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पृथ्वी की आंतरिक संरचना class11 Important short and long questions geography book 1 Interior of the Earth prthvi ki aantarik sanrachana

पृथ्वी की आंतरिक संरचना

 

प्रश्न - भूकंप को परिभाषित कीजिए तथा भूकंप के प्रभावों का वर्णन कीजिए ?

उत्तर - 

  • भूकंप का अर्थ होता है भूमि का कांपना अथवा पृथ्वी का हिलना।
  • अचानक झटके से प्रारंभ हुए पृथ्वी के कंपन को भूकंप कहते है।
  • यह एक प्राकृतिक आपदा है

भूकंपीय आपदा से होने वाले प्रकोप निम्न है

  • भूमि का हिलना 
  • धरातलीय विसंगति 
  • भू स्खलन 
  • मृदा द्रवण 
  • धरातलीय विस्थापन 
  • हिमस्खलन
  • बांध व तटबंध के टूटने से बढ़ का आना 
  • आग लगना 
  • इमारतों का टूटना 
  • सुमनी लहरों का उत्पन्न होना 
  • वस्तुयों का गिरना 
  • धरातल का एक तरफ झुकना


प्रश्न - ज्वालामुखी किसे कहते है ? तथा ज्वालामुखी के प्रकरों का वर्णन कीजिए ।

उत्तर - 

  • ज्वालामुखी पृथ्वी पर होने वाली एक आकस्मिक घटना है।
  • इससे भू पटल पर अचानक विस्फोट होता है जिसके द्वारा लव गैस धुआँ रख कंकड़ पत्थर आदि बाहर निकलते है
  • इस सभी वस्तुयों का निकास एक प्राकृतिक नली द्वारा होता है जिसे निकास नलिका कहते है 
  • लावा धरातल पर आने के लिए एक छिद्र बनाता है जिसे क्रेटर कहते है 

ज्वालामुखी के प्रकार : 

  • शील्ड ज्वालामुखी 
  • मिश्रित ज्वालामुखी 
  • ज्वालामुखी कुंड 
  • बेसाल्ट प्रवाह क्षेत्र 
  • मध्य महासागरीय कटक ज्वालामुखी 

1. शील्ड ज्वालामुखी

  • सबसे विशाल ज्वालामुखी होते हैं।
  • बेसाल्ट से बने होते हैं, जिसमें तरल लावा ठंडा होकर शील्ड आकार बनाता है।
  • कम विस्फोटक होते हैं।
  • लावा शंकु (Cone) बनाता है जिसे सिंडर शंकु कहा जाता है।

2. मिश्रित ज्वालामुखी

  • बेसाल्ट की तुलना में ठंडे और गाढ़े लावा उगलते हैं।
  • अक्सर बेहद विस्फोटक होते हैं।
  • ज्वालामुखीय राख और अन्य पदार्थ परतों में जमा होते हैं।

3. ज्वालामुखी कुंड (Caldera)

  • सबसे अधिक विस्फोटक ज्वालामुखी।
  • विस्फोट के बाद ढाँचा नीचे धँस जाता है, जिसे कुंड कहा जाता है।

4. बेसाल्ट प्रवाह क्षेत्र

  • सबसे अधिक विस्फोटक ज्वालामुखी।
  • विस्फोट के बाद ढाँचा नीचे धँस जाता है, जिसे कुंड कहा जाता है।

5. मध्य महासागरीय कटक ज्वालामुखी

  • महासागरों के बीच में होते हैं।
  • 70,000 कि.मी. लंबी श्रृंखला में फैले होते हैं।
  • लगातार लावा प्रवाह होता रहता है


प्रश्न - भूकंपीय तरंगे कितने प्रकार की होती है ?

उत्तर -

भूकंपीय तरंगे 

1. भू गर्भीय तरंगे 

  • पी तरंगे प्राथमिक तरंगे 
  • एस तरंगे द्वितीय तरंगे 

भू गर्भीय तरंगे : 

  • ये तरंगे भू गर्भ में उद्गम केंद्र से निकलती है और विभिन्न दिशाओं में जाती है। ये तरंगे धरातलीय शैलों से क्रिया करके धरातलीय तरंगों में बदल जाती है 

1. प्राथमिक तरंगें

  • तीव्र गति से चलने वाली तरंगें हैं और धरातल पर सबसे पहले पहुँचती हैं।
  • इन्हें P तरंगें भी कहा जाता है।
  • ये गैस, तरल व ठोस पदार्थों से गुजर सकती हैं।

2. द्वितीयक तरंगें

  • द्वितीयक तरंगें धरातल पर कुछ समय अंतराल के बाद पहुँचती हैं।
  • ये ऽ तरंगें कहलाती हैं।
  • ये केवल ठोस पदार्थों के ही माध्यम से चलती हैं।'

2. धरातलीय तरंगें

  • भूगर्भिक तरंगों एवं धरातलीय शैलों के मध्य अन्योन्य क्रिया के कारण नई तरंगें उत्पन्न होती हैं जिन्हें धरातलीय तरंगें कहा जाता है।



प्रश्न -  पृथ्वी की आंतरिक संरचना को संक्षेप में समझाए?

उत्तर - 

पृथ्वी की आंतरिक संरचना मुख्यतः तीन परतों में विभाजित है : 

1. भू -पर्पटी 

  • पृथ्वी का सबसे बाहरी भाग है। 
  • यह बहुत भंगुर भाग है जिसमें जल्दी टूट जाने की प्रवृत्ति पाईं जाती है। 
  • मोटाई महाद्वीपों व महासागरों के नीचे अलग-अलग है। 
  • महासागरों में मोटाई महाद्वीपों की तुलना में कम है। 
  • महासागरों में इसकी मोटाई 5 कि० मी० है
  • महाद्वीपों के नीचे यह 30 कि0 मी0 तक है। 

2. मेंटल 

  • पर्पटी के नीचे का भाग मैंटल कहलाता है। 
  • मैंटल का ऊपरी भाग दुर्बलतामंडल कहा जाता है। 
  • इसका विस्तार 400 कि0मी0 तक आँका गया है। 
  • यह ठोस अवस्था में है।

3. क्रोड़

  • बाह्य क्रोड (Outer core) तरल अवस्था में है जबकि आंतरिक क्रोड (Inner core) ठोस अवस्था में है। 
  • क्रोड भारी पदार्थों मुख्यतः निकिल (Nickle) व लोहे (Ferrum) का बना है। 
  • इसे 'निफे' (Nife) परत के नाम से भी जाना जाता है।



प्रश्न -  पातालीय शैल क्या हैं? प्रमुख अन्तर्वेधि आकृतियों का वर्णन कीजिए

उत्तर -

1. पातालीय  शैल : 

  • जब लावा धरातल के नीचे ही ठंडा होकर जम जाता है। 
  • जब लावा भूपटल के भीतर ही ठंडा हो जाता है तो कई आकृतियाँ बनती हैं। 
  • ये आकृतियाँ अंतर्वेधी आकृतियाँ (Intrusive forms) कहलाती हैं।

अन्तर्वेधि आकृतियाँ  

1. बैथोलिथ

  • मैग्मा का बड़ा पिंड भूपर्पटी में अधिक गहराई पर ठंडा हो जाए तो यह एक गुंबद के आकार में विकसित हो जाता है।
  • ये विशाल क्षेत्र में फैले होते हैं और कभी-कभी इनकी गहराई भी कई कि०मी० तक होती है।

2. लैकोलिथ

  • ये गुंबदनुमा विशाल अन्तर्वेधी चट्टानें हैं जिनका तल समतल व एक पाइपरूपी वाहक नली से नीचे से जुड़ा होता है।

3. लैपोलिथ

  • ऊपर उठते लावे का कुछ भाग क्षैतिज दिशा में पाए जाने वाले कमजोर धरातल में चला जाता है।
  • यह तश्तरी (Saucer) के आकार में जम जाए, तो यह लैपोलिथ कहलाता है।

4. फैकोलिथ

  • कई बार अन्तर्वेधी आग्नेय चट्टानों की मोड़दार अवस्था में अपनति के ऊपर व अभिनति के तल में लावा का जमाव पाया जाता है। 
  • ये परतनुमा/लहरदार चट्टानें एक निश्चित वाहक नली से मैग्मा भंडारों से जुड़ी होती हैं। 
  • यह ही फैकोलिथ कहलाते हैं।

5. सिल

  • लावा का क्षैतिज तल में एक चादर के रूप में ठंडा होना सिल या शीट कहलाता है। 
  • जमाव की मोटाई के आधार पर इन्हें विभाजित किया जाता है-कम मोटाई वाले जमाव को शीट व घने मोटाई वाले जमाव सिल कहलाते हैं। 

6. डाइक

  • जब लावा का प्रवाह दरारों में धरातल के लगभग समकोण होता है और अगर यह इसी अवस्था में ठंडा हो जाए तो एक दीवार की भाँति संरचना बनाता है। यही संरचना डाइक कहलाती है।



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