आओ, मिलकर बचाएँ Important Short and Long Question Class 11 Book-Aroh Poem-8
0Team Eklavyaमार्च 13, 2025
लघु प्रश्न-उत्तर (Short Questions & Answers)
1. निर्मला पुतुल का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उत्तर:
निर्मला पुतुल का जन्म 1972 में झारखंड के दुमका जिले में हुआ था।
2. निर्मला पुतुल किस समाज की प्रमुख कवयित्री हैं?
उत्तर:
वे आदिवासी समाज की प्रमुख कवयित्री हैं।
3. निर्मला पुतुल की कविताओं में किन विषयों को प्रमुखता दी गई है?
उत्तर:
उनकी कविताएँ संथाली समाज की वास्तविकताओं, विस्थापन, पुरुष वर्चस्व, कुरीतियों, आर्थिक शोषण और प्रकृति संरक्षण पर आधारित होती हैं।
4. कविता "आओ, मिलकर बचाएँ" का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर:
इस कविता का उद्देश्य प्राकृतिक संसाधनों, आदिवासी संस्कृति और मानवीय मूल्यों को बचाने की अपील करना है।
5. निर्मला पुतुल की कविता में आदिवासी संस्कृति को क्यों बचाने की बात की गई है?
उत्तर:
क्योंकि आधुनिकता और शहरों के विस्तार से आदिवासी परंपराएँ धीरे-धीरे खत्म हो रही हैं, इसलिए इन्हें बचाना जरूरी है।
6. कविता में कवयित्री ने किन प्राकृतिक तत्वों को बचाने की बात की है?
उत्तर:
जंगल की ताजी हवा, नदियों की निर्मलता, पहाड़ों का मौन, मिट्टी की खुशबू और कुल्हाड़ी की धार को बचाने की बात की गई है।
7. कविता में बच्चों और बुजुर्गों के लिए क्या बचाने की जरूरत बताई गई है?
उत्तर:
बच्चों के लिए खेलने का मैदान, पशुओं के लिए हरी घास और बुजुर्गों के लिए शांति बचाने की जरूरत बताई गई है।
8. कविता में कवयित्री ने विश्वास और सपनों को बचाने की बात क्यों की है?
उत्तर:
क्योंकि विश्वास, उम्मीद और सपने ही समाज को आगे बढ़ाते हैं और इनका खत्म होना समाज के लिए हानिकारक हो सकता है।
9. कवयित्री ने आदिवासी बस्तियों को किससे बचाने की जरूरत बताई है?
उत्तर:
शहर की बुरी हवा और बाहरी प्रभावों से, जो उनकी परंपराओं और जीवनशैली को नष्ट कर सकते हैं।
10. इस कविता का मुख्य संदेश क्या है?
उत्तर:
इस कविता का मुख्य संदेश है कि प्राकृतिक संसाधनों, संस्कृति, मूल्यों और समाज की परंपराओं को बचाना बहुत जरूरी है।
दीर्घ प्रश्न-उत्तर (Long Questions & Answers)
1. निर्मला पुतुल के जीवन और साहित्यिक योगदान पर संक्षिप्त टिप्पणी करें।
उत्तर:
निर्मला पुतुल का जन्म 1972 में झारखंड के दुमका जिले में हुआ था। वे संथाली समाज की प्रमुख कवयित्री हैं और उनकी कविताएँ आदिवासी जीवन की वास्तविकताओं, विस्थापन, पुरुष वर्चस्व, शोषण और प्रकृति संरक्षण पर आधारित हैं।
उन्होंने अपनी कविताओं के माध्यम से संथाली समाज की संस्कृति, रीति-रिवाजों, कठिनाइयों और संघर्षों को उजागर किया है। वे आधुनिकता और शहरों की चकाचौंध से आदिवासी पहचान को बचाने पर बल देती हैं। उनकी कविताओं में संघर्ष, सादगी, प्रकृति से प्रेम और समाज के लिए जागरूकता का संदेश देखने को मिलता है।
2. कविता "आओ, मिलकर बचाएँ" का मुख्य सारांश लिखिए।
उत्तर:
यह कविता संस्कृति, प्रकृति और सामाजिक मूल्यों को बचाने की अपील करती है।
कवयित्री कहती हैं कि आदिवासी बस्तियों को बाहरी प्रभावों से बचाना जरूरी है।
वे कहती हैं कि संथाली समाज की भाषा, रीति-रिवाज और पहचान को संरक्षित किया जाना चाहिए।
प्राकृतिक संसाधनों को बचाने की जरूरत है, जैसे जंगल की हवा, नदियों की स्वच्छता, पहाड़ों की शांति और मिट्टी की खुशबू।
समाज को जीवंत बनाए रखने के लिए हँसी, गीत, नृत्य और निजता को बचाना चाहिए।
विश्वास, उम्मीद और सपनों को बचाना जरूरी है क्योंकि यही समाज को आगे बढ़ाते हैं।
मुख्य संदेश:
संस्कृति और प्रकृति का संरक्षण जरूरी है।
आधुनिकता की चकाचौंध में अपनी परंपराओं को नहीं खोना चाहिए।
हर व्यक्ति को अपने समाज और प्रकृति को बचाने में योगदान देना चाहिए।
3. कविता में कवयित्री ने किन चीजों को बचाने पर जोर दिया है?
उत्तर:
इस कविता में तीन प्रमुख चीजों को बचाने की बात की गई है:
संस्कृति और परंपरा
आदिवासी बस्तियों को बाहरी प्रभाव से बचाना।
संथाली समाज की भाषा, रीति-रिवाज और पहचान को संरक्षित रखना।
प्राकृतिक सौंदर्य और जीवनशैली
जंगल की ताजी हवा, नदियों की निर्मलता, पहाड़ों की शांति और मिट्टी की खुशबू को बचाना।
कुल्हाड़ी की धार, धनुष की डोरी और तीर की नोक का संरक्षण, ताकि संघर्ष और जुझारूपन बना रहे।
सामाजिक ताना-बाना
बच्चों के लिए खेलने का मैदान और बुजुर्गों के लिए शांति।
समाज में हँसी, गीत, नृत्य और निजता को बनाए रखना।
विश्वास, उम्मीद और सपनों को बचाना, क्योंकि यही समाज को जीवंत रखते हैं।
4. "आओ, मिलकर बचाएँ" कविता का वर्तमान संदर्भ में क्या महत्व है?
उत्तर:
यह कविता आज के समय में भी बहुत प्रासंगिक है। आधुनिकता, शहरीकरण और औद्योगीकरण के कारण आदिवासी समाज और प्रकृति का तेजी से विनाश हो रहा है।
जंगलों की कटाई और खनन की वजह से प्राकृतिक संसाधन खत्म हो रहे हैं।
शहरों के विस्तार और औद्योगिकीकरण के कारण आदिवासी समाज अपनी परंपराओं और संस्कृति को खोता जा रहा है।
लोग आधुनिक जीवनशैली में इतने व्यस्त हो गए हैं कि प्रकृति, संस्कृति और सामाजिक मूल्यों का महत्व भूल रहे हैं।
इस कविता का संदेश हमें अपने समाज, संस्कृति और पर्यावरण के प्रति सचेत रहने और इन्हें बचाने के लिए प्रयास करने की प्रेरणा देता है।
5. कविता "आओ, मिलकर बचाएँ" किस प्रकार से आदिवासी जीवन और संस्कृति को दर्शाती है?
उत्तर:
यह कविता आदिवासी जीवन, उनकी संस्कृति और प्राकृतिक संसाधनों के महत्व को उजागर करती है।
संथाली समाज की परंपराएँ धीरे-धीरे लुप्त हो रही हैं, इसलिए उन्हें बचाने की जरूरत है।
आदिवासी लोग प्रकृति से गहरा जुड़ाव रखते हैं, लेकिन आधुनिकता के कारण उनका यह संबंध टूटता जा रहा है।
कवयित्री कहती हैं कि संघर्ष, जुझारूपन, प्रेम, विश्वास, उम्मीद और सपने ही आदिवासी समाज की ताकत हैं, और इन्हें बचाए रखना चाहिए।