विचारधारा

  • खुली प्रतिस्पर्धा और बाजारमूलक अर्थव्यवस्था
  • सरकार अर्थव्यवस्था में हस्तक्षेप कर पाए
  • इसमें पूँजीवाद को बेहतर मानते है
  •  इसमें कहा जाता है सरकार को व्यापार के नियम आसान बनाने चाहिए 

 


योजना आयोग

1950 में बना

  • योजना आयोग पंचवर्षीय योजना बनाता था
  • इसके अध्यक्ष देश के प्रधानमंत्री होते थे
  • मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद इसकी सिफारिशे लागू होती थी

 

नीति आयोग

2015 में बना 

  • योजना आयोग का नाम बदल कर नीति आयोग रखा गया
  • अध्यक्ष – प्रधानमत्री होते है
  • NITI आयोग का पूरा नाम
  • नेशनल इंस्टीट्यूसन फॉर ट्रांस्फोर्मिंग इंडिया

 

बॉम्बे प्लान

  • सन 1944 में उद्योगपतियों के एक समूह इकट्ठा हुआ
  • इस समूह ने देश में नियोजित अर्थव्यवस्था चलाने का प्रस्ताव रखा
  • इसे ही बॉम्बे प्लान के नाम से जाना जाता है
  • इसका उद्देश्य था सरकार औद्योगिक और अन्य आर्थिक निवेश के क्षेत्र में बड़े कदम उठाये I


पंचवर्षीय योजना

  • सरकार एक दस्तावेज तैयार करेगी
  • जिसमें अगले 5 वर्ष की आमदनी और खर्च की योजना होगी
  • केंद्र सरकार और राज्य सरकार के बजट को दो हिस्सों में बांटा जाएगा
  • इसे पंचवर्षीय योजना कहा जाता था
  • यह सोवियत संघ से लिया गया है

 

पहली पंचवर्षीय योजना  1951-56

  • कृषि पर जोर 
  • अध्ययक्ष  K. N. RAJ
  • गरीबी से निकालना धीमी चाल से विकास
  • बाँध और सिंचाई
  • भाखड़ा नांगल परियोजना
  • भूमि सुधार पर जोर


दूसरी पंचवर्षीय योजना 1956-61

  • उद्योगों पर जोर
  • अध्ययक्ष  P. C. Mahalnobis
  • औद्योगीकरण (भारी उद्योग)
  • तेज गति से विकास
  • देशी उद्योगो को संरक्षण
  • आयात पर भारी शुल्क
  • विजली, रेलवे, इस्पात, संचार

 

पूंजीवादी मॉडल

  • अमेरिका ने अपनाया था
  • निजीकरण को महत्व दिया जाता है
  • प्रतिस्पर्धा
  • मजदूरों का शोषण
  • बाजारमूलक अर्थव्यवस्था
  • अधिक से अधिक व्यापार पर ध्यान

 

समाजवादी मॉडल

  • सोवियत संघ ने इसे अपनाया था
  • निजी स्वामित्व का विरोध
  • समानता पर बल
  • राज्य का स्वामित्व
  • राज्य नीति बनता है
  • नेहरु जी समाजवाद के समर्थक थे

 

निजी क्षेत्र बनाम सार्वजानिक क्षेत्र

  • आजाद भारत के सामने विकास के दो मॉडल थे

  1. पूंजीवादी मॉडल
  2. समाजवादी मॉडल


  • भारत ने दोनों मॉडल से कुछ महत्वपूर्ण चीजो को लिया और एक नयी व्यवस्था को अपनाया जिसे मिश्रित अर्थव्यवस्था का नाम दिया गया
  • खेती , किसानी , व्यापार और उद्योगों का एक बड़ा भाग – निजी हांथो में
  • भारी उद्योगों, व्यापार का नियमन , कृषि क्षेत्र में हस्तक्षेप – राज्य के हांथो में
  • इस मिले जुले मॉडल की आलोचना दक्षिणपंथी और वामपंथी दोनों ने की
  • आलोचकों ने कहा की सरकार ने निजी क्षेत्र को ज्यादा जगह नहीं दी
  • निवेश के लिए लाइसेंस प्रणाली गलत थी परमिट प्रणाली निजी पूँजी की राह में रोड़े अटकाए गए
  • घरेलु बाजार में बनने वाली चीजो के आयात पर बाधा लगायी जो गलत था बाजार में प्रतिस्पर्धा नहीं रही
  • भ्रष्टाचार बढ़ा



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