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लोकतंत्र क्या? लोकतंत्र क्यों ? Notes in Hindi Class 9 Loktantrik Rajniti Chapter-1 Book 2 What is democracy? Why Democracy? loktantra kya? loktantra kyon ?

लोकतंत्र क्या? लोकतंत्र क्यों ? Notes in Hindi Class 9  Loktantrik Rajniti Chapter-1 Book 2 What is democracy? Why Democracy? loktantra kya? loktantra kyon ?


परिचय

लोकतंत्र एक ऐसी प्रणाली है, जहां जनता अपनी सरकार चुनती है और हर व्यक्ति को अपनी राय और निर्णय देने का अधिकार मिलता है। इसमें हम लोकतंत्र की मुख्य विशेषताओं और इसे लोकतांत्रिक बनाने वाली जरूरी बातों को समझेंगे। साथ ही, लोकतांत्रिक और गैर-लोकतांत्रिक शासन का अंतर जानेंगे। आखिर में, यह समझने की कोशिश करेंगे कि लोकतंत्र क्यों सबसे पसंदीदा शासन प्रणाली है और क्या यह सबसे बेहतर व्यवस्था है।


1.1 लोकतंत्र क्या है ?

1. लोकतांत्रिक सरकारें

जनता का शासन का मतलब है कि सरकार को जनता खुद चुनती है। सभी नागरिकों को समान अधिकार और अवसर मिलते हैं, जिससे समानता बनी रहती है। संविधान नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करता है और उनकी गारंटी देता है। साथ ही, सरकार अपने कामों के लिए जनता के प्रति जवाबदेह होती है।

2. गैर-लोकतांत्रिक सरकारें

केंद्रित सत्ता में ताकत एक व्यक्ति या छोटे समूह के पास होती है। जनता की स्वतंत्रता पर नियंत्रण रहता है। सरकार जनता के प्रति जवाबदेह नहीं होती और स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव नहीं होते।

परिभाषा की ज़रूरत क्यों है?

लोकतंत्र जैसे शब्द का मतलब अलग-अलग संदर्भों में अलग हो सकता है। कई सरकारें खुद को लोकतांत्रिक कहती हैं, लेकिन सच अलग हो सकता है। इसे समझने के लिए, जैसे बारिश, बूँदा-बाँदी और बादल फटना अलग-अलग होते हैं, वैसे ही लोकतंत्र को भी साफ तरीके से समझना जरूरी है।

लोकतंत्र की परिभाषा पर चर्चा

अब्राहम लिंकन ने लोकतंत्र को परिभाषित किया: "लोगों के लिए, लोगों का, और लोगों द्वारा शासन।" 'डेमोक्रेसी' शब्द का मतलब यूनानी में 'लोगों का शासन' है, लेकिन समय के साथ इसका अर्थ बदल सकता है।


एक सरल परिभाषा

लोकतंत्र शासन का ऐसा रूप है जिसमें शासकों का चुनाव जनता द्वारा किया जाता है। यह परिभाषा लोकतांत्रिक और गैर-लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं के बीच स्पष्ट अंतर करने में मदद करती है।

गैर-लोकतांत्रिक सरकारों के उदाहरण

म्यांमार में सैनिक शासक चुनाव से सत्ता में नहीं आए। चिली में तानाशाह पिनोशे को जनता ने नहीं चुना। सऊदी अरब में शासक राजपरिवार में जन्म के कारण सत्ता में हैं। इन सभी में जनता का शासकों के फैसलों में कोई भूमिका नहीं होती।

सरल परिभाषा की सीमाएँ

कुछ सरकारें चुनाव करवाकर खुद को लोकतांत्रिक दिखाती हैं, लेकिन असल में लोकतंत्र की मूल भावना को नहीं मानतीं। ऐसे दिखावटी लोकतंत्र में चुनाव के बावजूद जनता की भागीदारी का कोई असर नहीं होता।

असली लोकतंत्र की पहचान

असली और दिखावटी लोकतंत्र में फर्क समझने के लिए:

1. लोकतंत्र की परिभाषा को अच्छे से समझना होगा।

2. लोकतांत्रिक सरकार की मुख्य विशेषताओं पर ध्यान देना होगा।


1.2 लोकतंत्र की विशेषताएँ

लोकतंत्र एक शासन प्रणाली है, जहाँ जनता अपने शासकों को चुनती है। इससे जुड़े मुख्य सवाल इस प्रकार हैं:

शासक कौन हैं?

लोकतांत्रिक सरकार में किन अधिकारियों का चुना जाना जरूरी है? क्या कुछ फैसले बिना चुने हुए लोग ले सकते हैं?

लोकतांत्रिक चुनाव की शर्तें:

किसी चुनाव को लोकतांत्रिक कहने के लिए क्या जरूरी है?

मतदान और चुनाव अधिकार:

कौन वोट दे सकता है और कौन चुना जा सकता है? क्या सभी नागरिक बराबरी से भाग लेते हैं? क्या कुछ नागरिकों को अधिकार से वंचित किया जा सकता है?

सरकार की सीमाएँ:

क्या चुने हुए शासक मनमानी कर सकते हैं? क्या लोकतांत्रिक सरकार नागरिक अधिकारों का सम्मान करने के लिए बाध्य है?


प्रमुख फ़ैसले निर्वाचित नेताओं के हाथ

1999 में जनरल परवेज मुशर्रफ़ ने पाकिस्तान में सैनिक तख्तापलट कर लोकतांत्रिक सरकार को हटाकर खुद को 'मुख्य कार्यकारी' घोषित कर दिया।

2002 में:

  • जनमत संग्रह: उन्होंने अपनी सत्ता बढ़ाने के लिए इसका इस्तेमाल किया।
  • संविधान में बदलाव: 'लीगल फ्रेमवर्क ऑर्डर' के जरिए राष्ट्रपति को संसद भंग करने का अधिकार दिया।
  • चुनाव: राष्ट्रीय और प्रांतीय असेंबलियों के लिए चुनाव करवाए।

क्यों यह लोकतंत्र नहीं था?

चुनाव सिर्फ दिखावा थे क्योंकि असली सत्ता सेना और जनरल मुशर्रफ़ के हाथ में थी, न कि जनता के चुने हुए नेताओं के पास। फैसले सेना लेती थी, जो लोकतंत्र के खिलाफ है। औपचारिक चुनाव और संसद होने के बावजूद असली शक्ति जनता के प्रतिनिधियों के पास नहीं थी।

लोकतंत्र की पहली शर्त

  • लोकतंत्र में अंतिम फैसले की ताकत जनता के चुने हुए प्रतिनिधियों के पास होनी चाहिए।
  • जहां ऐसा नहीं होता, वहां लोकतंत्र नहीं, बल्कि तानाशाही या दिखावटी लोकतंत्र होता है।


स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावी मुकाबला

चीन के चुनाव

  • चीन की संसद के चुनाव हर पाँच साल में होते हैं, लेकिन सभी उम्मीदवारों को चीनी कम्युनिस्ट पार्टी से मंजूरी लेनी होती है।
  • सिर्फ कम्युनिस्ट पार्टी और उससे जुड़ी पार्टियों के उम्मीदवार ही चुनाव लड़ सकते हैं, जिससे लोगों को शासक दल के अलावा कोई विकल्प नहीं मिलता।

मैक्सिको के चुनाव

1930 से 2000 तक हर चुनाव में पीआरआई (इंस्टीट्यूशनल रिवोल्यूशनरी पार्टी) जीतती रही।

चुनाव में धांधली:

  • सरकारी कर्मचारियों और शिक्षकों पर पीआरआई के लिए प्रचार करने का दबाव था।
  • मीडिया विपक्ष की आवाज दबा देती थी।
  • मतदान केंद्र अचानक बदल दिए जाते थे।

लोकतंत्र की नई विशेषता

  • चुनाव निष्पक्ष और स्वतंत्र होने चाहिए, और लोगों के पास सही राजनीतिक विकल्प होने चाहिए।
  • चुनाव सिर्फ मतदान नहीं है; लोगों को शासक दल को हटाने का भी अधिकार होना चाहिए।
  • सत्ता में बैठे लोगों के लिए हारने और जीतने के बराबर मौके होने चाहिए।


एक व्यक्ति-एक वोट-एक मोल

लोकतंत्र में सभी वयस्क नागरिकों को समान मतदान अधिकार होना चाहिए। लेकिन कई जगहों पर असमानता के उदाहरण भी देखे गए हैं:

  • सऊदी अरब (2015 तक): महिलाओं को वोट देने का अधिकार नहीं था।
  • एस्टोनिया: नागरिकता के नियमों ने रूसी अल्पसंख्यकों को मतदान से वंचित किया।
  • फिजी: वहाँ के मूल निवासियों के वोट को भारतीय मूल के लोगों के वोट से अधिक महत्व दिया गया।
  • लोकतंत्र की विशेषता: हर वयस्क का एक वोट और हर वोट का समान मूल्य होना चाहिए।


कानून का राज और अधिकारों का आदर

राबर्ट मुगाबे का शासन

  • 1980 में आजादी के बाद से जानु-पीएफ दल की सत्ता बनी रही।
  • चुनाव होते रहे, लेकिन हर बार जानु-पीएफ ही जीतता था।

तानाशाही के संकेत:

  • विपक्षी दलों और कार्यकर्ताओं पर दबाव।
  • सरकार विरोधी प्रदर्शनों पर रोक।
  • मीडिया पर सरकारी नियंत्रण।
  • राष्ट्रपति की आलोचना करने पर पाबंदी।
  • न्यायपालिका पर दबाव और अदालती फैसलों की अनदेखी।

लोकतंत्र की चुनौतियाँ

जिंबाब्वे का उदाहरण दिखाता है कि:

  • लोकप्रियता काफी नहीं है: एक लोकप्रिय नेता भी तानाशाह बन सकता है।
  • चुनाव काफी नहीं हैं: चुनाव से पहले और बाद में नागरिकों और विपक्षी दलों को स्वतंत्रता मिलनी चाहिए।
  • नागरिक अधिकारों का सम्मान जरूरी है: सरकार को सभी के अधिकारों का सम्मान करना चाहिए।
  • समानता जरूरी है: कानून की नजर में सबके साथ समान व्यवहार होना चाहिए।

लोकतंत्र की शर्तें

चुनाव से पहले नागरिकों को अपनी राय व्यक्त करने, विरोध करने और संगठित होने की पूरी आजादी होनी चाहिए, साथ ही मीडिया को भी स्वतंत्र रूप से काम करने का अधिकार होना चाहिए। चुनाव के बाद सरकार को संविधान और कानून के दायरे में काम करना चाहिए, अल्पसंख्यक समूहों के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए, और सभी फैसले सोच-विचार और सहमति से लेने चाहिए। इसके अलावा, न्यायपालिका को स्वतंत्र और निष्पक्ष रहना चाहिए, और उसके आदेशों का पालन सभी को करना चाहिए।

लोकतंत्र की अंतिम विशेषता

लोकतांत्रिक सरकार संवैधानिक कानूनों और नागरिक अधिकारों द्वारा निर्धारित सीमाओं के भीतर ही काम करती है।


परिभाषाओं का सारांश

लोकतंत्र की चार मुख्य विशेषताएँ:

1. चुने हुए शासक: सभी बड़े फैसले चुने गए शासक लेते हैं।

2. निष्पक्ष चुनाव: चुनाव निष्पक्ष और विकल्पों से भरे हों।

3. समान अवसर: सभी को समान अधिकार और अवसर मिलें।

4. संवैधानिक सीमाएँ: सरकार संविधान और नागरिक अधिकारों का पालन करे।


1.3 लोकतंत्र ही क्यों?

योलांदा:

  • लोकतंत्र सबसे अच्छा है क्योंकि दुनिया भर में इसे पसंद किया जा रहा है। सभी महान लोग इसकी प्रशंसा करते हैं।

तांगकिनी:

  • हम किसी चीज़ को सिर्फ इसलिए सही नहीं मान सकते कि सभी लोग उसे मानते हैं। हो सकता है, सब गलत हों।

जेनी:

  • लोकतंत्र ने हमारे देश को क्या दिया? गरीबी, भ्रष्टाचार, अस्थिरता, और अराजकता। राजनेता आपस में लड़ते रहते हैं।

रिबियांग:

  • क्या गरीबी लोकतंत्र की वजह से है या इसके बावजूद भी है?

पाइमोन:

  • अगर लोकतंत्र नहीं, तो क्या? क्या तानाशाही, राजशाही या अंग्रेज़ी हुकूमत को वापस लाया जाए?

रोज़:

  • देश को एक मजबूत नेता चाहिए। ऐसा नेता जिसके पास सारे अधिकार हों और जो देश के हित में काम कर सके।

दोई:

  • तानाशाही में सबसे बड़ी समस्या है कि तानाशाह को सत्ता से हटाना असंभव हो जाता है।
  • तानाशाह अक्सर भ्रष्ट, स्वार्थी और क्रूर होते हैं।
  • आदर्श तानाशाही की तुलना वास्तविक लोकतंत्र से करना सही नहीं है।

मैडम लिंगदोह का तर्क

  • लोकतंत्र में हर व्यक्ति को अपनी राय रखने की आज़ादी होती है।
  • अगर लोकतंत्र न हो, तो क्या आप खुले दिमाग से ऐसी बहस कर सकते हैं?
  • लोकतंत्र में विचारों की आज़ादी अपने आप में एक बड़ा गुण है।


लोकतंत्र के खिलाफ तर्क

लोकतंत्र के खिलाफ तर्क:

1. अस्थिरता: नेता बार-बार बदलने से अस्थिरता बढ़ती है।

2. राजनीतिक खेल: सिर्फ सत्ता का खेल होता है, नैतिकता की जगह नहीं।

3. फैसलों में देरी: बहस और चर्चा से फैसले धीमे होते हैं।

4. खराब फैसले: नेताओं को जनता की जरूरतें ठीक से समझ नहीं आतीं।

5. भ्रष्टाचार: चुनावी लड़ाई महंगी और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देती है।

6. अज्ञानता: जनता को अच्छे-बुरे का पता नहीं होता, फिर भी फैसले करती है।

सच्चाई:

लोकतंत्र समस्याओं को जादू से हल नहीं करता। गलतियाँ और देरी होती हैं। लेकिन इसका मुख्य आधार है कि लोग अपने फैसले खुद करें।


लोकतंत्र के पक्ष में तर्क

1. चीन और भारत का उदाहरण

1958-61 के बीच चीन में आए अकाल में लगभग 3 करोड़ लोग भूख से मारे गए, जबकि भारत में लोकतंत्र के चलते ऐसी स्थिति नहीं बनी। भारत की लोकतांत्रिक सरकार ने खाद्य सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया, जिससे जनता की जरूरतों को समय पर पूरा किया जा सका। यह दर्शाता है कि लोकतंत्र सरकार को जवाबदेह बनाता है और जनता की भलाई को प्राथमिकता देने के लिए बाध्य करता है।

2. लोकतंत्र के फायदे

(i) बेहतर निर्णय लेने की क्षमता

लोकतंत्र में फैसले चर्चा और बहस के बाद लिए जाते हैं, जिससे गलतियों की संभावना कम हो जाती है और उग्र फैसलों से बचा जा सकता है। इसका लाभ यह है कि महत्वपूर्ण मुद्दों पर सोच-समझकर और समय लेकर लिए गए फैसले टिकाऊ और संतुलित होते हैं।

(ii) टकरावों का शांतिपूर्ण समाधान

भारत जैसे विविध समाज में, जहां अलग-अलग भाषाओं, धर्मों और जातियों के लोग रहते हैं, मतभेद स्वाभाविक हैं। लोकतंत्र इन मतभेदों को सुलझाने के लिए सभी समूहों को अपनी राय रखने और समस्याओं का समाधान खोजने का अवसर प्रदान करता है। इसमें कोई स्थायी विजेता या हारने वाला नहीं होता, जिससे सभी समूह मिलजुलकर साथ रह सकते हैं।

(iii) नागरिकों का सम्मान और समानता

लोकतंत्र राजनीतिक समानता के सिद्धांत पर आधारित है, जिसमें गरीब और अमीर सभी को समान अधिकार मिलते हैं। इसमें लोग शासक की प्रजा नहीं होते, बल्कि खुद शासक बनते हैं, जो उन्हें अपने जीवन और समाज के फैसलों में सक्रिय भूमिका निभाने का अवसर देता है।

3. गलतियों को सुधारने की क्षमता

लोकतंत्र में गलतियों को छुपाया नहीं जा सकता, क्योंकि सार्वजनिक चर्चा के माध्यम से उन्हें पहचाना और सुधारा जा सकता है। इसमें लचीलापन भी होता है, जहां अगर शासक गलत साबित हो, तो उसे चुनाव के जरिए हटाया जा सकता है।


1.4 लोकतंत्र का वृहतर अर्थ

लोकतंत्र की बुनियादी समझ

प्रतिनिधित्व आधारित लोकतंत्र में सभी लोग सीधे शासन नहीं चला सकते, इसलिए जनता अपने चुने हुए प्रतिनिधियों के माध्यम से शासन करती है। ये प्रतिनिधि बहुमत के आधार पर फैसले लेते हैं। यह व्यवस्था जरूरी है क्योंकि सभी नागरिक हर फैसले में भाग नहीं ले सकते, और उनमें समय, कौशल, या इच्छा की कमी हो सकती है।

लोकतंत्र की सीमाएँ और आदर्श

वर्तमान लोकतंत्र न्यूनतम शर्तों को तो पूरा करता है, लेकिन आदर्श लोकतंत्र से अब भी दूर है। आदर्श लोकतंत्र में हर नागरिक को समान अवसर, शिक्षा, और जानकारी मिलनी चाहिए, ताकि वे सही फैसले ले सकें। साथ ही, निर्णय लेने की प्रक्रिया में सबकी भागीदारी सुनिश्चित होनी चाहिए, जिससे लोकतंत्र वास्तव में सबके लिए काम कर सके।

लोकतंत्र के विभिन्न रूप

लोकतंत्र केवल सरकार तक सीमित नहीं है, बल्कि यह जीवन के हर क्षेत्र में देखा जा सकता है। उदाहरण के लिए, जब परिवार के सभी सदस्य निर्णयों में समान रूप से भाग लेते हैं, या जब शिक्षक छात्रों को बोलने और सवाल पूछने का अवसर देता है, यह लोकतंत्र का रूप होता है। इसी तरह, संगठनों में सभी सदस्य मिलकर फैसले लेते हैं। लोकतांत्रिक निर्णय का मतलब है कि सभी प्रभावित लोगों की राय लेकर सहमति से फैसला किया जाए, जहां ताकतवर और कमजोर, दोनों की राय को समान महत्व दिया जाए।

लोकतंत्र की ताकत और भविष्य

लोकतंत्र में नागरिकों की सक्रिय भागीदारी बेहद जरूरी है, क्योंकि उनके कामकाज से देश का लोकतंत्र मजबूत या कमजोर हो सकता है। लोकतंत्र अन्य शासन व्यवस्थाओं से अलग है, क्योंकि यह नागरिकों को राजनीति में भाग लेने का अवसर और अधिकार देता है, जिससे वे अपने समाज और सरकार के निर्णयों में प्रभाव डाल सकते हैं।

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