Chapter - 1
राष्ट्र निर्माण की चुनौतियाँ
इस अध्याय में हम स्वतंत्र भारत के राष्ट्र निर्माण की चुनौतियों का अध्ययन करेंगे किस प्रकार आजादी के बाद भारत को विभाजन विस्थापन और पुनर्वास का सामना करना पड़ा साथ ही रजवाड़ों की समस्या और भारत में विलय के बारे में जानेंगे और राज्यों का पुनर्गठन किस प्रकार किया गया इस पर गोर करेंगे।
आजादी के बाद भारत
- भारत 200 वर्षो की अंग्रेजी हुकूमत से 14-15 अगस्त की मध्यरात्रि को आजाद हुआ और आजादी विभाजन
के साथ मिली।
- नेहरु जी ने संविधान सभा को संबोधित करते हुए एक प्रसिद्ध भाषण दिया जो भाग्य वधु से चिर प्रतीक्षित भेंट या ट्रिस्ट विद डेस्टिनी के नाम से जाना जाता है।
- आजादी के साथ भारत को बहुत सी समस्यांए विरासत में मिली जिसका सामना करते
हुए राष्ट्र निर्माण करना था।
1. 1947 का साल कैसा था ?
- हिंसा और विस्थापन की त्रासदी भरा
साल।
- लाखो लोग मारे गए, बेघर हुए।
2. आजादी के बाद सबकी सहमती थी
- शासन लोकतान्त्रिक सरकार के द्वारा चलाया जायेगा।
- सरकार सभी के भले के लिए काम करेगी।
राष्ट्र निर्माण की प्रमुख तीन
चुनौतियां
1. एकता के सूत्र में बांधना
- भारत विविधता से भरा देश था हर
क्षेत्र की अपनी विशेषता रही है चाहे धर्म , संस्कृति , भाषा या जाती के आधार पर हो अंग्रेजो के जाने के बाद इस पुरे भरे क्षेत्र
को इकठ्ठा करना और अखंडता के साथ ले के चलना पहली बड़ी चुनौती थी।
2. लोकतंत्र स्थापित करना
- आजादी से पहले यह तय किया गया था की भारत एक संसदीय शासन पर आधारित
प्रतिनिधित्वमूलक लोकतंत्र स्थापित करेगा और इतने बड़े देश में इसे कायम करना
दूसरी सबसे बड़ी चुनौती थी।
3. समानता पर आधारित विकाश
- भारत को आजादी के बाद
सामाजिक विभिनता, के साथ वंचित , अल्पसंख्यको को एक साथ लेकर सभी के लिए समानता का
व्यवहार करना था और गरीबी ,बेरोजगारी, जैसे समस्याओ को खत्म कर आर्थिक विकास भी हासिल करना
था यह तीसरी सबसे बड़ी चुनौती थी।
विभाजन
1. दो – राष्ट्र सिद्धांत
- आजादी से पहले मुस्लिम लीग द्वारा दिया गया सिद्धांत था।
- इसके तहत इंडिया दो कौमो का देश था हिन्दू और मुस्लिम।
- विभाजन का आधार धर्म के आधार पर बहुसंख्यक होना था।
- जिसमे मुसलमानों के लिए एक अलग देश की मांग की गयी पाकिस्तान।
- कांग्रेस ने इसका विरोध किया परन्तु इसे मन नहीं गया ।
2. विभाजन
में आई मुख्य समस्याएँ
- मुस्लमान जनसँख्या के आधार पर पूरे देश को बाँटना आसान नहीं था।
- ऐसे दो इलाके थे जहा मुस्लिम बहुसंख्यक थे दोनों इलाको को मिलाकर जोड़ना
मुमकिन नहीं था और सभी मुस्लिम पकिस्तान जाने को तैयार नहीं थे।
- पंजाब और बंगाल में कुछ इलाको में मुस्लिम ज्यादा थे फिर वहा जिले के
आधार पर बंटवारा किया गया जिसमे पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान के
बीच भारत बड़ा भूभाग था।
- सबसे बड़ी समस्या अल्पसंख्यकों की थी जिन्हें चंद घंटो में देश खाली करके
सीमा पार जाना था।
- बहुत से लोगो को यह भी नहीं पता था की काल से वो किस देश के नागरिक होगे
भारत के या पकिस्तान के ।
3. विभाजन
के परिणाम
- विभाजन के समय स्थानांतरण आकस्मिक, अनियोजित और त्रासदी भरा था साथ ही बड़े पैमाने पर साम्प्रदायिक हिंसा
हुई।
- लाहौर, अमृतसर और कलकत्ता में एक समुदाय के लोगों ने दूसरे समुदाय के लोगों को बेरहमी से मारा।
- शरहद के दोनों तरफ अल्पसंख्यकको को अस्थाई तौर पर शरणार्थी शिविरों में
पनाह लेनी पड़ी।
- पैदल चलकर लोगो ने कई मिल सफर तय किये।
- दोनों ओर हजारों की तादाद में औरतों को अगवा किया गया, महिलाओ के साथ बलात्कार, हत्या, जबरन शादी की गई,बच्चे अपने माँ-बाप से बिछड़ गए।
- संपत्ति का बंटवारा हुआ टेबुल, कुर्सी, टाईपराइटर और पुलिस के वाद्ययंत्रों को भी बंटा गया।
- 80 लाख लोगो ने घर छोड़ा और पाँच से दस लाख लोगों ने जान गवानी पड़ी।
4. आजादी
के जश्न में गांधी जी ने हिस्सा नहीं लिया ?
- महत्मा गांधी देश में हो रही हिंसा से दुखी थे, वो उन दिनों कलकत्ता गए।
- हिंसा रोकने की अपील की, फिर गांधी जी दिल्ली आये।
- 1948 में उपवास रखा, उनके उपवास से हिंसा और तनाव कम हुआ।
- 30 जनवरी 1948 को नाथूराम विनायक गोडसे ने गांधीजी की हत्या कर दी।
रजवाड़ो का विलय
1. रजवाड़ो की समस्या बताओ
- ब्रिटिश इंडिया के समय भारत में प्रशासन ब्रिटिश प्रभुत्व क्षेत्र और
देशी रजवाड़े दो भागो में बंटा था।
- भारत के आजादी के समय रजवाडो को भी आजादी मिली जो राजाओ के नियंत्रण में
थे।
- देश में 565 रियासते थी जिनका अलग होना देश के टूट जाने का खतरा था क्योकि अंग्रेजो ने घोषणा की थी कि ब्रिटिश
प्रभुत्व के बाद रजवाड़े भी आजाद हो जायेंगे।
- अधिकतर रजवाड़े भारतीय संघ में सामिल होना चाहते थे भारत सरकार भी इन्हें
थोड़ी स्वायतता देने को तैयार थी।
- सबसे पहले त्रावनकोर के राजा ने अपने राज्य को आजाद रखने का ऐलान कर दिया
था अगले दिन हैदराबाद के निजाम ने भी ।
- कश्मीर,मणिपुर ने भी आजाद रहने की बात पर जोर दिया और इनके विलय में थोड़ी
मुस्किल आयी ।
1. हैदराबाद रियासत का विलय
- हैदरबाद के राजा को निजाम कहा जाता था वो दुनिया के सबसे अमीर लोगो में
शुमार होता था।
- निजाम और उसके सैनीक रजाकार किसानो और महिलाओ का शोषण करते थे।
- निजाम के खिलाफ लोगो ने आन्दोलन किया और निजाम ने उस आन्दोलन को कुचलने
के लिए अपने गुंडे रजाकार भेजे।
- रजाकार बहुत साम्प्रदायिक थे और गैर मुसलमानों को अपना निशाना बनाने लगे
रजाकारो ने लूटपाट मचाई ,हत्या ,बलात्कार पर उतारू हो गए।
- भारत सरकार वहा की जनता की सुरक्षा के लिए सेना भेजी सेना ने कुछ समय चले संघर्ष किया बाद में निजाम ने आत्मसमर्पण
केर दिया और इस प्रकार
हैदराबाद का विलय भारतीय संघ में हो गया।
2. कश्मीर रियासत का विलय
- कश्मीर के राजा हरी सिंह इसे स्वतंत्र रखना चाहते थे।
- पकिस्तान कश्मीर को अपना मानता था और उसे अपने में शामिल करना चाहता था ।
- पकिस्तान ने दबाव भी बनाया और कश्मीर में अपनी सेना भेज दी यह सोचकर की
वहां के मुस्लिम जनसँख्या उनका साथ देगी ।
- फिर वह के राजा ने भारत से मदद मांगी और भारत ने मदद की इसी के साथ
कश्मीर रियासत को भारत में मिला लिया गया ।
- कश्मीर को विशेष अधिकार भी दे दिए भारत का रुख लचीला था।
3. मणिपुर रियासत का विलय
- मणिपुर के राजा
बोधचन्द्र सिंह ने भारत के साथ विलय के सहमती पत्र पर हस्ताक्षर किए।
- इसके बदले में उसकी स्वायत्तता बरकरार रखने का आश्वासन दिया गया।
- मणिपुर भारत का पहला राज्य है जहा सर्भौमिक वयस्क मताधिकार का प्रयोग जून 1948 किया गया।
- मणिपुर की कोंग्रेस चाहती थी की मणिपुर का विलय भारत में हो जाये।
- लेकिन वह की जनता नहीं चाहती थी की मणिपुर का विलय भारत में हो।
- मणिपुर का विलय भारत में हो गया लेकिन आज भी वह की जनता इस से खुश नहीं
थी।
2. रजवाड़ो के विलय में पटेल जी की भूमिका
- देश में रजवाडो की समस्या को देखकर ऐसा लगा जैसे देश टूट जायेगा।
- ऐसे में वल्लभ भाई पटेल ने अपनी समझदारी दिखाकर।
- रजवाडो को भारतीय संघ में शामिल करने के लिए राजी कर लिया।
- उनसे इंस्ट्रूमेंट ऑफ़ एक्सेसन सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करवा लिए।
राज्यों का पुनर्गठन
1. राज्यों का गठन
- ब्रिटिश प्रशासन में प्रशासनिक व्यवस्था के आधार पर राज्यों का गठन हुआ
था परन्तु स्वतंत्र भारत में भाषा और संस्कृति बहुलता के आधार पर राज्यों को
बनाने की मांग उठनी शुरू हो गयी।
- नागपुर अधिवेशन 1920 में कांग्रेस ने
यह मान लिया था कि राज्यों का पुनर्गठन भाषा के आधार पर होग लेकिन आजादी के बाद
स्थिति और माहौल बदला देश का बंटवारा हो गया।
- नेताओं को ऐसा लगा अगर भाषा के आधार पर राज्यों को पुनर्गठन हुआ तो देश
में अव्यवस्था फैल जाएगी देश के टूटने का खतरा पैदा हो जाएगा इसलिए सरकार कुछ फैसला लेने से डर रही थी।
2. भाषा के आधार पर बना पहला राज्य आंध्र प्रदेश
- पुराने मद्रास में तेलुगु भाषी क्षेत्र में विरोध उठा मद्रास में वर्तमान
के तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, केरल, कर्नाटक राज्य शामिल थे
- यह विशाल आन्दोलन आंध्र प्रदेश नाम का एक अलग राज्य बनाने की मांग को
लेकर था तेलुगु भाषी क्षेत्र को अलग कर आंध्र प्रदेश जाये.
- पोट्टी श्री रामुलु अनिश्चित्काल भूख हड़ताल पर बैठ गए 56 दिन के बाद उनकी मौत हो गयी
- पोट्टी श्री रामुलु की मृत्यु के बाद हिंसक आन्दोलन शुरू हुआ , लोग सड़क पर आ गये, कांग्रेस विधायको ने इस्तीफ़ा दे दिया
- अंत में नेहरु सरकार ने आंध्र
प्रदेश की मांग मान ली और 1952
में आंध्र
प्रदेश भाषा केर आधार पर बना पहला राज्य बना
3. राज्य पुनर्गठन आयोग (SRC)
- राज्य पुनर्गठन आयोग 1953 में बना था।
- इसने अपनी सिफारिश में ये मान लिया की राज्यों का पुनर्गठन भाषा के आधार
पर कर दिया जाना चाहिए।
- राज्य पुनर्गठन अधिनियम 1956 में पारित हुआ जिसमे 14 राज्यों को और 6 केंद्र शासित क्षेत्रो में बंटा गया।
- भारत के वो संघ शासित क्षेत्र जिन्हें बाद में राज्य का दर्जा दिया गया।
1. मिजोरम
2. मणिपुर
3. त्रिपुरा
4. गोवा
मूल राज्य |
नए बने राज्य |
साल |
बम्बई |
महाराष्ट्र, गुजरात |
1960 |
असम |
नागालैंड |
1963 |
वृहत्तर पंजाब |
हरियाणा, पंजाब |
1966 |
वृहत्तर पंजाब |
हिमाचल प्रदेश |
1966 |
असम |
मेघालय, मणिपुर, त्रिपुरा |
1972 |
असम |
मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश |
1987 |
उत्तर प्रदेश |
उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड |
2000 |
बिहार |
झारखंड |
2000 |
मध्य प्रदेश |
छत्तीसगढ़ |
2000 |
आंध्र प्रदेश |
तेलंगाना |
2014 |
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