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राजस्थान की रजत बूँदें Important Short and Long Question Class 11 Chapter-2 Book-Vitan

राजस्थान की रजत बूँदें Important Short and Long Question Class 11 Chapter-2 Book-Vitan


1. कुंई क्या होती है और इसका निर्माण कैसे किया जाता है?

उत्तर: 

कुंई एक छोटी और गहरी संरचना होती है, जिसे खड़िया पत्थर की पट्टी पर बनाया जाता है। इसका व्यास छोटा और गहराई अधिक होती है। इसे कुशल कारीगर, जिन्हें चेलवांजी या चेजारो कहा जाता है, विशेष उपकरणों और सुरक्षा उपायों के साथ बनाते हैं।


2. कुंई जल संरक्षण में कैसे सहायक होती है?

उत्तर: 

कुंई वर्षा के जल को खारे भूजल में मिलने से रोकती है और मीठे पानी का स्रोत उपलब्ध कराती है। यह सतह के नीचे मौजूद रेजाणीपानी को संरक्षित करती है, जिससे मरुस्थलीय क्षेत्रों में जल संकट से निपटने में सहायता मिलती है।


3. कुंई की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?

उत्तर:

  • इसका मुँह छोटा रखा जाता है ताकि पानी कम फैलकर अधिक गहराई में संरक्षित रहे।
  • दूषित होने से बचाने के लिए इसे ढक्कन से ढका जाता है।
  • पानी निकालने के लिए चरखी, ओड़ाक और चड़स जैसे उपकरणों का उपयोग किया जाता है।


4. कुंई और समाज के बीच क्या संबंध है?

उत्तर: 

कुंई भले ही निजी संपत्ति होती है, लेकिन इसे सार्वजनिक क्षेत्र में बनाया जाता है। नई कुंई बनाने के लिए ग्राम समाज की स्वीकृति आवश्यक होती है ताकि जल स्रोतों का संतुलन बना रहे। इसके निर्माण और देखभाल से जुड़े रीति-रिवाज इसके सामुदायिक महत्व को दर्शाते हैं।


5. कुंई के उपयोग में संयम क्यों आवश्यक है?

उत्तर: 

कुंई दिनभर में केवल दो-तीन घड़े पानी ही उपलब्ध कराती है, इसलिए इसका उपयोग अत्यंत संयम और सावधानी से किया जाता है। पानी भरने के बाद इसे ढँककर रखा जाता है ताकि जल स्रोत सुरक्षित और संरक्षित रहे।


6. राजस्थान के किन क्षेत्रों में कुंइयाँ पाई जाती हैं?

उत्तर: 

कुंइयाँ मुख्य रूप से राजस्थान के चुरू, बीकानेर, जैसलमेर और बाड़मेर में पाई जाती हैं, जहाँ खड़िया पत्थर की पट्टी मौजूद है। इस पत्थर को विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है, जैसे चारोली, धाधड़ो और बिट्ट रो बल्लियो।


7. पारंपरिक जल प्रबंधन में पानी को कितने रूपों में विभाजित किया गया है?

उत्तर: 

राजस्थान के समाज ने जल को तीन रूपों में विभाजित किया है—

  • पालरपानी: सीधे वर्षा का जल।
  • पातालपानी: भूजल।
  • रेजाणीपानी: धरती के भीतर सतह के नीचे मौजूद पानी।


8. आधुनिक समय में कुंइयों की उपयोगिता में क्या परिवर्तन हुआ है?

उत्तर: 

नई सड़कों और आधुनिक उपकरणों के कारण कुंई बनाने की प्रक्रिया और उपयोगिता में बदलाव आया है। पहले कुंइयाँ सामुदायिक उपयोग के लिए खुली रहती थीं, लेकिन अब कुछ कुंइयों को ताले लगाकर संरक्षित किया जाने लगा है, जिससे उनका उपयोग नियंत्रित हो गया है।


9. कुंई राजस्थान के समाज और पर्यावरण के संतुलन को कैसे दर्शाती है?

उत्तर: 

कुंई राजस्थान के मरुस्थलीय समाज द्वारा विकसित जल संरक्षण की अनूठी प्रणाली है, जो समाज और प्रकृति के बीच संतुलन को दर्शाती है। यह पारंपरिक ज्ञान और वैज्ञानिक समझ का उत्कृष्ट उदाहरण है, जो जल संकट के समाधान का आदर्श प्रस्तुत करता है।


10. 'राजस्थान की रजत बूँदें' पाठ का मुख्य संदेश क्या है?

उत्तर: 

यह पाठ राजस्थान के समाज द्वारा विकसित जल संरक्षण की पारंपरिक विधियों की सराहना करता है। यह दर्शाता है कि कैसे कुंई जैसे संरचनात्मक उपायों ने रेगिस्तानी क्षेत्रों में जल संकट से निपटने में मदद की है। यह पाठ जल प्रबंधन की पुरानी लेकिन प्रभावी विधियों के महत्व को रेखांकित करता है।

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